बुधवार, 31 दिसंबर 2008

हमारे प्रिय पाठकों को नव वर्ष २००९ की हार्दिक शुभकामनाएं

2009 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें।
प्रतिवर्ष हम नए साल का स्वागत दूसरों को खुशी और संपन्नता की शुभकामना देकर करते हैं।
संपन्नता का चिह्न क्या है? संपन्नता का चिह्न है मुक्ति, मुस्कान और जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय होकर आसपास के लोगों के साथ बांटने की मन:स्थिति। संपन्नता का चिह्न है दृढ़ विश्वास कि जो भी मुझे चाहिए वह मुझे मिल जाएगा। 2009 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें। कैलंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं। प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है। आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएं। बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें। आप लोभ, घृणा, द्वेष तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो। यदि मन इन सभी नकारात्मक भावनाओं में लिप्त है, तो वह खुश व शांत नहीं रह सकता। आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते। आप देखें कि नकारात्मक भावनाएं भूतकाल की वजह से हैं और आप अपने उस भूतकाल को अपने वर्तमान जीवन के नए अनुभवों को नष्ट न करने दें। भूतकाल को क्षमा कर दें। यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएंगे, तो आपका भविष्य दुख से भर जाएगा। पिछले साल, जिनके साथ आपकी अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह कर लें। भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरू करने का संकल्प करें। इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस धरती पर सभी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ लोगों को शुभकामनाएं दें। आर्थिक मंदी, आतंकवाद की छाया, बाढ़ तथा अकाल के इस समय में और अधिक नि:स्वार्थ सेवा करें। हम जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है। इस विश्व को सभी प्रकार की सामाजिक तथा पारिवारिक हिंसा से मुक्त करना है। समाज के लिए और अधिक अच्छा करने का संकल्प लें। जो पीड़ित हैं उन्हें धीरज दें और समाज तथा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी बनें। जीवन का आध्यात्मिक पहलू हमारे भीतर संपूर्ण विश्व, संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनेपन, उत्तरदायित्व, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है। अपने सच्चे स्वरूप में आध्यात्मिक भावनाएँ जाति, धर्म तथा राष्ट्रीयता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देती हैं और हमें इस सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त जीवन के सौंदर्य से अवगत कराती हैं। इस वर्ष अपनी भक्ति को खिलने दें। उसे व्यक्त होने का अवसर दें। हमें अपने चारों ओर व्याप्त ईश्वर का, उसके प्रकाश का अनुभव करना चाहिए। आप के मन में इसे अनुभव करने की इच्छा होनी चाहिए। क्या आप में कभी यह इच्छा उत्पन्न हुई है -कि आप को श्रेष्ठतम शांति प्राप्त हो? संपूर्ण विश्व ईश्वरीय प्रकाश से व्याप्त है। जब आप गाते हैं या प्रार्थना करते हैं, तो उसमें पूर्ण तल्लीनता हो। यदि मन कहीं और उलझा हुआ है, तो सच्ची प्रार्थना नहीं हो सकती। तुम एक मुक्त पंछी के समान हो। तुम पूर्णत: मुक्त हो। अनुभव करो कि तुम एक पंछी के समान उड़ना सीख रहे हो। उड़ना सीखो। यह तुम्हें स्वयं ही अनुभव करना होगा। जब मन तनाव मुक्त होता है, तभी बुद्धि तीक्ष्ण होती है। जब मन आकांक्षाओं और इच्छाओं जैसी छोटी-छोटी चीजों से भरा होता है, तब बुद्धि तीक्ष्ण नहीं हो पाती है। और जब बुद्धि तथा ग्रहण की क्षमता तीक्ष्ण नहीं होते, तब जीवन पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं होता, नए विचार नहीं बहते। तब हमारी क्षमताएं भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। बाहर निकला वह पहला कदम ही आपके जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान कर देगा। इसलिए सहज रहो, प्रेम से भरे रहो। अपने आपको सेवा में लगाओ। अपने जीवन का उत्सव मनाओ।

रविवार, 28 दिसंबर 2008

कानूनों को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करेगा

हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में मौजूद अनेक विधेयकों को समझने में आम आदमी को होने वाली कठिनाई को देखते हुए कानून मंत्रालय अपने अफसरों को ट्रेनिंग देने की योजना बना रहा है, जिससे वे इन्हें आसान भाषा में बदल सकें और लिख सकें। मंत्रालय के एक अफसर ने कहा कि इसे शुरू करने के लिए सामाजिक कल्याण कानूनों में समय-समय पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि इसके लिए वर्कशॉप की योजना बनाई जा रही है। कानून मंत्री एच.आर. भारद्वाज का मानना है कि कानून की रूपरेखा तैयार करने में शामिल लोगों को पर्याप्त तौर पर प्रशिक्षित होने की जरूरत है, ताकि भविष्य में विधेयकों को आसान और सामान्य (भाषा) में तैयार किया जा सके। लेकिन मंत्रालय के कुछ अधिकारी हिंदी को सामान्य करने के कार्य को लेकर सोच रहे हैं, क्योंकि इसकी अपनी सीमाएं हैं। एक और महत्वपूर्ण निर्णय 'आधिकारिक (भाषा) प्रकोष्ठ' बनाने का लिया गया है, जो कानूनों को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करेगा और इन्हें हिंदी में नहीं लिखा जाएगा।

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड

कुछ महीने पहले भयंकर त्रासदी से गुजरे मालेगांव पर बनी डॉक्युमेंट्री 'सुपरमैन ऑफ मालेगांव' को इटली के एशियन फिल्म फेस्टिवल 'एशियाटिका फिल्म मीडियाले' में बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। इस बाबत डॉक्युमेंट्री के निर्माता फैज अहमद खान का कहना है कि मालेगांव पर डॉक्युमेंट्री बनाने की प्रेरणा उन्हें एक स्थानीय अखबार से मिली। इसके बाद खान लगातार मालेगांव में पावरलूम उद्योग से जुड़े मिल कामगारों के संपर्क में रहे। डॉक्युमेंट्री के विषय को देखते हुए इसे बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड मिलने का खान को पूरा भरोसा था। सोफिया कॉलिज से संचार विषय में स्नातक कर चुके खान फिल्म निर्माता मनीष झा के साथ बतौर सह निर्देशक भी काम कर चुके हैं।

मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

पालिटीशियन अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं

राजभाषा के क्षेत्र में भी अब पालिटीशियन घुस गए है और अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं । राजभाषा विभाग द्वारा कुछ प्रतिनिधि हरेक मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में नामितकिए जाते है लेकिन इसका दुरूपयोग खुलेआम हो रहा है । रेलवे की हिन्दी सलाहकार समिति में अब्दुल मनियार और इस प्रकार के बहुत से सदस्य इसका जीता जागता प्रमाण है जबकि हिन्दी से इस प्रकार के लोगों काकोई वास्ता नहीं होता , उन्हें केवल पास मिलता है और जब वे विभिन्न रेलों में प्रेक्षक के रूप में जाते है तो वहां पर महाप्रबंधकों के साथ बैठक होने के कारण अन्य स्रोतों से अच्छी आमदनी करते है। राजभाषा विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिये और केवल उन्ही लोंगों को मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों में नामित करें जो वास्तव में इसके पात्र है, मात्र मंत्री के कहने से अपात्र लोंगों को नामित करना अब बन्द होना चाहिये । यदि यह प्रथा जारी रही तो बहुत जल्दी ही भारत से राजभाषा के नाम पर हिन्दी अपने आप समाप्त हो जाएगी ।

शनिवार, 20 दिसंबर 2008

पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में बिना टिकट सफर करते हैं।

यूपी के डीजीपी विक्रम सिंह ने स्वीकार किया है कि राज्य में पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में सफर करते वक्त टिकट लेना अपनी शान के खिलाफ मानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिसवालों की शिकायत की जानी चाहिए और अधिकारियों को ऐसे पुलिसवालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस बारे में एक अभियान 21 दिसंबर से चलाया जाएगा। डीजीपी ने शुक्रवार को मीडिया के सामने स्वीकार किया कि पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में बिना टिकट सफर करते हैं। इतना ही नहीं, ये पुलिसवाले जबर्दस्ती आम लोगों को उठाकर उनकी सीट पर कब्जा कर लेते हैं। यही नहीं, कुछ पुलिसवाले तो बसों और ट्रेनों में सार्वजनिक रूप से शराब तक पीते हैं। विक्रम सिंह ने बताया कि 21 से शुरू होने वाले अभियान के तहत अधिकारी सरकारी बसों और ट्रेनों में सफर कर रहे पुलिसवालों की टिकट की जांच करेंगे। टिकट नहीं होने पर आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

I said a man like Karkare is born among मिल्लिओंस: अंतुले.

Unfazed by the controversy triggered by his remarks on the killing of former ATS chief Hemant Karkare, Minority Affairs Minister A R Antulay today said that he stuck to his stand and that both government and Congress should feel "proud" of his comments. "I always stand by the truth," said Antulay, who has sent his resignation to the Prime Minister Manmohan Singh, in the wake of the uproar after he raised questions on Karkare's killing. Asked whether he stood by what he had said two days back, he replied in the affirmative. He had said, "Whether Karkare was a victim of terrorism or terrorism plus something, I do not know..." "I said a man like Karkare is born among millions... Who pushed him in the trap of death? Who sent him there to be killed by the Pakistanis?" was Antulay's refrain. Arguing that Congress had no reason to be embarrassed by whatever he had said, Antulay said, "Both the government and the party should feel proud." He refused to confirm nor deny whether he sent his resignation to the Prime Minister. Asked whether he had been asked to resign, he said, "Does a person like Antulay need to be told to resign?" On being pestered to confirm his resignation, Antulay said, "... I am a self respected person...Forget the resignation. That is a very simple thing. I had resigned from Chief Ministership of Maharashtra...when 100% Congress MLAs were with me." To another query whether the party has sought any clarification from him, he said, "Clarification is sought when anything is hidden." Justifying his earlier demand for including riots under the purview of the National Investigation Agency (NIA), Antulay said, "On the issue of federal agency, I said what was in the hearts of millions of Indians... I have told the truth." "Nobody spoke. But I did. I said so because it has been found that a number of things are pushed under the carpet in the name of state subject. Federal agency is being made... I said it at an opportune moment as a reminder of duty," he argued. He also refused to accept the opposition's charge that Pakistan can use his remarks on the circumstances surrounding Maharashtra ATS chief Hemant Karkare's killing and questioned, "How do you say that Pakistan can use this thing?" Further clarifying his earlier remarks, Antulay said, "Karkare and two other police officers were definitely killed by the Pakistani terrorists. Even a fool knows this. What I asked was who sent Karkare and the two officers there?" He said print and electronic media twisted his comments.

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

नोट के बदले वोटः मामला स्पीकर के पास

नोट के बदले वोटः मामला स्पीकर के पास
NEW DELHI: Lok Sabha Speaker Somnath Chatterjee on Tuesday recommended a probe by the home ministry into the role of three persons who were named in the alleged 'cash-for-votes' scam that rocked Parliament during the Confidence Motion in July. The Speaker referred to the Home Ministry the matter related to Sanjeev Saxena, alleged aide of Samajwadi Party leader Amar Singh, Sudheendra Kulkarni, a close aide of senior BJP leader L K Advani, and Suhail Hindustani, a day after the Parliamentary Inquiry Committee said that there was need for further investigation into the roles played by them. In its report submitted in Lok Sabha on Monday, the Inquiry Committee, headed by V Kishore Chandra Deo, had given a clean chit to Amar Singh and Ahmed Patel, political adviser to Congress President Sonia Gandhi, saying the "material on record does not conclusively prove" that they had sent money to three BJP MPs for the "purpose of winning" them over for the Confidence Motion. "The Committee has, however, found the evidence given before the Committee by three persons involved in this episode as unconvincing and the Committee have suggested that their role in the matter needs to be investigated by investigating agencies," Chatterjee noted in the House today. "I am, accordingly, referring the matter pertaining to the said three persons to the Honourable Minister of Home Affairs for appropriate action in the light of the recommendations of the Committee," the Speaker said.

शनिवार, 13 दिसंबर 2008

प्रज्ञा के परिवार ने आरोप लगाया था कि एटीएस ने उन्हें गत 23 अक्टूबर को गिरफ्तार नहीं किया था, जैसा की रिकार्ड में दर्ज है, बल्कि उससे दो सप्ताह पहले ग

मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते द्वारा गिरफ्तार करने के बाद कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साध्वी के वकील गणेश सोवानी ने कहा, 'उन्हें गुर्दे की पथरी की समस्या है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें तकलीफ हुई थी।' उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद प्रज्ञा को मध्य मुम्बई के निजी अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा। बाद में उन्हें जसलोक अस्पताल ले जाया गया। सोवानी ने साध्वी के अस्पताल में भर्ती होने से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। प्रज्ञा के परिवार ने आरोप लगाया था कि एटीएस ने उन्हें गत 23 अक्टूबर को गिरफ्तार नहीं किया था, जैसा की रिकार्ड में दर्ज है, बल्कि उससे दो सप्ताह पहले गिरफ्तार किया था। सोवानी ने कहा कि एटीएस द्वारा गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने की शिकायत के साथ प्रज्ञा बाम्बे उच्च न्यायालय में जाएंगी। मालेगांव विस्फोट मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रज्ञा अब न्यायिक हिरासत में है।

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

कसब के बाप ने पहचाना, इससे बडा सबूत क्या हो सकता है ।

इससे बडा सबूत क्या हो सकता है ।
पाकिस्तानी अखबार ' द डॉन ' में छपी खबर के मुताबिक मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसब के पिता ने उसे पहचान लिया है। उनका कहना है कि उनके ' दुश्मनों ' ने अजमल को परिवार से अलग कर दिया। फरीदकोट के ओकारा गांव में रहने वाले अधेड़ उम्र के आमिर कसब ने कहा, ' यह सच है, मैंने उसकी तस्वीर अखबार में देखी है। यह मेरा बेटा अजमल है। ' द डॉन की रिपोर्ट के मुताबित, यह बताते वक्त आमिर कसब रोने लगा। आमिर कसब ने कहा, ' शुरुआत में कुछ दिनों तक तो मैं इस बात को मानने से इनकार करता रहा कि मुंबई में पकड़ा गया शख्स मेरा बेटा है। लेकिन अब मैंने इस बात को स्वीकार कर लिया है। भाग्य ने मुझे और मेरे परिवार के साथ गंदा मजाक किया है। ' हालांकि आमिर कसब ने यह नहीं बताया कि वह किसे ' दुश्मन ' कह रहा है लेकिन जाहिर तौर पर उसका इशारा लश्कर-ए-तैयबा की ओर था जो इस इलाके से बड़ी संख्या में नए लड़कों की भर्ती करता है। सड़क पर पकौड़े बेचने वाले आमिर कसब के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। आमिर ने बताया कि अजमल चार साल पहले घर से चला गया था। बकौल आमिर, ' उसने ईद पर नए कपड़ों की मांग की थी लेकिन मैं इसे पूरा नहीं कर पाया। वह नाराज होकर चला गया। ' जब आमिर कसब से पूछा गया कि कि उसने इतने दिनों तक अपने खोए हुए बेटे को खोजने की कोशिश क्यों नहीं की तो अपने ठेले की ओर इशारा करते हुए उसका जवाब था कि , ' इन साधनों में मुझसे जो हो सका, मैंने किया। मैं लाहौर में यही काम करता था और बाद में वापस गांव लौट आया।' आमिर कसब का सबसे बड़ा बेटा अफजल खेतों में मजदूरी करता है। जब आमिर से यह बताया गया कि अजमल को आतंक की दुनिया में ले जाने वालों ने कथित तौर पर उसके परिवार को डेढ़ लाख रुपये देने की बात कही है तो वह भड़क गया और बोला, 'मैं अपने बेटों का सौदा नहीं करता।'

प्रधान मंत्री को जिम्मेवारी लेनी चाहिये, मुंबई हमलों की ।

मुंबई में हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है। करीब 200 लोगों को जब आतंकियों ने मौत के
घाट उतार दिया , तो पूरा देश आतंक के खिलाफ एक साथ खड़ा दिखा। इस हमले को लेकर देशवासियों के भीतर भारी गुस्सा था। सरकार ने लोगों की नाराजगी कम करने के मकसद से गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को हटा दिया। पर क्या इतनी कार्रवाई सही है ? क्या इससे फिर आतंकी हमले नहीं होंगे ? आगे से इस तरह की घटनाएं नहीं हों इसके लिए क्या किए जाने चाहिए ? इन्हीं तरह के तमाम सवालों पर लोगों की राय जनाने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने सर्वे करवाया। यह सर्वे मुंबई , दिल्ली , कोलकाता , चेन्नै , बेंगलुरु , हैदराबाद , अहमदाबाद , पुणे , लखनऊ और जयपुर में किया गया। सर्वे में शामिल सभी लोग 16 से 45 साल के बीच की उम्र के थे। जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि इसके लिए कौन दोषी है , तो 43 फीसदी लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को दोषी माना। लोगों का मानना था कि पीएम को इसकी कीमत चुकानी चाहिए। मुंबई में हुए इस जिहादी हमले में पाक सरकार के हाथ होने के सवाल पर 88 फीसदी लोगों ने कहा , हां इसमें पाक सरकार का हाथ है , जबकि अन्य का मानना था कि पाक सरकार इन हमलों से अनभिज्ञ है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में चल रहे टेरर ट्रेनिंग कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया जाना चाहिए। इस पर 69 फीसदी लोगों ने हामी भरी , जबकि 26 फीसदी ने इससे इनकार किया। सर्वे में शामिल 73 फीसदी का मानना है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हमें सारे सामाजिक और व्यावसायिक संबंध खत्म कर लेने चाहिए , जबकि 25 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। होम मिनिस्टर के सवाल पर 60 फीसदी लोगों का कहना है कि चिदंबरम पाटिल से बेहतर हैं , जबकि 26 फीसदी लोग इससे समहत नहीं हैं। 14 फीसदी लोग इस सवाल पर मौन थे। सर्वे में खुलासा हुआ कि 60 फीसदी शहरी मानते हैं कि भारत विकसित देशों , खासकर अमेरिका की मुसलमान देशों के प्रति नीतियों का खमियाजा भुगत रहा है। हालांकि , हर शहर में लोग इस बात से पूरी तरह इत्तिफाक नहीं रखते। लेकिन जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि क्या कोई दूसरी सरकार इसे और बेहतर तरीके से निपटती , तो इस पर 64 फीसदी लोग अहसमत दिखे , जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना था कि दूसरी सरकार इसको कारगर तरीके निपटती। क्या डिफेंस बजट में कटौती कर आतंरिक सुरक्षा के लिए और अधिक धन मुहैया कराया जाना चाहिए ? इस पर 56 फीसदी ने कहा हां , जबकि 42 फीसदी इसके खिलाफ थे और 2 फीसदी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे। सर्वे में 77 फीसदी ने माना कि आतंरिक सुरक्षा को पूरी तरह से सेना या किसी फेडरल एजंसी को सौंप देना चाहिए। जबकि , 18 फीसदी इसके खिलाफ थे। सर्वे का सबसे अहम सवाल कि क्या कश्मीर के लिए हमें पूरे देश की शांति को दांव पर लगाना पड़ रहा है ? इस पर 76 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं , जबकि 24 फीसदी लोगों ने हामी भरी। इस सवाल पर 1 फीसदी लोग मौन थे।

बुधवार, 10 दिसंबर 2008

जेट एयरवेज हाल में अपने 1900 स्टाफ को नौकरी से निकाला

नई दिल्ली : जेट एयरवेज हाल में अपने 1900 स्टाफ को नौकरी से निकाला , पर दबाव में उसे इन स्टाफ को दोबारा नौकरी पर रखना पड़ा। यह खबर खूब चर्चा में रही। पर इससे कुछ दिन पहले भी जेट ने अपने 1 , 000 स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया था और इस मामले को दबाकर रखा गया , ताकि किसी को इसकी भनक तक न लगे। यूं कहें कि जेट ने चुपके से अपने 1 , 000 स्टाफ को निकाल दिया।
मंदी से कौन सेक्टर बेहाल
सूत्रों का कहना है कि जेट के सीईओ ने अपने निवेशकों से कहा कि जेट एयरवेज और जेटलाइट के कामकाज को सही तरीके से चलाने के लिए स्टाफ की संख्या घटाना जरूरी है और इसके बाद 1 , 000 स्टाफ की छंटनी की गई। सूत्रों के मुताबिक , जेट के सीईओ ने कहा - ' सितंबर महीने में हमने अपने स्टाफ की संख्या 1000 और कम कर दी है और अब जेट एयरवेज और जेटलाइट के बीच तारतम्यता बिठाने की कोशिश में जुटे हैं। ' गौरतलब है कि सहारा एयलाइंस को खरीदने के बाद जेट ने उसका नाम जेटलाइट कर दिया था।

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

साजिश को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैबा का एक बड़ा आतंकवादी तीन महीने से कराची में था।

न्यू यॉर्क: मुंबई हमलों की साजिश को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैबा का एक बड़ा आतंकवादी तीन महीने से कराची में था। न्यू यॉर्क टाइम्स ने लश्कर के संपर्क में रहे एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, लश्कर-ए-तैबा का कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी साजिश रचने में आतंकवादियों की मदद कर रहा था। अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि हमलावर पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। रिपोर्ट में 5 आतंकवादियों के फरार हो जाने की आशंका जताई गई है। गौरतलब है कि जिस ट्रॉलर को आतंकवादियों ने हाईजैक किया था, उसमें 10 लोगों के लिए नहीं बल्कि 15 लोगों के लिए जरूरी सामान था। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलावरों ने सैटलाइट फोन से कई सबूत छोड़े हैं। यह फोन आतंकवादियों द्वारा हाईजैक किए गए फिशिंग ट्रॉलर में पड़ा मिला था। इसमें लश्कर आतंकवादी यूसुफ मुजम्मिल का टेलिफोन नंबर भी है। यूसुफ को मुंबई हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। लंदन के एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के दो सुरक्षा विश्लेषकों एम. जे. गोहल और सज्जन एम. गोहल ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। सैटलाइट फोन से मुजम्मिल का नंबर और ताज और ओबेरॉय होटलों से मिले सेल फोनों से डायल नंबर एक हैं। ट्रॉलर से मिले सबूतों के आधार पर आशंका है कि हमले के पीछे 5 और आतंकवादी हो सकते हैं। होटलों में आतंकवादियों ने कई विदेशियों से यह पूछा कि वह किस जाति के हैं और कौन से देश से आए हैं? माना जा रहा है कि यह ब्यौरा लेने के बाद हमलावरों ने मुजम्मिल को फोन किया। इसकी पुष्टि गिरफ्तार हुए इकलौते आतंकवादी ने भी की है। होटल से बाहर आए विदेशियों ने बताया कि हमारी पहचान पूछने के बाद आतंकवादियों ने फोन पर पूछा कि इन्हें जिंदा छोड़ना है या मारना है? एक विदेशी का कहना है कि यह कॉन्फ्रंस कॉल लग रही थी और दूसरी ओर दो लोग थे। फोन रखने के बाद आतंकवादियों ने विदेशियों को छोटे-छोटे ग्रुपों में बांट दिया। तभी पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और बंधक भागने में सफल रहे। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ओबेरॉय होटल में आतंकवादियों ने सिंगापुर की एक बंधक लो वेई येन से कहा कि वह सिंगापुर में अपने पति से बात करें। आतंकवादी चाहते थे कि सिंगापुर के अधिकारी भारत से कहें कि बचाव अभियान न चलाया जाए। अगले दिन लो को मार दिया गया।

ये तो होना ही था, राणे आउट

NEW DELHI: The Congress on Saturday suspended Maharashtra leader Narayan Rane, a day after his outburst against the party president Sonia Gandhi and
a number of others when he lost the chief ministerial race. "It has been observed that after the announcement of the new leader of the CLP in Maharashtra, Narayan Rane is making public statements deliberately with a view to lowering the prestige of the Indian National Congress," said AICC general secretary Janardan Dwivedi. "The party has taken a serious view of his utterances and considering this as a case of gross indiscipline, Narayan Rane has been suspended from the party with immediate effect," he said in a statement hours before Rane was scheduled to hold a press conference in Mumbai on Saturday. Rane, who was overlooked by the party high command in favour Ashok Chavan for chief ministership, had attacked the Congress leadership on Friday accusing it of reneging on a promise to make him the chief minister. "I don't trust even Sonia Gandhi anymore", he said which party sources said was the trigger for his suspension. Rane, a leader from the Konkan area who had left Shiv Sena three years ago, had attacked not only Deshmukh but also Ashok Chavan and some central leaders and accused them of conspiring and ignoring his claim for the top job in the state

गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री संभावित

चुनाव का रूख

एग्जिट पोल क्या कहते है

दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के लिए वोटिंग हो चुकी है।
अब इंतजार है 8 तारीख का जब सामने आएगा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला। एक प्राइवट न्यूज़ चैनल वाइस ऑफ इंडिया द्वारा कराए गए एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो मामला बेहद नजदीकी है। मध्य प्रदेश में जरूर बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। आइए देखते हैं इन चारों राज्यों के बारे में क्या कहते हैं एग्जिट पोल के नतीजे- दिल्ली दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए कराए गए एग्जिट पोल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों को 32 से 38 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में 20 सीटों पर ही सिमटी बीजेपी को हालांकि इस बार 6 फीसदी वोटों का फायदा हुआ है, लेकिन वह बहुमत से फिर भी दूर है। 2003 में कांग्रेस को 47 सीटें मिली थीं। अन्य के खाते में 1 से 5 सीटें आ सकती हैं। राजस्थान एग्जिट पोल के मुताबिक 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में कांग्रेस के खाते में 102 से 114 सीटें आ सकती हैं। वहीं बीजेपी को 86 से 98 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। अन्य को 8 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है। सर्वे में बीजेपी और अन्य को 2 फीसदी वोटों का नुकसान बताया गया है। जबकि, कांग्रेस को 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश से बीजेपी के लिए कुछ राहत की खबर है। 228 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। बीजेपी को 119 से 131 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में उसे 171 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस के खाते में 78 से 90 सीटें आ सकती हैं। 2003 में 39 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को 7 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है, लेकिन सीएम की कुर्सी उसकी पहुंच से फिर भी काफी दूर है। 2003 में 18 सीटों पर कब्जा करने वाले अन्य दलों को इस बार 15 से 27 सीटें मिल सकती हैं। छत्तीसगढ़ 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन बढ़त बीजेपी को दिखाई दे रही है। सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 45 से 51 सीटें मिल सकती हैं। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। 2003 में उसके खाते में 50 सीटें आई थीं। कांग्रेस को 39 से 45 सीटें मिलने का अनुमान है। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा होगा। 2003 में उसके खाते में 37 सीटें आई थीं। अन्य को 2 से 6 सीटें मिल सकती हैं।

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

महाराष्ट्र से विलासराव का इस्तीफा सोनिया ने मंजूर किया ए. के. एंटनी

महाराष्ट्र से विलासराव का इस्तीफा सोनिया ने मंजूर किया ए. के. एंटनी

रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने बुधवार को तीनों सैन्य प्रमुखों के साथ असाधारण
बैठक में हवाई हमले की आशंकाओं पर विस्तार से विचार किया। उन्होंने सैन्य बलों के आपस में तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत बताते हुए तीनो सैन्य प्रमुखों को हवाई मार्ग से आतंकी हमलों की आशंका के प्रति सचेत किया। एंटनी ने कहा कि सभी एजंसियों के बीच बेहतर तालमेल बहुत जरूरी है ताकि खुफिया सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके़। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि रक्षा मंत्नालय के शीर्ष अधिकारियों और सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक में श्री एंटनी ने तटीय सुरक्षा को मजबूत करने और इसके लिए राडार तथा इंटरसेप्टर समेत तमाम उपकरण खरीदने के बारे में बात की। श्री एंटनी ने सैन्य प्रमुखों के साथ नियंत्रण रेखा से होने वाली घुसपैठ रोकने के उपायों पर भी बातचीत की। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रास्ते होने वाली घुसपैठ पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया जो आतंकवादियों को तैयार करने का प्रमुख अड्डा है।

थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले।

लगता है कि मुंबई में हुए हमलों से पुलिस ने कुछ सीख ली है। पुलिस की चौकसी की वजह से बुध
वार को सीएसटी पर एक बड़ी घटना होने से बच गई। पुलिस ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी स्टेशन से बम से भरे दो थैले बरामद किए हैं। इन थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले। खबर मिली कि है सीएसटी स्टेशन पर पुलिस ने विस्फोटक से भरे दो थैले बरामद किए हैं। हर एक थैले में 4-4 किलो विस्फोटक रखे गए थे। मुंबई पुलिस से सक्रियता दिखाते हुए सारे विस्फोटक निष्क्रिय कर दिए।

थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले।

लगता है कि मुंबई में हुए हमलों से पुलिस ने कुछ सीख ली है। पुलिस की चौकसी की वजह से बुध
वार को सीएसटी पर एक बड़ी घटना होने से बच गई। पुलिस ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी स्टेशन से बम से भरे दो थैले बरामद किए हैं। इन थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले। खबर मिली कि है सीएसटी स्टेशन पर पुलिस ने विस्फोटक से भरे दो थैले बरामद किए हैं। हर एक थैले में 4-4 किलो विस्फोटक रखे गए थे। मुंबई पुलिस से सक्रियता दिखाते हुए सारे विस्फोटक निष्क्रिय कर दिए।

सोमवार, 1 दिसंबर 2008


अमिताभ बच्चन आमतौर पर अपनी भावनाएं अपने ब्लॉग के जरिए ही जाहिर करते हैं। लेकिन रविवार को वह इतने दुखी और उत्तेजित थे कि उन्होंने मुझे एक एसएमएस भेजा। यह एसएमएस उन्हें राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भेजा था।
इस एसएमएस में लिखा था - मुंबई हमले में जितने भी लोगों ने शहर को बचाते हुए अपनी जान गंवाई है, वे सब मराठी थे। एमएनएस वर्कर इस वक्त रक्त दान, पुलिस की मदद और शव उठाने में बिजी हैं। इस बात पर अमिताभ बच्चन बेहद खफा हैं। वह कहते हैं कि क्या ये लोग इससे भी नीचे गिर सकते हैं ? जब एनएसजी, आर्मी और नेवी पूरे देश और दुनियाभर के लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं, ये लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं। बिग बी इन नेताओं पर गुस्सा जाहिर करने वाले अकेले नहीं हैं। बुधवार शाम से ही इस तरह के एसएमएस आ रहे थे कि मुंबई पर हक जताने वाले राज ठाकरे कहां हैं।
दूसरी तरफ
नई दिल्लीः मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद नेताओं के नाम पर इतनी थू-थू हुई है कि लगता है राजनेता बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में अजीब-ओ-गरीब बयान सामने आ रहे हैं। नया कारनामा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का है। नकवी ने मुंबई में राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं कुछ महिलाओं के बारे में कहा कि ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी। नकवी ने इन महिलाओं की तुलना कश्मीर के अलगाववादियों से कर दी। उन्होंने कहा कि नेताओं के विरोध में नारे लगाने वाले ग्रुपों की जांच होनी चाहिए। नकवी के इस बयान पर बीजेपी भी मुश्किल में आ गई है। आनन-फानन में बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने बयान जारी किया कि यह नकवी के अपने विचार हैं और बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन नकवी की यह टिप्पणी कई महिला संगठनों को नागवार गुजरी है और उनका विरोध शुरू हो गया है। विमिंस पावर कनेक्ट की अध्यक्ष रंजना कुमारी ने कहा है कि यह एक मूर्खतापूर्ण बयान है और इस तरह के लोग नेता होने के लायक ही नहीं हैं। रंजना से साफ किया कि इस वक्त जो विरोध हो रहा है वह लोकतंत्र का नहीं बल्कि नेताओं के गैरजिम्मेदाराना रवैये का विरोध है। लिपस्टिक और पाउडर पर कॉमेंट करके ये नेता यही गैरजिम्मेदारी और मूर्खता ही साबित कर रहे हैं।

"Raj Thackeray kept mum in recent times because of the pressure created by us due to the resignations

The Mumbai terror attacks have made arch rivals JD(U) and RJD change tack on the Maharashtra issue. The high-pitched political war of words against each other appears to have come to an end. Over one month ago when Raj Thackeray-led MNS goons beat up Biharis in Mumbai, there was a rare show of unity for a brief period among the political class of Bihar. It was followed by the usual game of one-upmanship between JD(U) and RJD which was turning dirtier by the day. "The Mumbai terror attacks are a national issue. All other issues are secondary. We can fight on other issues another day," said RJD's national spokesperson Shyam Rajak. Before November 26, RJD had launched a campaign demanding the resignation of CM Nitish Kumar to prove his love for Biharis, post-MNS attacks on them in Mumbai. The JD(U), whose MPs quit the Lok Sabha to protest the developments in Maharashtra and demand dismissal of the government there, is struggling to salvage the issue it had hoped to make a big poll issue. The party has organized a series of functions from December 20 to "felicitate" its MPs who resigned "for the sake of Bihar and Biharis". "Raj Thackeray kept mum in recent times because of the pressure created by us due to the resignations," said Rajiv Ranjan Singh, state JD(U) president and one of the five MPs who resigned. The party hopes to mix up the terror issue with the anti-North Indian stir for political mileage. "The Maharashtra government and the UPA government at the Centre have failed to check terror attacks. It has also been aiding and patronizing terror tactics of Raj Thackeray. What else was Thackeray doing if not spreading terror?" he asked. However, political pundits see the ebbing of the anti-MNS stir in Bihar. "The Mumbai terror attacks have left both UPA and NDA leaders `speechless' on the issue of the anti-North Indian stir in Maharashtra," said a former minister of RJD. "The issue, which had evoked strong protests in Bihar by students and political establishments, appears to have been put on the backburner," he added.

"Terrorists may be Muslim by birth but they are actually radical Muslims

PATNA: For a majority of Indian Muslims, the terror outfits like Lashkar-e-Taiba, Indian Mujahideen, Harkat-ul-Jehad, Al-Badr, Deccan Mujahideen may be alien but because of these elusive organisations, the community is being seen with suspicion. The series of terror attacks in recent past has definitely left an adverse impact on the psyche of Muslims, particularly the youth who have developed a sense of insecurity. "The frustration among them is leading them to nowhere," said Prof Shamim Ahmad Munami. Mohammad Afzal said he is upset. "My friends have started looking at me with suspicion," said the 22-year-old science student living in one of the private lodges in dingy lanes in Sabzibagh. "Like me several others are being ignored and sidelined for no fault of us. Our friends look at us as if we are responsible for the Mumbai terror," lamented a visibly shaken youth. "Muslims are indeed suffering from fear psychosis due to the misdeeds of a few," said Syed Akbar Ali, a retired professor of psychology. "Terrorists may be Muslim by birth but they are actually radical Muslims who have fully deviated from Islamic ethos. Islam preaches peace and compassion and those indulging in violence are only defaming the religion," he asserted. However, prominent surgeon Dr A A Hai disagreed. "I don't think Muslims are feeling guilty. Some may be feeling shaky while some ashamed but majority of Muslims feel whatever is happening is wrong and they condemn it," he said. "If a person, identified as Muslim, is killing innocents then he cannot be a Muslim," he added. "The entire community cannot be blamed for the misdeeds of a few people nor can terrorism be seen through any religious angle," said Advantage Media managing director Khurshid Ahmad. Tagging violence to religion will be counter-productive, he added. Maulana Anisur Rahman Quasmi of Imarat Shariah was critical of the tendency to link religion with terror. "This is very harmful for the country and it is badly affecting the psyche of youths of all religions," he said. All India Muslim Personal Law Board general secretary Maulana Syed Nizamuddin refused to share the perception that only Muslims are involved in terrorism. "The Mumbai attack was a well planned conspiracy and it cannot be a handiwork of a handful of Muslims. Everything should be seen in totality whether it is the Batla House encounter or Malegaon blasts," the cleric said.

रविवार, 30 नवंबर 2008

संसदीय समिति के दौरे से संबंधित ड्यूटी पर तैनात श्री राजीव सारस्वत शहीद

संसदीय समिति के दौरे से संबंधित ड्यूटी पर तैनात श्री राजीव सारस्वत शहीद

हिनदूस्तान पैट्रोलियम कॉर्पोरेशन लि. मुंबई मे प्रबंधक राजभाषा के पद पर कार्यरत श्री राजीव सारस्वत ताज हॉटेल में संसदीय समिति के दौरे से संबंधित ड्यूटी पर तैनात थे । सरकारी काम पर रहते हुए आतंकी हमले के दौरान शहीद हो गए ।

मुरादाबाद उत्तर प्रदेश निवासी श्री राजीव सारस्वत विगत 20 से भी अधिक वर्षोसे मुंबई में पत्रकारिता लेखन एवं साहित्य से जुडे थे । हसमुख एवं मिलनसार व्यक्तितव मे मालिक श्री राजीव सारस्वत संबंदनशील कवि भी थे । महानगर मुंबई में वे राजभाषा हिन्दी प्रेमी के रूप में खासे लोकप्रिय थे । राजभाषा के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है । मुबई की कई साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं केवे पदाधिकारी रहे हैं । वे एक अच्छे मंच संचालक के रूप में भी जाने जाते रहे हैं । विशेषकर प्रश्नमंच एवं क्विज जैसे कार्यक्रमों के संचालन में उन्हे महारत हासिल थी । ऐसे कार्यक्रमों के संचालन केलिए व मुंबई से बाहर भी बुलाए जाते रहे हैं ।
उन्होने छोटे- बडे लगभग दो सौ कार्यक्रमों का सफल संचालन किया , उनके आक्समिक निधन से न केवल एक हिन्दी प्रेमी वरन् एक उभरता हुआ रचनाकार संवेदनशील साहित्यकार खोगया है जिसकी क्षति लंबे समय तक महसूस की जाती रहेगी ।

उनके आक्समिक निधन पर महानगर की अनेक संस्थाओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है और शोक संतृप्त परिवार के प्रति अपनी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि प्रेषित की है जिनमें प्रमुख है - श्रुति संवाद साहितय कला अकादमी, नवी मुंबई, बतरत, वाग्धारा , हिन्दीप्रचार एवं शोध संस्थान, हिन्दी कंपयूटिंग फाउण्डेशन, आर्शीवाद, आदि ।

शनिवार, 29 नवंबर 2008

दूसरों की जिंदगियों से खेलने वालों की जब अपनी जान

दूसरों की जिंदगियों से खेलने वालों की जब अपनी जान पर बन आती है तो वह कैसे गिड़गिड़ाने लगते हैं, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से गिफ्तार आतंकी ने कुछ यही दिखाया। सीएसटी पर हमला कर भाग रहे इस 18 साल के बांग्लादेशी युवक को पुलिस ने तुरंत धर दबोचा था। उसका साथी पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया था। गोली लगने से घायल हुए इस आतंकी युवक को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। शुरुआत में तो वह कुछ नहीं बोला, लेकिन जब उसे अहसास हुआ कि उसका एक साथी मारा गया है तो वह बुरी तरह से टूट गया। इसके बाद वह लगा अपनी जान की भीख मांगने। उसने सुरक्षा बलों और मेडिकल स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया। ' प्लीज मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहता। ' कुछ यही शब्द थे उसके। पुलिस ने जब उसकी तलाशी ली, तो उससे हथियार और मोबाइल फोन बरामद किया गया। यही नहीं छत्रपति शिवाजी टर्मिनल में कैसे तबाही मचानी है, उसके पास इसका बाकायदा एक मास्टर प्लान मौजूद था। उसे करीब चार घंटे तक अस्पताल में रखा गया। डॉक्टरों ने उसके शरीर से गोली निकाली और सुरक्षा बलों को सौंप दिया। इसके बाद उसे अनजान जगह पर ले जाया गया। इस दौरान वह इतना डरा हुआ था कि वह फिर गिड़गिड़ाने लगा। लेकिन इस बार अपनी जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि खुद को मार दिए जाने के लिए। वह सुरक्षा बलों से बार-बार कह रहा था, 'अब मैं जीना नहीं चाहता। मुझे मार दो।' मुंबई में आतंक की इबारत रखने वाले इतनी कम उम्र और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले युवकों के शामिल होने से आतंक का एक नया चेहरा सामने आया है।

टूरिस्टों की एंट्री व एक्जिट को पूरी तरह रेगयुलेट करने को कहा है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने होटेल इंडस्ट्री से होटेल
में आने वाले सभी टूरिस्टों की एंट्री व एक्जिट को पूरी तरह रेगयुलेट करने को कहा है। साथ ही होटेल के भीतर और परिसर में सिक्यूरिटी सिस्टम को अधिक मजबूत करने का भी सुझाव दिया है। सूत्रों का कहना है कि मुंबई के जिन होटेलों में आतंकवादी घुसे हैं, वहां सिक्यूरिटी बहुत ज्यादा कड़ी नहीं थी। एक रुटीन सिक्यूरिटी लागू रहती थी। होटेलों के अपने सिक्यूरिटी कंट्रोल रूम भी बहुत इफेक्टिव नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि जरूरत के हिसाब से मुंबई सहित दिल्ली और अन्य राज्यों के सभी होटेलों में जनरल सिक्यूरिटी का इंतजाम रहता है। आतंकवादियों को यह बात मालूम थी कि वे इन तीनों होटेलों में बिना किसी प्रतिरोध के प्रवेश कर सकते हैं। आतंकवादियों ने बहुत ही प्लानिंग के साथ इन होटेलों को अपना टारगेट चुना। बताया जाता है कि होटेलों में घुसने के बाद इनका अपने आतंकवादी ग्रुप के साथ कम्यूनिकेशन भी आसानी से बना रहा, जिससे उन्हें अपने आतंकी इरादों को अंजाम देना और आसान हो गया। अब सुझाव है कि सभी लेवल के होटेल मैनिजमंट अपने होटलों की मुख्य लॉबी और हर फ्लोर पर रणनीतिक तरीके से क्लोज सर्किट कैमरे फिट करें ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना रोकने में उनसे मदद मिल सके। बड़े होटेलों के अलार्म सिस्टम को पुलिस कंट्रोल रूम से जोड़ा जाए। इस बीच भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के अशोक होटेल सहित सभी होटेलों में सिक्यूरिटी इंतजाम और मजबूत कर दिए गए हैं। अशोक होटेल, सम्राट होटेल और जनपथ होटेल में सभी प्रमुख बिंदुओं पर मेटल डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि यहां तक कि आने वाले मेहमानों के समान को भी मेटल डिटेक्टर से पास कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही हर फ्लोर पर अलग से सिक्यूरिटी पर्सनल तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं।

आतंक का मुकाबला करने में धर्म कहीं से आड़े नहीं आता।

मुंबई की आतंकी घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। लोगों को लग रहा
है कि जिहाद के नाम पर देश को बांटने की साजिश हो रही है। लेकिन फरीदाबाद के सेक्टर 48 में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार ने यह साबित कर दिया है कि आतंक का मुकाबला करने में धर्म कहीं से आड़े नहीं आता। यह परिवार पिछले तीन दिनों से गौतम के परिजनों को संबल देने का काम कर रहा है। शमशाद का कहना है वह पड़ोसी धर्म का पालन कर रहे हैं। उनका कहना है कि आतंकी का किसी मजहब से वास्ता नहीं होता है। मुंबई में आतंकी हमले में मारे गए स्टूडंट गौतम गुसाईं के घर पर शमसाद अख्तर का परिवार गुरुवार सुबह से ही मौजूद है। ये लोग हर पल की तकलीफों को कम करने में जुटे हैं। इस परिवार ने मजहब को बांटने की कोशिश करने वालों को मेसिज दे दिया है कि वह कुछ भी कर लें अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकते। इस दुख की घड़ी में सेक्टर के लोग भी गुसाईं परिवार का दर्द बांटने के लिए साथ खड़े हैं। शुक्रवार को भी घर के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ लगी रही। वहां मौजूद हर शख्स की जुबान पर सिर्फ गौतम का ही नाम था। शमसाद अख्तर कहते हैं कि इस दुख की घड़ी में वे गुसाईं परिवार के साथ खड़े हैं। जब उन्होंने गौतम के बारे में खबर सुनी फौरन देव सिंह गुसाईं के घर की तरफ दौड़ पड़े। घर के अंदर जब पहुंचे तो एक तरफ देव बेसुध पड़े थे, तो दूसरी तरफ उनकी पत्नी बदहवाश हालत में घर के अंदर इधर-उधर भटक रही थी। ऐसी हालत में उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था। इतने में उनकी पत्नी भी वहां आ गई। इससे उन्हें संभालने का मौका मिला। धीरे-धीरे उन्हें देव सिंह के परिचितों को घटना की जानकारी दी। वह कहते हैं कि उन्होंने मुंबई जाने की भी इच्छा थी, लेकिन कुछ लोगों ने यहां आए बाकी परिवार वालों का ध्यान रखने की बात कहकर रोक लिया।

आतंकवादियों ने हमले से पहले प्रमुख स्थलों की जानकारी प्राप्त की थी

मुंबई: ताज होटल से कमांडो कार्रवाई कर आतंकवादियों को मार गिराने वाले मरीन कमांड
ो ने दोपहर को बताया कि आतंकवादियों ने हमले से पहले प्रमुख स्थलों की जानकारी प्राप्त की थी और उन्हें होटल की इमारत की भी जानकारी थी। भारतीय नौसेना के प्रतिष्ठित मरीन कमांडो (मारकोस) ने कहा कि उनकी टीम को तीन से चार आतंकवादियों का आभास हुआ, जो संभवत: अलग-अलग तलों से हमले कर रहे थे। उन्हें ताज होटल की रचना के बारे में जानकारी थी, जहां वे करीब 40 घंटे से थे। कमांडो दल ने होटेल में 50 शव देखे। उन्होंने कहा, '12से 15 शव केवल एक कमरे में देखे गये।' काला स्कार्फ पहने और चश्मा लगाए हुए अज्ञात कमांडो ने संवाददाताओं से कहा, 'वे ऐसे किस्म के लोग थे, जिन्हें कोई पश्चाताप नहीं था। उनके सामने जो भी आया, उसे गोली मार दी।' उन्होंने बताया कि ताज होटल से भाग जाने में सफल रहे एक आतंकवादी के थैले से मॉरीशस के एक नागरिक का पहचान पत्र बरामद किया गया है। उन्होंने बताया कि आतंकवादी अलग-अलग मंजिलों से ग्रेनेड फेंक रहे थे और गोलियां चला रहे थे। अंधेरा होने के कारण उन्हें देखा नहीं जा सका और वे आसानी से काम कर रहे थे। मारकोस ने कहा, 'लाशें नीचे इधर-उधर पड़ी हुई थीं। हर तरफ खून था और इन नागरिकों को बचाने के लिए हमें काफी सतर्क रहना पड़ा था।' आतंकवादियों के पास जो हथियार थे, उन्हें चलाने के लिए इन्हें प्रशिक्षण दिया गया होगा। सभी लोग एके सीरीज के हथियार नहीं चला सकते।

राजीव सारस्वत का अभी भी पता नहीं,

राजीव सारस्वत का अभी भी पता नहीं, वह होटल में संसदीय समिति के काम पर थे ।
नरीमन हाउस को आतंकवादियों से खाली करवा लिया गया है..यह घोषणा सुनते ही वहां मौजूद लोगों ने जय-जयकार शुरू कर दी। मुझे यकीन है टीवी के आगे बंधे बैठे पूरे मुल्क के बहुत सारे लोग उस जय-जयकार में शामिल थे। मैं नहीं था। चाहते हुए भी नहीं...बल्कि मुझे तो शर्म आ रही थी। मरीन हाउस के ' गौरवपूर्ण ' दृश्यों को दिखाते टीवी एंकर बोल रहे थे – यह गर्व की बात है , हमारे बहादुर जवानों ने आतंक पर एक जंग जीत ली है , नरीमन हाउस पर कब्जा हो गया है। नीचे न्यूज फ्लैश चल रहा था – नरीमन हाउस में आतंकियों का सफाया...दो आतंकी मारे गए...पांच बंधकों के भी शव मिले...एक एनएसजी कमांडो शहीद। किस बात पर गर्व करें ? पांच मासूम जानें और एक बेशकीमती सैनिक खो देने के बाद दो आतंकवादियों के सफाए पर ? 10-20-50 लोग मनचाहे हथियार और गोलाबारूद लेकर आपके देश में घुसते हैं। जहां चाहे बम फोड़ देते हैं। खुलेआम सड़कों पर फायरिंग करते हैं। आपकी बेहद आलीशान और सुरक्षित इमारतों पर कब्जा कर लेते हैं। आपकी पुलिस के सबसे बड़े ओहदों पर बैठे अफसरों को मार गिराते हैं। सैकड़ों लोगों को कत्ल कर देते हैं। आपके मेहमानों को बंधक बना लेते हैं। आपकी खेल प्रतियोगिताओं को बंद करवा देते हैं। आपके प्रधानमंत्री और बड़े-बड़े नेताओं की घिग्घी बांध देते हैं। तीन दिन तक आपके सबसे कुशल सैकड़ों सैनिकों के साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेलते हैं और इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वे सोचकर आए थे...इसे आप जीत कहेंगे ? क्या यह गर्व करने लायक बात है ? आपको क्या लगता है , देश पर सबसे बड़ा आतंकी हमला करनेवाले आतंकवादियों को मारकर आतंक के खिलाफ यह जंग हमने जीत ली है ? हम इस जंग में बुरी तरह हार गए हैं। उन लोगों ने जो चाहा किया , जिसे चाहा मारा , जिस हद तक खींच सके खींचा। आपको क्या लगता है , बंधकों को सेना ने बचाया है ? जब वे होटलों में घुसे तो हजारों लोग उनके निशाने पर थे। वे चाहते तो सबको मार सकते थे। उनके पास इतना गोला-बारूद था कि ताज और ओबरॉय होटेलों का नाम-ओ-निशान तक नहीं बचता। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इंतजार किया कि पूरी दुनिया का मीडिया उनके आगे घुटने टेक कर और जमीन पर लेटकर यह दिखाने को मजबूर हो जाए कि वे क्या कर सकते हैं। उनकी चलाई एक-एक गोली पर रिपोर्टर्स चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे – देखिए एक गोली और चली। इसे आप जीत कहेंगे ? यह देश पर सबसे बड़ा आतंकी हमला था...1993 के बम ब्लास्ट के बाद भी यही कहा गया था। जब वे हमारा जहाज कंधार उड़ा ले गए थे , तब भी यही कहा था। संसद पर हमला हुआ तब भी यह शब्द थे। अहमदाबाद को उड़ाया था , तब भी सब यही सोच रहे थे। दिल्ली , जयपुर , मुंबई लोकल...हर बार उनका हमला बड़ा होता गया...क्या लगता है अब इससे बड़ा हमला नहीं हो सकता ? बड़े आराम से होगा और हम तब भी यही कह रहे होंगे। क्या इसका इलाज अफजल की फांसी में है ? क्या इसका इलाज पाकिस्तान पर हमले में है ? क्या इसका इलाज पोटा में है ? आतंकियों ने अपने ई-मेल में लिखा था कि वे महाराष्ट्र एटीएस के मुसलमानों पर जुल्म का बदला ले रहे हैं। वे गुजरात का बदला ले रहे हैं। वे आजमगढ़ का बदला ले रहे हैं। वे धर्म के नाम पर लड़ रहे हैं। भले ही उनकी गोलियों से मुसलमान भी मरे , लेकिन वे मुसलमानों के नाम पर लड़ रहे हैं। शर्म आनी चाहिए उन मुसलमानों को जो इस लड़ाई को अपनी मानते हैं। लेकिन यूपी के किसी छोटे से शहर के कॉलेज में पढ़ने वाला 20-25 साल का मुस्लिम लड़का जब देखेगा कि आजमगढ़ से हुई किसी भी गिरफ्तारी को सही ठहरा देने वाले लोग कर्नल पुरोहित और दयानंद पांडे से चल रही पूछताछ पर ही सवाल उठा देते हैं , तो क्या वह धर्म के नाम पर हो रही इस लड़ाई से प्रभावित नहीं होगा ? क्या गुजरात को गोधरा की ' प्रतिक्रिया ' बताने वाले लोग मुंबई को गुजरात की प्रतिक्रिया मानने से इनकार कर पाएंगे ? और अब क्या इस प्रतिक्रिया की प्रतिक्रिया यह हो कि कुछ और मालेगांव किए जाएं ? और फिर जवाबी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया जाए ? फिर हिंदू प्रतिक्रिया हो... फिर...लेकिन क्या इससे आतंकवादी हमले बंद हो जाएंगे ? क्या इससे जंग जीती जा सकेगी ? जो लोग कहते हैं कि अफज़ल को फांसी हो जाती तो ऐसे हमले नहीं होते , वे भूल जाते हैं कि ये सारे आतंकवादी वे हैं जो जानते हैं कि वे इस ऑपरेशन में बच नहीं पाएंगे। वे मरने और मारने के लिए ही आए हैं। इसलिए यह कहना कि मौत का डर कुछ और लोगों को आतंकवादी बनने से रोक देगा , नादानी है। पाकिस्तान पर हमले की बात भी बचकानी है। जो यह कह रहे हैं , वे भारत को अमेरिका और पाकिस्तान को अफगानिस्तान समझ रहे हैं। यानी पाकिस्तान चूहा और हम शेर। जबकि हकीकत में दोनों सैन्य ताकत तकरीबन बराबर है। ऐटम बम दोनों के पास हैं और जैसे ही पहली गोली चलेगी , बाकी दुनिया दोनों को रोकने के लिए बीच में आ जाएगी। वैसे भी हम तब तक कोई कदम नहीं उठा सकते जब तक यह साफ न हो जाए कि जरदारी सरकार या पाक सेना डायरेक्टली इसमें शामिल है। इसलिए हमले से कुछ हासिल नहीं होगा जैसे कि पिछली तीन लड़ाइयों में कुछ हासिल नहीं हुआ। रही पोटा कानून की बात तो अगर आप मुंबई हमलों के पीछे की तैयारी की खबर पढ़ रहे होंगे तो आपको मालूम हो गया होगा कि गोला-बारूद गुजरात से होकर आया जहां नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवादी पुलिस का राज चलता है। लेकिन राष्ट्रवाद का मतलब यह तो नहीं कि सारे नेता और पुलिस पैसों का महत्व भूल जाएं। तो जिस देश में आप 500 रुपये के बल पर पुलिस से कोई भी ट्रक पार करवा सकते हैं , वहां क्या यह हैरत की बात नहीं कि आतंकवादी घटनाएं इतनी कम कैसे होती हैं। वैसे भी जब पोटा था , तब भी आतंकवाद था , जब नहीं है , तब भी आतंकवाद है।

राजीव सारस्वत का अभी भी पता नहीं,

राजीव सारस्वत का अभी भी पता नहीं, वह होटल में संसदीय समिति के काम पर थे ।
नरीमन हाउस को आतंकवादियों से खाली करवा लिया गया है..यह घोषणा सुनते ही वहां मौजूद लोगों ने जय-जयकार शुरू कर दी। मुझे यकीन है टीवी के आगे बंधे बैठे पूरे मुल्क के बहुत सारे लोग उस जय-जयकार में शामिल थे। मैं नहीं था। चाहते हुए भी नहीं...बल्कि मुझे तो शर्म आ रही थी। मरीन हाउस के ' गौरवपूर्ण ' दृश्यों को दिखाते टीवी एंकर बोल रहे थे – यह गर्व की बात है , हमारे बहादुर जवानों ने आतंक पर एक जंग जीत ली है , नरीमन हाउस पर कब्जा हो गया है। नीचे न्यूज फ्लैश चल रहा था – नरीमन हाउस में आतंकियों का सफाया...दो आतंकी मारे गए...पांच बंधकों के भी शव मिले...एक एनएसजी कमांडो शहीद। किस बात पर गर्व करें ? पांच मासूम जानें और एक बेशकीमती सैनिक खो देने के बाद दो आतंकवादियों के सफाए पर ? 10-20-50 लोग मनचाहे हथियार और गोलाबारूद लेकर आपके देश में घुसते हैं। जहां चाहे बम फोड़ देते हैं। खुलेआम सड़कों पर फायरिंग करते हैं। आपकी बेहद आलीशान और सुरक्षित इमारतों पर कब्जा कर लेते हैं। आपकी पुलिस के सबसे बड़े ओहदों पर बैठे अफसरों को मार गिराते हैं। सैकड़ों लोगों को कत्ल कर देते हैं। आपके मेहमानों को बंधक बना लेते हैं। आपकी खेल प्रतियोगिताओं को बंद करवा देते हैं। आपके प्रधानमंत्री और बड़े-बड़े नेताओं की घिग्घी बांध देते हैं। तीन दिन तक आपके सबसे कुशल सैकड़ों सैनिकों के साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेलते हैं और इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वे सोचकर आए थे...इसे आप जीत कहेंगे ? क्या यह गर्व करने लायक बात है ? आपको क्या लगता है , देश पर सबसे बड़ा आतंकी हमला करनेवाले आतंकवादियों को मारकर आतंक के खिलाफ यह जंग हमने जीत ली है ? हम इस जंग में बुरी तरह हार गए हैं। उन लोगों ने जो चाहा किया , जिसे चाहा मारा , जिस हद तक खींच सके खींचा। आपको क्या लगता है , बंधकों को सेना ने बचाया है ? जब वे होटलों में घुसे तो हजारों लोग उनके निशाने पर थे। वे चाहते तो सबको मार सकते थे। उनके पास इतना गोला-बारूद था कि ताज और ओबरॉय होटेलों का नाम-ओ-निशान तक नहीं बचता। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इंतजार किया कि पूरी दुनिया का मीडिया उनके आगे घुटने टेक कर और जमीन पर लेटकर यह दिखाने को मजबूर हो जाए कि वे क्या कर सकते हैं। उनकी चलाई एक-एक गोली पर रिपोर्टर्स चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे – देखिए एक गोली और चली। इसे आप जीत कहेंगे ? यह देश पर सबसे बड़ा आतंकी हमला था...1993 के बम ब्लास्ट के बाद भी यही कहा गया था। जब वे हमारा जहाज कंधार उड़ा ले गए थे , तब भी यही कहा था। संसद पर हमला हुआ तब भी यह शब्द थे। अहमदाबाद को उड़ाया था , तब भी सब यही सोच रहे थे। दिल्ली , जयपुर , मुंबई लोकल...हर बार उनका हमला बड़ा होता गया...क्या लगता है अब इससे बड़ा हमला नहीं हो सकता ? बड़े आराम से होगा और हम तब भी यही कह रहे होंगे। क्या इसका इलाज अफजल की फांसी में है ? क्या इसका इलाज पाकिस्तान पर हमले में है ? क्या इसका इलाज पोटा में है ? आतंकियों ने अपने ई-मेल में लिखा था कि वे महाराष्ट्र एटीएस के मुसलमानों पर जुल्म का बदला ले रहे हैं। वे गुजरात का बदला ले रहे हैं। वे आजमगढ़ का बदला ले रहे हैं। वे धर्म के नाम पर लड़ रहे हैं। भले ही उनकी गोलियों से मुसलमान भी मरे , लेकिन वे मुसलमानों के नाम पर लड़ रहे हैं। शर्म आनी चाहिए उन मुसलमानों को जो इस लड़ाई को अपनी मानते हैं। लेकिन यूपी के किसी छोटे से शहर के कॉलेज में पढ़ने वाला 20-25 साल का मुस्लिम लड़का जब देखेगा कि आजमगढ़ से हुई किसी भी गिरफ्तारी को सही ठहरा देने वाले लोग कर्नल पुरोहित और दयानंद पांडे से चल रही पूछताछ पर ही सवाल उठा देते हैं , तो क्या वह धर्म के नाम पर हो रही इस लड़ाई से प्रभावित नहीं होगा ? क्या गुजरात को गोधरा की ' प्रतिक्रिया ' बताने वाले लोग मुंबई को गुजरात की प्रतिक्रिया मानने से इनकार कर पाएंगे ? और अब क्या इस प्रतिक्रिया की प्रतिक्रिया यह हो कि कुछ और मालेगांव किए जाएं ? और फिर जवाबी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया जाए ? फिर हिंदू प्रतिक्रिया हो... फिर...लेकिन क्या इससे आतंकवादी हमले बंद हो जाएंगे ? क्या इससे जंग जीती जा सकेगी ? जो लोग कहते हैं कि अफज़ल को फांसी हो जाती तो ऐसे हमले नहीं होते , वे भूल जाते हैं कि ये सारे आतंकवादी वे हैं जो जानते हैं कि वे इस ऑपरेशन में बच नहीं पाएंगे। वे मरने और मारने के लिए ही आए हैं। इसलिए यह कहना कि मौत का डर कुछ और लोगों को आतंकवादी बनने से रोक देगा , नादानी है। पाकिस्तान पर हमले की बात भी बचकानी है। जो यह कह रहे हैं , वे भारत को अमेरिका और पाकिस्तान को अफगानिस्तान समझ रहे हैं। यानी पाकिस्तान चूहा और हम शेर। जबकि हकीकत में दोनों सैन्य ताकत तकरीबन बराबर है। ऐटम बम दोनों के पास हैं और जैसे ही पहली गोली चलेगी , बाकी दुनिया दोनों को रोकने के लिए बीच में आ जाएगी। वैसे भी हम तब तक कोई कदम नहीं उठा सकते जब तक यह साफ न हो जाए कि जरदारी सरकार या पाक सेना डायरेक्टली इसमें शामिल है। इसलिए हमले से कुछ हासिल नहीं होगा जैसे कि पिछली तीन लड़ाइयों में कुछ हासिल नहीं हुआ। रही पोटा कानून की बात तो अगर आप मुंबई हमलों के पीछे की तैयारी की खबर पढ़ रहे होंगे तो आपको मालूम हो गया होगा कि गोला-बारूद गुजरात से होकर आया जहां नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवादी पुलिस का राज चलता है। लेकिन राष्ट्रवाद का मतलब यह तो नहीं कि सारे नेता और पुलिस पैसों का महत्व भूल जाएं। तो जिस देश में आप 500 रुपये के बल पर पुलिस से कोई भी ट्रक पार करवा सकते हैं , वहां क्या यह हैरत की बात नहीं कि आतंकवादी घटनाएं इतनी कम कैसे होती हैं। वैसे भी जब पोटा था , तब भी आतंकवाद था , जब नहीं है , तब भी आतंकवाद है।

गुरुवार, 27 नवंबर 2008

इस साल अब तक देशभर में 11 बड़े आतंकवादी हमले हो चुके हैं।

इस साल अब तक देशभर में 11 बड़े आतंकवादी हमले हो चुके हैं। इन हमलों में 340 से ज्यादा लोगों की जानें गई हैं।
26 नवंबर 2008, मुबईः कम से कम 80 लोगों की मौत। एटीएस चीफ समेत 5 बड़े पुलिस अफसर और 6 पुलिसकर्मी शहीद। आतंकियों ने 10 जगह अंधाधुंध फायरिंग की। दो फाइव स्टार होटलों में सैकड़ों लोगों को बंधक बनाया। 30 अक्टूबर 2008, असमः 18 सीरियल ब्लास्ट। 77 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल। 21 अक्टूबर 2008, इम्फालः पुलिस कमांडो कॉम्पलेक्स के सामने ब्लास्ट। 17 लोगों की मौत। 29 सितंबर 2008, मालेगांवः भीड़ भरे बाजार में खड़ी बाइक पर बम फटा। 5 लोगों की मौत। 29 सितंबर 2008, मोडासाः गुजरात के छोटे से कस्बे में बाजार में बम फटा। एक बच्चे की मौत। 27 सितंबर 2008, दिल्लीः महरौली के बाजार में बाइक सवारों ने बम फेंका। 3 लोगों की मौत। 13 सितंबर 2008, दिल्लीः शहर में कई जगह 6 ब्लास्ट। 26 लोगों की मौत। 26 जुलाई 2008 , अहमदाबादः दो घंटों के भीतर 20 जगह बम ब्लास्ट। 57 लोगों की मौत। 25 जुलाई 2008, बेंगलुरुः कम क्षमता के बम विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत। 13 मई 2008, जयपुरः सीरियल बम ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत। जनवरी 2008, रामपुरः सीआरपीएफ कैंप पर आतंकवादियों की अंधाधुंध फायरिंग। 8 जवानों की मौत।
मुंबई पर हुए आतंकवादी हमला अपनी तरह का पहला हमला है। इस हमले में दहशत फैलाने का हर हथकंडा इस्तेमाल किया गया है फिर चाहे वह सड़कों पर खुलेआम फायरिंग हो या मासूम नागरिकों को बंधक बनाना , हर उस तरीके का इस्तेमाल आतंकवादियों ने किया है , जो डर पैदा कर सके। इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए टीवी चैनलों को एक मेल भेजा गया। यह मेल रूस से भेजा गया। इस मेल का मजमून हम आपको पढ़ने के लिए दे रहे हैं। इसका मकसद आपको डराना नहीं बल्कि यह दिखाना है कि भारत के दुश्मन किस हद तक गिर सकते हैं और हमें उनका जवाब देने के लिए कितनी हिम्मत और एकता दिखानी होगी। भारत सरकार मुसलमानों पर अन्याय करना बंद करे। उनके छीने हुए राज्य उन्हें वापस कर दे। अब हम अन्याय नहीं सहेंगे। हमें पता है कि भारत सरकार इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेगी , इसलिए हमने यह निश्यच किया है कि चेतावनी सिर्फ चेतावनी ही न रहे बल्कि अमलन यह चेतावनी सही साबित भी हो। जिस का जीता जागता उदाहरण मुंबई में आप देख चुके हैं। हिंदू यह न समझें कि एटीएस और सेना बहुत आधुनिक हथियारों से लैस है और बहादुर भी। कितनी बहादुर है यह नक्सल प्रभावित हिस्सों में आप देख ही रहे हैं। यह हमला उस क्रिया की प्रतिक्रिया है, जो हिंदू 1947 से अब तक करते आए हैं। अब कोई क्रिया नहीं होगी , सिर्फ प्रतिक्रिया होगी और बार-बार होती रहेगी। ऐसा मत समझना कि हम तुम्हारी हरकतें देख नहीं रहे हैं। हमारी हर जगह नजर है और हम बदला लेने के लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हाल ही में अंसारनगर , मोगरापाड़ा आदि इलाकों में रेड डालकर किस तरह मुसलमानों को परेशान किया गया। इन सबकी जिम्मेदारी मुंबई एटीएस और उनके सरपरस्त विलासराव देशमुख और आर. आर. पाटिल की है। तुम हमारी हिटलिस्ट में हो और पूरी गंभीरता से हो।

इस साल अब तक देशभर में 11 बड़े आतंकवादी हमले हो चुके हैं।

इस साल अब तक देशभर में 11 बड़े आतंकवादी हमले हो चुके हैं। इन हमलों में 340 से ज्यादा लोगों की जानें गई हैं।
26 नवंबर 2008, मुबईः कम से कम 80 लोगों की मौत। एटीएस चीफ समेत 5 बड़े पुलिस अफसर और 6 पुलिसकर्मी शहीद। आतंकियों ने 10 जगह अंधाधुंध फायरिंग की। दो फाइव स्टार होटलों में सैकड़ों लोगों को बंधक बनाया। 30 अक्टूबर 2008, असमः 18 सीरियल ब्लास्ट। 77 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल। 21 अक्टूबर 2008, इम्फालः पुलिस कमांडो कॉम्पलेक्स के सामने ब्लास्ट। 17 लोगों की मौत। 29 सितंबर 2008, मालेगांवः भीड़ भरे बाजार में खड़ी बाइक पर बम फटा। 5 लोगों की मौत। 29 सितंबर 2008, मोडासाः गुजरात के छोटे से कस्बे में बाजार में बम फटा। एक बच्चे की मौत। 27 सितंबर 2008, दिल्लीः महरौली के बाजार में बाइक सवारों ने बम फेंका। 3 लोगों की मौत। 13 सितंबर 2008, दिल्लीः शहर में कई जगह 6 ब्लास्ट। 26 लोगों की मौत। 26 जुलाई 2008 , अहमदाबादः दो घंटों के भीतर 20 जगह बम ब्लास्ट। 57 लोगों की मौत। 25 जुलाई 2008, बेंगलुरुः कम क्षमता के बम विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत। 13 मई 2008, जयपुरः सीरियल बम ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत। जनवरी 2008, रामपुरः सीआरपीएफ कैंप पर आतंकवादियों की अंधाधुंध फायरिंग। 8 जवानों की मौत।
मुंबई पर हुए आतंकवादी हमला अपनी तरह का पहला हमला है। इस हमले में दहशत फैलाने का हर हथकंडा इस्तेमाल किया गया है फिर चाहे वह सड़कों पर खुलेआम फायरिंग हो या मासूम नागरिकों को बंधक बनाना , हर उस तरीके का इस्तेमाल आतंकवादियों ने किया है , जो डर पैदा कर सके। इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए टीवी चैनलों को एक मेल भेजा गया। यह मेल रूस से भेजा गया। इस मेल का मजमून हम आपको पढ़ने के लिए दे रहे हैं। इसका मकसद आपको डराना नहीं बल्कि यह दिखाना है कि भारत के दुश्मन किस हद तक गिर सकते हैं और हमें उनका जवाब देने के लिए कितनी हिम्मत और एकता दिखानी होगी। भारत सरकार मुसलमानों पर अन्याय करना बंद करे। उनके छीने हुए राज्य उन्हें वापस कर दे। अब हम अन्याय नहीं सहेंगे। हमें पता है कि भारत सरकार इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेगी , इसलिए हमने यह निश्यच किया है कि चेतावनी सिर्फ चेतावनी ही न रहे बल्कि अमलन यह चेतावनी सही साबित भी हो। जिस का जीता जागता उदाहरण मुंबई में आप देख चुके हैं। हिंदू यह न समझें कि एटीएस और सेना बहुत आधुनिक हथियारों से लैस है और बहादुर भी। कितनी बहादुर है यह नक्सल प्रभावित हिस्सों में आप देख ही रहे हैं। यह हमला उस क्रिया की प्रतिक्रिया है, जो हिंदू 1947 से अब तक करते आए हैं। अब कोई क्रिया नहीं होगी , सिर्फ प्रतिक्रिया होगी और बार-बार होती रहेगी। ऐसा मत समझना कि हम तुम्हारी हरकतें देख नहीं रहे हैं। हमारी हर जगह नजर है और हम बदला लेने के लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। हम जानते हैं कि हाल ही में अंसारनगर , मोगरापाड़ा आदि इलाकों में रेड डालकर किस तरह मुसलमानों को परेशान किया गया। इन सबकी जिम्मेदारी मुंबई एटीएस और उनके सरपरस्त विलासराव देशमुख और आर. आर. पाटिल की है। तुम हमारी हिटलिस्ट में हो और पूरी गंभीरता से हो।

The Gujarat Police on Thursday said the Mumbai terror strike was similar to the Akshardham Temple attack of 2002

The Gujarat Police on Thursday said the Mumbai terror strike was similar to the Akshardham Temple attack of 2002, and they are carrying out checks and searches as a precautionary measure. "We are conducting checks at all the major five-star hotels in the state. Hotel authorities have been asked to tighten the security around their premises and keep their public announcement systems in proper condition," Joint Police Commissioner Ashish Bhatia, who is heading the probe into July 26 serial blasts here, said. The government had last night sounded high alert following the terror strikes in Mumbai in which at least 100 people have been killed so far. "The five-star hotel authorities have been asked to keep their CCTV system on and record all the activities in and around the premises. Big malls have also been asked to stay alert and beef up security," Bhatia said. "The police are conducting searches at major check points in the city and also at the borders connecting the state with Maharashtra," he added. Bhatia said the Mumbai terror attack was similar to the one at the Akshardham Temple in Gandhinagar in 2002 where 34 people were killed and 81 injured when two Lashkar-e-Taiba terrorists opened fire with automatic weapons and lobbed hand grenades inside the shrine. According to Bhatia, the modus operandi of the terrorists in Mumbai was similar to LeT operatives. It is suspected by security agencies that LeT, with the support of locals, may have carried out the attacks in the financial capital, he added.

बुधवार रात कहर बरपाने वाले आतंकवादी एक नाव जरिए ताज होटेल से एक किलोमीटर दूरी पर स्थित ससून डॉक पहुंचे थे।

मुंबई में बुधवार रात कहर बरपाने वाले आतंकवादी एक नाव जरिए ताज होटेल से एक किलोमीटर दूरी पर स्थित ससून डॉक पहुंचे थे। 13 साल के एक लड़के ने एक प्राइवेट न्यूज चैनल से कहा कि मैंने देखा कि कुछ लोग बुधवार रात नाव से पहुंचे थे।महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री आर.आर. पाटिल ने गुरुवार को कहा कि आतंकवादी समुद्री रास्ते से यहां पहुंचे थे। जिन जगहों को निशाना बनाया गया वे समुद्र से कुछ ही दूरी पर हैं। कुछ मछुआरे जो उस समय समुद्र तट के पास थे उनका भी कहना है कि नाव पर सवार होकर 10 संदिग्ध लोग मुंबई पहुंचे थे। उनके पास ढेर सारा सामान भी था। एक मछुआरे ने बताया कि वे लोग मछुआरों जैसे नहीं लग रहे थे, इसलिए हमने उनसे पूछा कि वे तट पर क्या उतार रहे हैं? इस पर उनमें से एक ने बहुत ही साफ हिंदी में कहा कि तुम अपना काम करो और हमें अपना काम करने दो। उधर, गेटवे ऑफ इंडिया पर काम करने वाले 2 लड़कों ने दावा किया कि उन्होंने आतंकवादियों को नाव से उतरते देखा। 13 साल के एक लड़के ने एक प्राइवेट न्यूज चैनल से कहा कि मैंने देखा कि कुछ लोग बुधवार रात नाव से पहुंचे थे। जब मैंने उनसे पूछा कि वे कहां जाएंगे तो उन्होंने कुछ नहीं बताया। वहीं दूसरे लड़के का कहना है कि वे जल्दी में दिख रहे थे और उनके पास बड़े बैग भी थे। गौरतलब है कि बुधवार रात ताज और ओबेरॉय होटेलों समेत कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हुए आतंकवादी हमलों में कम से कम 101 लोग मारे गए और 250 से अधिक घायल हो गए।

आतंकवादी हमलों में निशाना बने ताज होटेल में अब भी 2 सांसद लालमणि प्रसा

मुंबई में बुधवार रात आतंकवादी हमलों में निशाना बने ताज होटेल में अब भी 2 सांसद लालमणि प्रसा
द और जयसिंहराव गायकवाड़ पाटिल फंसे हुए हैं, लेकिन सुरक्षित हैं। ताज होटेल से बाहर निकलने के बाद सांसद एन. एन. कृष्णदास ने बताया कि हम पाटिल और प्रसाद के बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे दोनों सुरक्षित हैं और उम्मीद है कि कार्रवाई पूरी होने के बाद बाहर निकलेंगे। सांसद कृष्णदास और भूपिंदर सिंह सोलंकी को कमांडो ने ताज होटल से सुरक्षित बाहर निकाला था। ये दोनों सांसद फिलहाल बैंक ऑफ बड़ौदा रेस्ट हाउस में हैं। दरअसल, मुंबई में गुरुवार और शुक्रवार को कानूनी मामलों की संसदीय समिति की बैठक होने वाली थी और इसी सिलसिए में ये सांसद मुंबई पहुंचे थे। कृष्णदास इस समिति के अध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि बुधवार रात ताज और ओबेरॉय होटेलों समेत कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हुए आतंकवादी हमलों में कम से कम 101 लोग मारे गए और 250 से अधिक घायल हो गए।

बुधवार, 26 नवंबर 2008

देश की वित्तीय राजधानी मुंबई पर बुधवार रात देश का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला

मुंबई : देश की वित्तीय राजधानी मुंबई पर बुधवार रात देश का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ है। पूरी सीसीटीवी फुटेज से मिली यह तस्वीर एक आतंकवादी की है जो ताज होटल में मौजूद था।
मुंबई के कई इलाकों में छोटे-छोटे ग्रुपों में आतंकवादियों ने गोलियां और बम बरसाने शुरू कर दिए। छत्रपति शिवाजी स्टेशन, ताज और ओबरॉय होटेल, मेट्रो सिनेमा, डॉक, विले पार्ले समेत कई के कई इलाकों में एक ही समय पर हुई सीरियल गोलीबारी और विस्फोटों से पूरी मुंबई में अफरातफरी का माहौल है। इस हमले में अभी तक 100 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। डेकन मुजाहिदीन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। ताजा खबर हैः नरीमन हाउस से सेना ने बंधकों को छुड़ा लिया है। यहां आतंकवादियों ने पांच परिवारों को बंधक बना लिया था। ओबरॉय होटेल में अभी भी फायरिंग हो रही है। इस बीच खबर है कि ताज होटेल और गिरगांव में सेना ने 2-2 आतंकियों को मार गिराया है। अभी भी आतंकवादियों ने होटेल ताज, होटल ट्रिडंट और कामा अस्पताल में कई लोगों को बंधक बना रखा है। ताज होटेल में अभी भी 3-4 आतंकवादी होने की खबर है। काम अस्पताल के बारे में अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है। सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन अपने हाथ में ले लिया है। चश्मदीद लोगों के मुताबिक आतंकवादी विदेशी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। कुछ आतंकवादी चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे कि किस-किस के पास ब्रिटिश और अमेरिकी पासपोर्ट है। इस बीच एनएसजी के करीब 200 कमांडो मुंबई पहुंच चुके हैं और जल्दी ही ओबरॉय होटेल में चल रही मुठभेड़ की कमान संभाल लेंगे। ओबरॉय होटेल में करीब 40 लोगों के बंधक होने की खबरें आ रही हैं। यहां अभी भी कुछ आतंकवादी मौजूद हैं। हालांकि इनकी तादाद का पता नहीं चल पाया है। ताज होटेल में सेना के एन्काउंटर ऑपरेशन में 2 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। 9 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और 3 आतंकवादी भागने में कामयाब रहे हैं। ताज होटेल में ज़बर्दस्त आग लगने की खबर है। होटल में आतंकियों ने 7 ग्रेनेड फेंके हैं। इनमें से दो ग्रेनेड्स ने होटेल के गुंबदों को खासा नुकसान पहुंचाया है। सेना इस वक्त होटेल के अंदर है। यहां से अभी भी गोलीबारी की आवाज आ रही है। इससे पहले मुंबई रेलवे के पुलिस कमिश्नर ए. के. शर्मा ने बताया कि एके 47 राइफल और ग्रेनेड से लैस कुछ आतंकवादी भीड़भाड़ वाले छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन के पैसिंजर हॉल में घुस गए और उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। आतंकवादियों ने 2 हथगोले फेंके जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई। फाइव स्टार होटेल ओबरॉय और ताज होटेल में आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया और कई धमाके किए। ओबरॉय में दो आतंकवादियों के छिपे होने की पुष्टि हो चुकी है, जो भारी तादाद में गोलाबारूद से लैस हैं और लगातार हमले कर रहे हैं। इसी तरह ताज होटेल में भी आतंकवादी फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई है। ताज होटेल से पुलिस ने 100 लोगों को छुड़ा लिया है। इस होटल में 7 विदेशी नागरिक भी बंधक बनाए गए थे। ताज होटेल में आग लगी है। ट्राइडंट होटेल में 40 लोगों के बंधक बनाए जाने की खबर है। पुलिस के मुताबिक आतंकवादियों की 16 टीमों ने सुनियोजित ढंग से किए हमले किए है। मशीनगनों और हैंड ग्रेनेडों का इस्तेमाल किया गया है। पहला हमला बुधवार रात 9:40 बजे कोलाबा में हुआ। कई जगह पुलिस पर भी फायरिंग की गई। आतंकवादियों ने 16 जगहों पर मशीनगनों और हैंड ग्रेनेडों से हमले किए। कई जगह धमाकों की आवाजें भी सुनी गईं। जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स में भी फायरिंग हुई है। कोलाबा के डॉकयार्ड में एक बोट मिली है जिसके बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल किया है। वाडी बंदर इलाके में एक टैक्सी में जबर्दस्त ब्लास्ट हुआ। ये ब्लास्ट बंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) के मुख्यालय और छत्रपति शिवाजी टमिर्नल के बाहर भी हुए। मुंबई पुलिस ने सीएसटी रेलवे स्टेशन के आसपास घेराबंदी कर दी है। वीटी स्टेशन से जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया है। वीटी स्टेशन के बाहर फायरिंग जारी है। एक जगह पुलिस वैन पर भी ग्रेनेड से हमला किया गया। मुंबई के सबसे पॉपुलर इलाके नरीमन पॉइंट में दो ब्लास्ट हुए हैं।

Themost violent terror attacks on Indian soil

Mumbai: In one of the most violent terror attacks on Indian soil, Mumbai came under an unprecedented night attack as terrorists used heavy machine Dome of Taj hotel in flames in Mumbai after the terror attack guns, including AK-47s, and grenades to strike at the city's most high-profile targets -- the hyper-busy CST (formerly VT) rail terminus; the landmark Taj Hotel at the Gateway and the luxury Oberoi Trident at Nariman Point; the domestic airport at Santa Cruz; the Cama and GT hospitals near CST; the Metro Adlabs multiplex and Mazgaon Dockyard -- killing at least 80 and sending more than 900 to hospital, according to latest reports. The attacks have taken a tragic toll on the city's top police brass: The high-profile chief of the anti-terror squad Hemant Karkare was killed; Mumbai's additional commissioner of police (east) Ashok Kamte was gunned down outside the Metro; and celebrated encounter specialist Vijay Salaskar was also killed. ( Watch ) The attacks appeared to be aimed at getting international attention as the terrorists took upto 40 British nationals and other foreigners hostage. The chairman of Hindustan Unilever Harish Manwani and CEO of the company Nitin Paranjpe were among the guests trapped at the Oberoi. All the internal board members of the multinational giant were reported to be holed up in the Oberoi hotel. Two terrorists were reported holed up inside the Oberoi Hotel. Fresh firing has been reported at Oberoi and Army has entered the hotel to flush out the terrorists. An unknown outfit, Deccan Mujahideen, has sent an email to news organizations claiming that it carried out the Mumbai attacks. The Army and Navy in Mumbai were put on alert. 65 Army commandos and 200 NSG commandos were being rushed to Mumbai, Home Minister Shivraj Patil said. The Navy commandos too have been asked to assist the police. Special secretary M L Kumawat is in constant touch with the state police. Some media reports attributed the attack to Lashkar-e-Taiba. There were also unconfirmed reports that some of the terrorists came in by sea. A boat laden with explosives was recovered later at night off the Gateway of India. Well after midnight, sources said two of the terrorists were shot and wounded at Girgaum in south Mumbai. The two were driving in a commandeered silver-coloured Skoda car. Earlier, these men had sprayed bullets from a police Bolero, outside the Metro Adlabs multiplex. The attacks occurred at the busiest places. Besides hotels and hospitals, terrorists struck at railway stations, Crawford Market, Wadi Bunder and on the Western Express Highway near the airport. Several of these places are within a one-km radius of the commissioner of police's office. "This is definitely a terrorist strike. Seven places have been attacked with automatic weapons and grenades. Terrorists are still holed up in three locations Taj and Oberoi hotels and GT Hospital. Encounters are on at all three places," said Maharashtra DGP A N Roy. St George's Hospital and G T Hospital were said to have received 75 bodies and more than 250 injured people, additional municipal commissioner R A Rajeev said. Bombay Hospital got two bodies and 30 injured people were admitted there; Cooper Hospital, Vile Parle, got three dismembered bodies. Three of the deaths occurred inside the Taj and one G T Hospital attendant died in a shootout inside the hospital. There were reports of people cowering under tables and chairs at both the Taj as well as G T Hospital. Metro Junction resident Manoj Goel said: "My brother, Manish, died in the firing at Colaba's Hamaal Galli." Cops fired back at the men -- probably from one of the Lashkar groups, dressed in black and with backpacks and SRPF, Crime Branch, ATS and teams of military commandos were summoned to the spot. Train services at CST were suspended and all roads leading to and from south Mumbai were blockaded. Maharashtra Chief Minister Vilasrao Deshmukh cut short his Kerala visit and was returning to Mumbai. He described the situation in Mumbai as "very serious". Deshmukh promised "stringent action" against the assailants but the mood across Mumbai was not so optimistic.

मुज्जफरनगर में भूख हडताल पर किसान,

मुज्जफरनगर में भूख हडताल पर किसान,
LUCKNOW: Death of a farmer at relay hunger strike sparked off widespread resentment among the community in Muzaffarnagar on Tuesday. Bhartiya Kisan
Union (BKU) chief Mahendra Singh Tikait was holding a marathon panchayat at the site when the reports last came in. According to reports, farmers had been staging a relay hunger strike against non-payment of sugarcane dues in Muzaffarnagar. Around 50 farmers were staging hunger strike outside Ganna Samiti in Khatauli tehsil of the district on Monday night when condition of 62-year-old Sukhpal of Rajpur Kala village suddenly deteriorated. He was immediately rushed to the Sushila Jaswant Rao Hosptial in Meerut where the doctors pronounced him dead upon arrival. The incident sparked off widespread resentment among protesting farmers. Hearing about the news thousands of farmers gathered at the Ganna Samiti office and blamed authorities and mill owners for Sukhpal’s death. On Tuesday morning, Mahendra Singh Tikait’s son Rakesh Tikait too joined the agitation. The farmers were adamant on performing the last rites of Sukhpal only after their demands was met. However, the district magistrate Subhash Chandra intervened and assured the farmers of an ex gratia of Rs five lakh to Sukhpal’s kins and a government job to one of his family members

Lt Col Prasad Purohit remanded in police custody till November

NASHIK: Lt Col Prasad Purohit, arrested for his alleged involvement in the Malegaon blast, was on Wednesday remanded in police custody till November
29 by a court here in connection with a case of procuring an arms license using fake documents. Purohit, who was arrested by the Nashik crime branch on Tuesday, was produced before Joint Civil Judge V V Joshi where police

custody was sought. The case against Purohit had been registered by Pune resident Shirish Date in the Sarkarwada police station in Nashik on November 16. Date, a family friend of Purohit, stated in his complaint that a license for a gun had been obtained for him by the army officer. The Pune resident claimed fake documents showing him as a resident of the military camp in Devlali were used to obtain the arms license for him. The Nashik police took custody of Purohit on Monday after moving an application before the special MCOCA court conducting the trial in the Malegaon blast case. Earlier, the Pune ATS had taken the custody of Purohit for providing an arms license using fake documents to a relative of Date. Another accused in the Malegaon blast, Sudhakar Chaturvedi is also alleged to have obtained a country-made revolver from Purohit. Eleven persons, including Purohit, have been arrested so far for their alleged involvement in carrying out the September 29 blast in Malegaon which left six dead and over 80 injured

मंगलवार, 25 नवंबर 2008

पुलिस ने साध्वी को अश्लील सीडी सुनाई और उन्हें निर्वस्त्र करने की भी धमकी दी।

नई दिल्लीः साध्वी प्रज्ञा के मसले को केंद्र में रखकर बीजेपी और संघ परिवार चुनाव
ी ध्रुवीकरण के लिए कमर कस चुका है। इस काम में सबसे अहम साबित हो रहा है साध्वी का वह हलफनामा जो उन्होंने अपने वकील के जरिए नासिक कोर्ट में 17 नवंबर को पेश किया था। गौरतलब है कि इसी हलफनामे को पढ़ने के बाद बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी ने एटीएस टीम बदले जाने और निष्पक्ष जुडिशल इन्क्वायरी की मांग की थी। बीजेपी ने साध्वी के हलफनामे को अपनी वेबसाइट www.bjp.org पर भी पोस्ट कर दिया है। संघ की विचारधारा और योजना के तहत काम कर रहे कई संगठन भी इसे प्रसारित कर रहे हैं। हलफनामे को इन संगठनों द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण के विरोध में तैयार की जा रही प्रचार सामग्री में इस्तेमाल किए जाने की भी तैयारी है। विदेश में काम कर रहे कई रिसर्च स्कॉलरों और संघ परिवार समर्थकों को भी हलफनामा भेजा गया है। मकसद है सरकार पर हिंदुओं के उत्पीड़न और हिंदू आतंकवाद का छद्म हौवा खड़ा करने का आरोप लगाना। हलफनामे में साध्वी ने एटीएस पर रात-दिन मारपीट करने, चरित्र पर उंगली उठाने और 12 दिन तक गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने के आरोप लगाए हैं। उधर एक न्यूज चैनल ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि पूछताछ के दौरान दबाव बनाने के लिए पुलिस ने साध्वी को अश्लील सीडी सुनाई और उन्हें निर्वस्त्र करने की भी धमकी दी। शुरू में बीजेपी प्रेजिडेंट राजनाथ सिंह ने कहा था कि मैं साध्वी से व्यक्तिगत रूप से परिचित नहीं हूं। किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मिला था। बाद में पार्टी के सुर बदल गए। सिंह ने कहा कि साधु संतों और सेना का अपमान नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। आडवाणी ने और भी कड़े तेवर अपनाए। एनडीए शासनकाल के दौरान हिंदूवादी संगठनों से प्रत्यक्ष दौर पर दूरी बनाए रखने वाली बीजेपी ने पानीपत में विश्वहिंदू परिषद के बैनर तले हुए संत समागम में शिरकत की और आंदोलन को आगे बढ़ाने के पक्ष में रुख दिखाया। इसी का नतीजा है कि ईमेल और दूसरी प्रचारात्मक सामग्री के जरिए साध्वी मसले को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। कई ब्लॉग्स पर भी साध्वी का हलफनामा पोस्ट किया गया है। इसमें उनके साथ मारपीट और अश्लील व्यवहार को खास तौर पर हाईलाइट किया गया है। इसी टोन का एक एसएमएस, 'वाह इंडिया वाह, अफजल को माफी, साध्वी का फांसी, आरएसएस पर प्रतिबंध और सिमी के साथ अनुबंध अमरनाथ यात्रा पर लगान और हज के लिए अनुदान, जागो हिंदू जागो' भी सर्कुलेशन में है। इस तरह की प्रचार सामग्री में प्राथमिक स्त्रोत को तलाशना मुमकिन नहीं है। ऐसे में बड़ी आसानी से राजनैतिक जवाबदेही से भी बचा जा सकता है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस मसले पर पहले तो कहा कि हलफनामा पब्लिक प्रॉपर्टी है। यह पूछे जाने पर कि किसी आरोपी का हलफनामा राजनीतिक संगठन के वेबसाइट पर पोस्ट करने का क्या मकसद हो सकता है, उन्होंने व्यस्तता का हवाला देकर फोन काट दिया।

साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को पुलिस कस्टडी नहीं मिली

साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर को पुलिस कस्टडी नहीं मिली, न्यायिक हिरासत में भेजी गई ।
MUMBAI: In a setback to Mumbai Anti-Terrorism Squad in Malegaon blast case, a MCOCA court here rejected the agency's plea for granting it the

Sadhvi Pragya Singh Thakur, accused in the Malegaon blast case, arrives at the special MCOCA court in Mumbai on Monday. (PTI Photo)custody of accused Sadhvi Pragya Singh Thakur, Lt Col Prasad Purohit and Ajay Rahirkar after they alleged physical torture and threat to strip and kill them. Sadhvi Pragya Thakur has charged the ATS with making her hear an obscene CD, while repeating her earlier allegation of physical and mental torture against the investigating agency. The ATS sought the custody of the trio contending their interrogation was needed to find out the "sinister design of Hindu radical group Abhinav Bharat, which appears to be instrumental in promoting, advocating and inciting unlawful and terrorist activities". However, Special MCOCA Judge Y D Shinde rejected the ATS plea and instead sent them as also four other accused in judicial custody till December 3. All the seven accused who were produced before the court claimed that they were physically and mentally tortured by ATS in custody. Clad in a saffron outfit with vermilion on her forehead, Sadhvi Pragya Singh Thakur told the court that she has been mentally and physically harassed by ATS. "ATS officials threatened to strip me and hang me upside down if I did not confess about my involvement in the blast. I am mentally disturbed and not able to eat anything," Sadhvi told the judge. Purohit said he had been hung upside down from a rod and his hands were tied to two poles due to which he has lost sensation from his wrist to his fingers. "ATS while questioning me said that it would plant RDX in my house and that it would be very easy for it to kill me in an encounter," Purohit told the court

सोमवार, 24 नवंबर 2008

'हिंदू आतंकवाद' का नारा देकर कांग्रेस खतरनाक राजनीति कर रही है।

आरएसएस के सरसंघचालक के. सी. सुदर्शन ने मनमोहन सिंह सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि लोकसभा चुना
व के पहले 'हिंदू आतंकवाद' का नारा देकर कांग्रेस खतरनाक राजनीति कर रही है। संघ के एक कार्यक्रम में भाग लेने आए सुदर्शन ने रविवार को लखनऊ में पत्रकारों से कहा कि हिंदू आतंकवाद का कोई मतलब नहीं है। यह शब्द सिर्फ बहुसंख्यकों के खिलाफ एक षडयंत्र मात्र है। लोकसभा का चुनाव नजदीक है। केंद्र सरकार ने आम जनता के लिए कुछ नहीं किया है, इसलिए अब वह लोगों का ध्यान बंटाने के लिए हिंदू आतंकवाद का मसला उछाल रही है। आतंकवाद का धर्म से कोई रिश्ता नहीं। आतंकवादी न हिंदू होते हैं और न मुस्लिम या ईसाई। वे अमानवीय कृत्य करने वाले होते हैं। उनका काम केवल निर्दोषों को मारना होता है। सुदर्शन ने देश में बहुसंख्यकों की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। बगैर किसी का नाम लिए उन्होंने कहा कि अमरनाथ श्राइनबोर्ड के जमीन मामले में चले आंदोलन ने हिंदुओं और राष्ट्रवादियों का मान बढ़ाया। जम्मू में हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर इस मामले को उठाया था। उन्होंने आगे कहा कि अपने देश की परिवारिक संरचना ने दुनिया में चल रही आर्थिक मंदी के कुप्रभाव से हमें बचा लिया है। पर साथ ही, अमेरिका को 56 हजार करोड़ रुपये देने के लिए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। ग्रामीण विकास के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को इसकी चिंता थी, पर जवाहर लाल नेहरू द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदमों ने देश के सामने आज कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। ग्रामीण विकास को लेकर नेहरू की नीतियां ठीक नहीं थीं और इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों का समुचित विकास नहीं हो सका। नेहरू ने तब दलील दी थी कि पश्चिमी देशों से प्रतिस्पर्द्धा के लिए औद्योगिकीकरण जरूरी है और ग्रामीण विकास के बजाय उन्होंने बडे़ उद्योगों की स्थापना पर ज्यादा जोर दिया है।

मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी बनाए गए लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को शिवसेन
ा अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि हालांकि इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया गया है लेकिन अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। माना जा रहा है कि मराठी बनाम बाहरी के मुद्दे पर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से पिछड़ती दिख रही शिवसेना को लगता है कि पुरोहित को उम्मीदवार बनाए जाने से उसकी हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि और मजबूत होगी। शिवसेना शुरू से ही मालेगांव ब्लास्ट के आरोपियों का खुलकर बचाव करती रही है। हाल ही में पार्टी ने जनहित याचिका दायर करके मालेगांव ब्लास्ट की जांच एटीएस से वापस लेकर सीआईडी को सौंपे जाने की मांग की है। इसके अलावा नासिक कोर्ट में आरोपियों की पेश के दौरान भी शिवसेना के कार्यकर्ता भारी संख्या में मौजूद थे और पुरोहित व साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में नारे लगा रहे थे। शिवसेना रिटायर्ड पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को भी टिकट देने पर विचार कर रही है। ख्वाजा युनूस की पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में आरोपी सचिन वाजे ने पिछले महीने शिवसेना जॉइन कर ली थी।

लालू यादव ने उन अस्थाई कर्मचारियों को रेल भवन में स्थाई करने की घोषणा की थी। अफसोस है कि आज तक उस घोषणा पर कोई अमल नहीं हुआ।

कोई मंत्री अगर गरीबों को सपना दिखाते हैं, तो उसे हकीकत मे बदलने की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं की होती है। रेल मंत्री जी ने रेल भवन में पिछले कई वर्षों से काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों के पक्ष में कुछ कहा था। लालू यादव ने उन अस्थाई कर्मचारियों को रेल भवन में स्थाई करने की घोषणा की थी। अफसोस है कि आज तक उस घोषणा पर कोई अमल नहीं हुआ। शायद मंत्री जी भूल चुके होंगे और उनके आदेश की उन्हीं के मंत्रालय में यह दुर्दशा कहां तक उचित है? रेल भवन को विश्वस्तरीय भवनों के रूप में बनाने से ही इन कर्मचारियों का पेट नहीं भर जाएगा। पेट भरता है रोटी से और आदमी की आय होगी तभी भर पेट खा सकेगा न! अतः रेल मंत्री से अनुरोध है कि बरसों पहले अपने दिए उस आदेश को जल्द से जल्द लागू करवाएं। यह उदाहरण केवल एकनहीं अनेकों है । सन् २००६ में रेल राज्यमंत्री नारण भाई राठवा ने हिन्दी कंप्यूटिग फाउण्डेशन के एक समारोह में न्यायमूर्ति चन्द्रशेखर धर्माधिकारी जी की उपस्थिति में एक लाख रूपये का पुरस्कार घोषित किया था, जिसकेलिए पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक ने रेलवे बोर्ड को लिखा भी है , परन्तु आज तक वह पुरस्कार नहीं दिया गया, बताया जाता है कि रेलवे बोर्ड के हिन्दी विभाग का तो भगवान ही मालिक है, वहां हिन्दी के बजाय कुछ ओर ही खेल खेला जाता है । इसी खेल में यह पुरस्कार खो गया है, हमें उम्मीद है कि रेल मत्री इस बारे में पूरी जांच करायेगे और दोषी अधिकारियों को सख्त सजा देने पर विचार करेंगे क्योकि इस प्रकार के कार्य से रेलवे की छवि बिगडती है ।

रेलवे में अब जॉब पाना औरों के लिए नामुमकिन

महाराष्ट्र केलिए केवल लालू जिम्मेवार
रेलवे में अब जॉब पाना औरों के लिए नामुमकिन
: Holding Railway minister Lalu Prasad Yadav responsible for sidelining Maharashtrians in railway jobs, Shiv Sena on Monday said this was
happening because he has a "serpent's grip" on the Railways.
"Lalu says I belong to Maharashtra and Maharashtra belongs to me. His policy is -- whatever is mine is mine and whatever belongs to others is also mine," an editorial in Sena mouthpiece 'Saamna' said on Monday. The editorial said Prasad has a "serpent's grip" on railways preventing Marathis to get a job in the recent times. "Intermittently, Lalu gets this fit of national integration as in the latest case when he says he belongs to Maharashtra and Maharashtra belongs to him. He now has got a chance to prove that he belongs to Maharashtra. He should allow the 'Shiv vada pav' stalls promoted by the Sena to be set up at railway stations," it said. "Lalu would have to provide Marathi youth only space needed for a table to set up these stalls which would help 5,000 youth get employment," the editorial said. "Also, vada from Maharashtra and someone from outside Maharashtra cooking it won't do. Give similar stalls for 'dhokla' in Gujarat and 'idli-sambar' in South India to locals there," it said. If Lalu wants to taste our vada pav, he is welcome to visit the 'Shiv vada pav sammelan’ organised by Sena at Shivaji Park in Mumbai, the editorial added

रविवार, 23 नवंबर 2008

साध्वी को सताकर कोई फायदा सरकार को होने वाला नहीं है, इससे विपक्ष को लाभ होगा

साध्वी को सताकर कोई फायदा सरकार को होने वाला नहीं है, इससे विपक्ष को लाभ होगा

चुनाव में जीत से संस्कृति बदलने की सोच गलत है इंदिरा गांधी के जमाने में मुझे याद है कि चौधरी चसिंह ने जब अपनी जिद के कारण स्व। श्रीमती इंदिरा गांधी को जेल में ठूंस दिया तो अगली बार वह भारी बहुतम से सत्ता में आयी थीं, सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिये, किसी एक समुदाय का पक्ष और हिन्दु संस्कृति पर अत्याचार, यह ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है ।


साध्वी प्रजसिंह ठाकुर पर जो अत्याचार किया जा रहा है, जो यातनाएं दीजा रही हैं वही व्यवहार यवनों केसाथ क्यों नहीं होता । यह प्रश्न आज हर हिन्दुस्तानी के दिमाग में आ गया है । हमारा मत है कि पुलिस द्वारा अत्याचार करना सीधा प्रशासनिक प्रक्रिया का अग है जब ऊपर से दबाव आता है तो पुलिस इस प्रकार की कार्रवाई करती है । हम तो मात्र यही कह सकते है कि लगे रहो मुन्ना भाई, आखिर जीतसत्य की ही होगी ।

सरकार की माया, यवनबस्ती सुरक्षित हैं भारत में

पुलिस के अनुसार जामा मस्जिद क्षेत्र सुरक्षा की दृष्टि से सबसे अधिक सुरक्षित है जबकि हिन्दु बस्ती द्वारका सबसे अधिक असुरक्षित,

NEW DELHI: Be warned, if you want to buy a new house in Dwarka and Rohini. In response to an application filed under the Right to Information (RTI)
Act, Delhi police say Dwarka is the capital's most unsafe area and the congested Jama Masjid neighbourhood is its safest. Records available to this paper show that the five most crime-infested police areas are in the south-western and outer districts. The central and northern districts, which include old Delhi, are the safest. Sociologists say this is because these areas often have a stronger sense of community. Dwarka heads the list of five police stations with the highest rates of crime. It is followed by Rohini, Malviya Nagar, Najafgarh and Sultanpuri . The list consists of a comparison of all police stations and the number of FIRs filed in them till October. The only drawback of this league table is that Jamia Nagar police station, which was started a year ago, is being compared with Sarojini Nagar, Delhi's oldest police station. The 10 police stations with the lowest crime rates are: Jama Masjid, Gulabi Bagh, Chandni Chowk, Bara Hindu Rao, Maurice Nagar, Chandni Mahal, Jaffar Pur Kalan, Hauz Quazi, Lahori Gate and Farsh Bazar. Delhi has 148 police stations in 11 police districts. But 133 existed when the RTI was filed. The data excludes the 12 new police stations.

राज ठाकरे मिले अपने चाचा से, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मातोश्री पर हुई मुलाकात

राज ठाकरे मिले अपने चाचा से, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मातोश्री पर हुई मुलाकात
MUMBAI: Maharashtra Navnirman Sena (MNS) chief Raj Thackeray, in limelight for 'hijacking' Shiv Sena's 'Marathi pride' agenda, on Sunday met his
uncle and Sena chief Bal Thackeray, their first meeting since he left the Sena and launched MNS in 2006. MNS sources maintained that Raj met the octogenarian leader at Matoshree, the latter's residence in suburban Bandra, to enquire about his health but the meeting has fuelled speculations. "There will be an impact within cadres of Sena and MNS over the uncle-nephew meeting", MNS sources said. Raj, who looks and even speaks like his illustrious uncle, was tipped to succeed him. However, it is cousin Uddhav who now manages the party. The last time Raj met the senior Thackeray was on January 23, 2006, the Sena chief's birthday. "I went to meet him today to return some of his old books I still had with me. We spoke about cartoons old memories," Raj, who like his uncle is a cartoonist of repute, said. "We spoke on topics other than politics," Raj said. Uddhav, following differences with whom Raj quit Sena and floated MNS, was present at the meeting. Raj said he got a call from his uncle in the morning today asking him to send some old books to Matoshree. "I offered to carry the books and accordingly drove to Matoshree," Raj said. "I am happy at meeting him after such a long gap," Raj said. Two years ago, Bal Thackeray had publicly admonished Raj in a Sena meeting that he should stop evoking his name and using his photographs. "You have left Sena. You have no right to use my photo," the Sena chief had told Raj. The only communication between the uncle and nephew in the last two years has been the occasional phone call and exchange of bouquets on birthdays. Raj had on December 18, 2005 announced that he was quitting the Sena and formed MNS in 2006. Raj had quit all Sena posts on November 27, 2005 by launching a scathing attack on Uddhav and his cronies, saying a 'coterie of clerks was running the Sena'. "I had sought dignity but was meted humiliation," Raj had said while elaborating the reasons for quitting the Sena

शनिवार, 22 नवंबर 2008

पुरोहित को एनकाउण्टर में मारने से कुछ नहीं होगा,

पुरोहित को एनकाउण्टर में मारने से कुछ नहीं होगा, हजारो पुरोहित पैदा हो जांएगे ।

देश आपके साथ है, पुरोहित को कुछ नहीं होगा, यदि सरकार ऐसा करती है, तो जनता उसे अगले चुनाव में सबक सिखाएगी


PUNE: Prime accused in Malegaon blast case Lt Col Srikant Prasad Purohit on Friday made a written submission in a court here alleging that Mumbai
ATS threatened to eliminate him in an encounter and tried to extract confession from him under duress. ( Watch ) Purohit, remanded in 14-day judicial custody by Magistrate G G Italekar in a 2003 case of alleged forgery in procuring an arms license for one Milind Date from Jammu & Kashmir, in Pune, sat in the court room to write his grievances after the judge asked him whether he had any complaints regarding his two-day police remand which expired today. "I have no complaints against Pune police. But I want to submit in writing my grievances," he said. Purohit's advocate Srikant Shivde told the court that the accused did not want to air his grievances in an open court and would prefer to put them in writing. The contents of Purohit's written submission were informed by his lawyer to the media afterwards. Shivde told mediapersons that in the written submission to the court, Purohit has given details of the "pressure and physical and mental torture" he was subjected to by Mumbai ATS which tried to "extract confession forcibly" from him in regard to involvement in the September 29 blast. Purohit also complained of an "encounter" threat by ATS, the defence lawyer said. Earlier, the prosecution made a plea for seven-day police custody of Purohit to unravel his connections in Jammu and Kashmir and further investigate whether he was part of a gang that procured illegal arms and forged licences from the military quota. The defence counsel Shivde consented to three-day police custody. He also alleged his client would be framed in another case immediately after being taken to Nashik court and his police custody would continue till November 29 till he is produced before Maharashtra Control of Organised Crime Act (MCOCA) court in Mumbai. All the ten accused arrested so far in the blast were yesterday booked under stringent law MCOCA. "My client will be safer in police custody than in the ATS custody," he remarked. The magistrate, however, rejected the prosecution demand for police custody and remanded Purohit to judicial custody. Purohit will now be taken to Nashik and put in the central prison there. On a plea from the accused, the judge allowed him to carry medicines and some books along with him to Nashik. The defence counsel told the court that Purohit was vulnerable to attacks of asthma and needed certain medication in his possession. Purohit's wife Aparna, too, was present in the court. Six persons were killed in the blast in the powerloom town in North Maharashtra's Nashik district.

अब रामशिला घर घर में आ रही है

रामसेतु था, यह सत्य है, सरकार की विरोधी नीति ही सरकार को मात देगी,
अब रामशिला घर घर में आ रही हैं, मेरठ के शिवहरि मंदिर जो कि बागपत रोड की नई बस्ती में स्थित है, रामशिला दो वर्ष पहले स्थापित की गई थी, आज यह सत्य साबित हो रहा है ।
RAMESWARAM: Ram Setu, the mythical bridge which got embroiled in a controversy over the Sethusamudram project, is back in news. This time for the
trade of coral rocks, considered to be a part of the holy structure. Droves of pilgrims here are buying coral rocks being sold by the agents and tourist guides, who claim that the rocks were a part of the bridge built by the 'Vanara Sena' for Lord Ram to crossover to Lanka to rescue Sita. "Pilgrims visiting this temple town buy these stones thinking that they are from the Ram bridge. But they are actually coral rocks," an official of the Gulf of Mannar Marine National Park said. As coral rocks tend to float naturally, pilgrims believe that the rocks are the ones used by Rama's army and buy it, he said. Despite a ban on the trade of coral rocks under the Wild Life and Marine Life Protection Acts, they are being sold at five places -- 'Seetha Theertham,' 'Ram Theertham,' 'Lakshman Theertham,' 'Kandhamadhanaparvam' and at an ashram -- in the island at rates varying between Rs 500 and Rs 1000 per piece, he said. Gopinathan, a tourist guide, said they get a nominal commission for each stone sold through them. The stones were even presented to VIPs visiting the island, stating that it was auspicious to keep them at home, he said. According to officials here, many marine species like sea horse, turtles and dugong, whose sale is prohibited under the Marine Life Protection Act, are also being sold openly. Denying receiving any complaint about sale of coral rocks in the area, Gulf of Mannar Marine National park officials say they are not in a position to monitor such a vast coastal belt but they would look into the matter. The 'Ram Setu' (Adams Bridge) has been in the limelight after BJP and its allied outfits protested the present alignment of the Sethusamudram project, charging that it would damage the mythical structure. Following the protest, dredging of the bridge has been stopped and the case is being heard in the Supreme Court which has suggested that the government explore alternative site for the project. The Sethusamudram project aims to create a navigable channel from the Gulf of Mannar to the Bay of Bengal through the Palk bay and Palk Straits

गुरुवार, 20 नवंबर 2008

रामायण मेला बना एक आकर्षण-जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की उपस्थिति ने बनाया नया माहौल

धर्म ही हमें बचा सकता है । भगवान राम के जीवन से अनेकानेक कथाओं का उल्लेख करते हुए जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मुंगई स्थित भुवन्स कालेज के प्रांगण में आयोजित रामायण मेले में अपने प्रवचनों के माध्यम से प्राणीमात्र को धर्म के मार्ग पर चलने का आवाह्न किया ।
ज्ञातव्य है कि श्री नंद किशोर नोटियाल की के प्रयासों के परिणामस्वरूप मुंबई में रामायण मेला 14 नवम्बर से 22 नवम्बर तक चल रहा है जिसमें शहर के ही नहीं , वरन् देश के बडे बडे शहरों से भक्त गण इस कार्यक्रम में भारतीयता की झलक देखने केलिए आ रहे हैं । इस हस्तियों में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री श्रीप्रकाश जयसवाल, मुंबई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री कृपा शंकरसिंह जी, शिवसेना के नेता श्री मनोहर जोशी, प्राख्यात पत्र्कार तथा देश के विभूतियां धर्मलाभ लेने केलिए हजारों की तादाद में आ रहे हैं ।
देश के नव युवकों को नई दिशा इसी प्रकार के आयोजन दे सकते हैं, तथा आगे आने वाली पीढी को मार्गदर्शन भी हमारी संस्कृति ही दे सकती है ।
इस मेले में विभिनन प्रदेशों की रामलीलाएं भी आर्कशक ढंग से दिखाई जा रही है । मेले के आयोजकों मे वर्ल्ड फाउण्डेशन के सचिव श्री अनिल त्रिवेदी जी, श्री राजीव नौटियाल का प्रमुख योगदान है ।धर्मप्रेमी सज्जनों से अपील की गई है कि 22 नवम्बर तक इस मेले में अपने परिवार सहित अवश्य आएं और अपने बच्चों में अपनी संस्कृति की एक झलक अवश्यक दिखाएं ।

मंगलवार, 18 नवंबर 2008

सरकारी कर्मचारी मृग मरीचिका में

नहीं बढेगी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु
केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को ६० साल से बढाकर ६२ किए जाने की सारी अटकलों को विराम देते हुए केन्द्र सरकार ने रविवार, १६ नवम्बर को स्पष्ट कर दिया की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। कैबिनेट सचिव के। एम्। चंद्रशेखर ने इस बारे में कहा की ऐसी कोई योजना विचाराधीन नहीं है और इस तरह का कोई विचार सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है, यथास्थिति बनी रहेगी । उन्होंने कहा की इसमें वृद्धि की ऐसी अटकलें जरूर हैं लेकिन उनमें कोई सचाई नहीं है। उन्होंने कहा की इससे सम्बंधित कोई भी फाइल व्यय या DOPT में भी नहीं है। मैंने इस बारे में पता लगाने की कोशिश की थी मगर ऐसा कुछ भी पता नहीं चला है। उन्होंने यह भी कहा की राज्य सरकारों के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को समान करने की भी कोई योजना नहीं है।

सौम्या राघवन बनेंगी फाईनेंस कमिश्नर रेलवेज



मध्य रेलवे की महाप्रबंधक श्रीमती सौम्या राघवन नई फाईनेंस कमिश्नर ( रेलवेज ) होंगी, उनकी फाइल पिछले सप्ताह ही कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग को बोर्ड द्वारा भेज दी गई है। वर्त्तमान ऍफ़सी सुधा चौबे ३० नवम्बर को रिटायर हो रही है । जबकि जीएम्स की पोस्टिंग्स का अभी तक कोई पता नहीं है। वैसे सर्व सम्मति यही है की पहले नंबर पर सुदेश कुमार को आरएससी, दूसरे दीपक कृष्ण को पूर्व रेलवे, तीसरे विजय नारायण त्रिपाठी को पश्चिम रेलवे और चौथे नंबर पर कुलदीप चतुर्वेदी को मध्य रेलवे में महाप्रबंधक बनाया जाना चाहिए। मगर यदि आर एन वर्मा का 'सीसीआईटी' का फंडा चल गया तो उनको पश्चिम रेलवे और विवेक सहाय को उत्तर रेलवे मिलने में शायद कोई आशंका नहीं रह जायेगी।

सोमवार, 17 नवंबर 2008

मालेगांव ब्लास्ट के समर्थन में संघ परिवार

मालेगांव ब्लास्ट के समर्थन में संघ परिवार


NEW DELHI: The Sangh Parivar on Sunday openly came out in support of the Malegaon blast accused, calling investigation into the September 29 blast a

"political conspiracy". It also announced the launch of a mass campaign against the UPA for its "vilification of Hindu saints and army officers in the name of Hindu terrorism".

The stand was finalised at a conclave in Panipat which was attended by 13 akharas — sects of sadhus — who are to launch a mass mobilisation campaign against the "anti-Hindu conspiracy" on November 26 in New Delhi, according to agency reports.

The campaign is likely to be conducted under the banner of Dharm Sangrakshan Samiti and will feature 250 'saints' from the akharas. This will, logically, work for the BJP in the state polls and, later, Lok Sabha elections.

Those at the meeting included Baba Ramdev, Swami Hans Das of Akhara Parishad and VHP's Praveen Togadia. The conclave was marked by an overt effort to reach out to Army officials in the aftermath of the arrests of Lt-Col Shrikant Purohit and several retired officers.

The organisers lumped the Army officers and the arrested 'saints' together, calling them "victims" of insults by the government.

रविवार, 16 नवंबर 2008

लालू की नजर में अडवानी अब आतंकवादी हो गए है, देखिये आगे क्या होगा

लालू की नजर में अडवानी अब आतंकवादी हो गए है, देखिये आगे क्या होगा

NEW DELHI: Union railway minister Lalu Prasad slammed BJP leader L K Advani and called him a 'terrorist'।
Even as the Malegaon blast probe continues, political parties are using the twists and turns in the story to gain mileage ahead of elections. In the latest round of verbal duels, Union railway minister Lalu Prasad slammed the BJP and Hindu groups who are suspected of involvement in the terror attacks. Lashing out at the BJP, he called the party's prime ministerial candidate a 'terrorist' and said such groups were trying to destroy the unity of the nation. Lalu said, "I've always been saying it. The BJP and L K Advani are terrorists. All of them should go to jail." However, BJP leader Arun Jaitley dismissed Lalu's comments deeming it unworthy of reply. He said, "I think there are some people who can singly lower the level of debate. They should not been given much of an importance

शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

राज ठाकरे का नया पैंतरा, जन्म दिवस पर भैया लिखा केक काटा

जन्म दिवस पर भैया लिखा केक काटा

MUMBAI: Raj Thackeray is now in the midst of a birthday cake controversy that has given a new twist to the Marathi-speaking versus north Indians
issue in the state. Raj allegedly cut a cake bearing the word ‘Bhaiya’ in Hindi on his birthday last June 14 in Mumbai, a video clip of which was leaked out on Friday. ‘Bhaiya” meaning elder brother, is the term by which people from Uttar Pradesh and Bihar are generally referred to in the city. The video clip, shot by an unknown person from a mobile phone has both mystified and embarrassed the party as it was repeatedly flashed across television channels on Friday afternoon. Top office-bearers of his Maharashtra Navnirman Sena (MNS) fumbled for a convincing explanation at the sudden development, which has caught the party by surprise. “We have a lot of north Indian activists in the MNS and it must have been brought by one such activist, but we cannot recollect who,” party vice-president Vageesh Saraswat said on Friday afternoon. He claimed that the word ‘Bhaiya’ on the cake probably meant that Raj Thackeray was like the elder brother of the person who presented it, and “it should not be construed that we are against north Indians.” “Moreover, something is always inscribed on any cake as per the occasion. This time, it was ‘Bhaiya’ since a north Indian party worker brought the cake. It was not intended to spread hatred against anybody,” Saraswat emphasised. He reiterated that the party’s agitation was concerning opportunities for Marathi-speaking people and not against north Indians settled in the state. Raj cut the colourfully decorated birthday cake at a small party attended by family and friends in his Shivaji Park home. The video clip shows him making two diagonal slashes across the cake, instead of gently cutting it in the traditional fashion. Saraswat claims that “the video may have been tampered to convey a certain impression” and questioned the motives behind leaking it exactly five months after the birthday party. It may be recalled that last February and then in October, the MNS had launched violent agitations against north Indians living or working in Mumbai. The episode finally culminated in Raj's arrest, with him spending a night in police lock-up and being subsequently released on bail. The MMS clip was released to the press by Samajwadi Party MLA from Madhya Pradesh Kishore Samrite. The Samajwadi MLA compared Raj Thackeray's decision to use a sword instead of a knife to cut the cake, to "an attempt to wipe off the north Indians".

गुरुवार, 13 नवंबर 2008

दानापुर मंडल में विंटर सीजन की तैयारियां आरंभ

PATNA: The railways have launched `winter safety’ drive in the Danapur division of East Central Railway (ECR) from November 7 to ensure foolproof

safety to passengers. A comprehensive plan has been chalked out to make the safety drive a great success. The drive will continue till January 2009 and it will be extended further depending on severity of the weather condition prevailing in the division, said senior divisional safety officer (senior DSO) of Danapur division B N P Verma. According to him, the railways have identified the fog-prone stations located mainly on the mainline section of the division. These stations are mostly in the Tal area at Mokama and in between Neora and Buxar stations. However, a recent survey carried out in the division revealed that about 40 per cent stations of Danapur division are fog-affected. The railways have thus concentrated more on stepping up winter safety measures in these areas, he said. Under the safety plan, the railways have installed flasher lights and retro-reflective posts at each vulnerable station in the division. The visibility test objects (VTOs) and track falling lines have been painted in fog-prone areas. Since the mainline section of the division has been fully electrified from Mughalsarai to Jhajha, there is the need to maintain extra alertness on the tracks from safety point of view, the senior DSO said. According to Verma, the railways had recently launched a safety drive in the division mainly to check winter safety preparation work. During this period, counselling of both drivers and guards of the trains was held in the division so that these operating staff were aware of the winter safety measures, he said. The senior DSO said the division has fully ensured now that the operating staff must read winter safety rules first and then resume their duty. While supervisors of the safety wing will strictly monitor safety measures from 10 pm to 6 am each day in the Danapur control room, the railways have asked both officials and inspectors to do `foot plating’ on the locomotives of the trains during night, he said, adding the maximum speed limit of each train will be 60 kmph during the foggy condition. According to Danapur PRO R K Singh, the railways have plenty of `detonators’ (fog signals) in stock to use them in emergency during foggy weather condition. These fog signals have been duly supplied to each vulnerable station falling under the division. Besides, fog signal men have been also deployed on duty at each affected station to maintain full winter safety, he said, adding that the railways have set up a committee in the division to implement fully safety measures in the division. According to the PRO, the railways have put key men on high alert, particularly in the night. They have been asked to carry out track patrolling work especially at all vulnerable places, including bridges, from the safety point of view, he said.

बुधवार, 12 नवंबर 2008

मनसे की गुंडागर्दी : मुंबई पुलिस का निकम्मापन उजागर

मुंबई : उत्तर भारतीयों के विरुद्ध महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के उपद्रव से निपटने में राज्य सरकार की उदासीनता और टालमटोल के तो राजनीतिक कारण समझ में आते हैं, लेकिन उपद्रवकारियों को खुली छूट देने में मुंबई पुलिस की ढिलाई को ही जिम्मेदार माना जायेगा। पहले दौर की गुंडागर्दी में मनसे ने उत्तरभारतीय टैक्सी-रिक्शा चालकों की पिटाई की और अब दूसरे दौर में उसने रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा देने आये निर्दोष छात्रों पर हिंसक हमला बोला। लेकिन दोनों ही दफा पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। यही नहीं राज्य सरकार ने अपनी राजनीतिक रणनीति के दायरे में रहकर जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे और उनके निरंकुश कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की तब भी वे शहर की शांति को भंग करने तथा बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ करने में सफल हो गये। यहां तक कि उन्होंने अदालत परिसर में भी शर्मनाक हुल्लड़ मचाया और पुलिस लाचार बनी तमाशा देखती रही। जिस प्रकार से मनसे के चंद मुस्टंडों ने मुंबई में रह रहे करीब ४० लाख उत्तर भारतीयों में भय का माहौल कायम कर दिया है, यह मुंबई पुलिस की अकर्मण्यता का शर्मनाक परिणाम है। क्या यह मान लिया जाये कि कभी स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस के बाद विश्व की दूसरी मजबूत पुलिस व्यवस्था के रूप में विख्यात रही मुंबई पुलिस आज इतनी अकर्मण्य हो चुकी है कि उससे मनसे के चंद गुंडे नहीं संभल पा रहे हैं। मनसे से निपटने में पुलिस के नाकारापन से आम लोग हैरत में हैं। उन्हें डर इस बात का है कि यदि किसी अन्य मामले को लेकर मनसे की हिंसक कार्यशैली की गाज कभी गैर उत्तर भारतीयों पर गिरी तो क्या होगा? एक सवाल जो आज मुंबई के आम लोगों के मन में है, वह यह है कि बड़े-बड़े अपराधियों पर अंकुश लगानेवाली मुंबई पुलिस आखिर मनसे मामले में नकारा क्यों साबित हो रही है? पुलिस सूत्रों की मानें तो मुंबई पुलिस में मनसे से हमदर्दी रखनेवाले अधिकारियों-कर्मियों की कमी नहीं है। वे जानबूझकर ऐसे समय में मूक दर्शक बने रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि मुंबई पुलिस में मनसे प्रमुख राज ठाकरे की अंदर तक पहुंच है और यह तब से है जब से वह शिवसेना के युवा संगठन `विद्यार्थी सेना' के अध्यक्ष थे। उस वक्त पुलिस और प्रशासन में राज की तूती बोलती थी। नतीजा राज और उनके मुस्टंडे तोड़फोड़ किया करते थे और पुलिस तमाशाबीन बनी रहती थी। आज भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। यह राज्य की शांति और व्यवस्था के लिए तो ख़तरा है ही, मुंबई पुलिस और राज्य प्रशासन की प्रतिष्ठा के लिए भी कम नुकसानदेह नहीं है।