बुधवार, 31 दिसंबर 2008

हमारे प्रिय पाठकों को नव वर्ष २००९ की हार्दिक शुभकामनाएं

2009 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें।
प्रतिवर्ष हम नए साल का स्वागत दूसरों को खुशी और संपन्नता की शुभकामना देकर करते हैं।
संपन्नता का चिह्न क्या है? संपन्नता का चिह्न है मुक्ति, मुस्कान और जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय होकर आसपास के लोगों के साथ बांटने की मन:स्थिति। संपन्नता का चिह्न है दृढ़ विश्वास कि जो भी मुझे चाहिए वह मुझे मिल जाएगा। 2009 का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें। कैलंडर के पन्ने पलटने के साथ-साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएं। प्राय: हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है। आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएं। बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें। आप लोभ, घृणा, द्वेष तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो। यदि मन इन सभी नकारात्मक भावनाओं में लिप्त है, तो वह खुश व शांत नहीं रह सकता। आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते। आप देखें कि नकारात्मक भावनाएं भूतकाल की वजह से हैं और आप अपने उस भूतकाल को अपने वर्तमान जीवन के नए अनुभवों को नष्ट न करने दें। भूतकाल को क्षमा कर दें। यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएंगे, तो आपका भविष्य दुख से भर जाएगा। पिछले साल, जिनके साथ आपकी अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह कर लें। भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरू करने का संकल्प करें। इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस धरती पर सभी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ लोगों को शुभकामनाएं दें। आर्थिक मंदी, आतंकवाद की छाया, बाढ़ तथा अकाल के इस समय में और अधिक नि:स्वार्थ सेवा करें। हम जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है। इस विश्व को सभी प्रकार की सामाजिक तथा पारिवारिक हिंसा से मुक्त करना है। समाज के लिए और अधिक अच्छा करने का संकल्प लें। जो पीड़ित हैं उन्हें धीरज दें और समाज तथा राष्ट्र के प्रति उत्तरदायी बनें। जीवन का आध्यात्मिक पहलू हमारे भीतर संपूर्ण विश्व, संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनेपन, उत्तरदायित्व, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है। अपने सच्चे स्वरूप में आध्यात्मिक भावनाएँ जाति, धर्म तथा राष्ट्रीयता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देती हैं और हमें इस सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त जीवन के सौंदर्य से अवगत कराती हैं। इस वर्ष अपनी भक्ति को खिलने दें। उसे व्यक्त होने का अवसर दें। हमें अपने चारों ओर व्याप्त ईश्वर का, उसके प्रकाश का अनुभव करना चाहिए। आप के मन में इसे अनुभव करने की इच्छा होनी चाहिए। क्या आप में कभी यह इच्छा उत्पन्न हुई है -कि आप को श्रेष्ठतम शांति प्राप्त हो? संपूर्ण विश्व ईश्वरीय प्रकाश से व्याप्त है। जब आप गाते हैं या प्रार्थना करते हैं, तो उसमें पूर्ण तल्लीनता हो। यदि मन कहीं और उलझा हुआ है, तो सच्ची प्रार्थना नहीं हो सकती। तुम एक मुक्त पंछी के समान हो। तुम पूर्णत: मुक्त हो। अनुभव करो कि तुम एक पंछी के समान उड़ना सीख रहे हो। उड़ना सीखो। यह तुम्हें स्वयं ही अनुभव करना होगा। जब मन तनाव मुक्त होता है, तभी बुद्धि तीक्ष्ण होती है। जब मन आकांक्षाओं और इच्छाओं जैसी छोटी-छोटी चीजों से भरा होता है, तब बुद्धि तीक्ष्ण नहीं हो पाती है। और जब बुद्धि तथा ग्रहण की क्षमता तीक्ष्ण नहीं होते, तब जीवन पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं होता, नए विचार नहीं बहते। तब हमारी क्षमताएं भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। बाहर निकला वह पहला कदम ही आपके जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान कर देगा। इसलिए सहज रहो, प्रेम से भरे रहो। अपने आपको सेवा में लगाओ। अपने जीवन का उत्सव मनाओ।

रविवार, 28 दिसंबर 2008

कानूनों को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करेगा

हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में मौजूद अनेक विधेयकों को समझने में आम आदमी को होने वाली कठिनाई को देखते हुए कानून मंत्रालय अपने अफसरों को ट्रेनिंग देने की योजना बना रहा है, जिससे वे इन्हें आसान भाषा में बदल सकें और लिख सकें। मंत्रालय के एक अफसर ने कहा कि इसे शुरू करने के लिए सामाजिक कल्याण कानूनों में समय-समय पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि इसके लिए वर्कशॉप की योजना बनाई जा रही है। कानून मंत्री एच.आर. भारद्वाज का मानना है कि कानून की रूपरेखा तैयार करने में शामिल लोगों को पर्याप्त तौर पर प्रशिक्षित होने की जरूरत है, ताकि भविष्य में विधेयकों को आसान और सामान्य (भाषा) में तैयार किया जा सके। लेकिन मंत्रालय के कुछ अधिकारी हिंदी को सामान्य करने के कार्य को लेकर सोच रहे हैं, क्योंकि इसकी अपनी सीमाएं हैं। एक और महत्वपूर्ण निर्णय 'आधिकारिक (भाषा) प्रकोष्ठ' बनाने का लिया गया है, जो कानूनों को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित करेगा और इन्हें हिंदी में नहीं लिखा जाएगा।

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड

कुछ महीने पहले भयंकर त्रासदी से गुजरे मालेगांव पर बनी डॉक्युमेंट्री 'सुपरमैन ऑफ मालेगांव' को इटली के एशियन फिल्म फेस्टिवल 'एशियाटिका फिल्म मीडियाले' में बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। इस बाबत डॉक्युमेंट्री के निर्माता फैज अहमद खान का कहना है कि मालेगांव पर डॉक्युमेंट्री बनाने की प्रेरणा उन्हें एक स्थानीय अखबार से मिली। इसके बाद खान लगातार मालेगांव में पावरलूम उद्योग से जुड़े मिल कामगारों के संपर्क में रहे। डॉक्युमेंट्री के विषय को देखते हुए इसे बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवॉर्ड मिलने का खान को पूरा भरोसा था। सोफिया कॉलिज से संचार विषय में स्नातक कर चुके खान फिल्म निर्माता मनीष झा के साथ बतौर सह निर्देशक भी काम कर चुके हैं।

मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

पालिटीशियन अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं

राजभाषा के क्षेत्र में भी अब पालिटीशियन घुस गए है और अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं । राजभाषा विभाग द्वारा कुछ प्रतिनिधि हरेक मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में नामितकिए जाते है लेकिन इसका दुरूपयोग खुलेआम हो रहा है । रेलवे की हिन्दी सलाहकार समिति में अब्दुल मनियार और इस प्रकार के बहुत से सदस्य इसका जीता जागता प्रमाण है जबकि हिन्दी से इस प्रकार के लोगों काकोई वास्ता नहीं होता , उन्हें केवल पास मिलता है और जब वे विभिन्न रेलों में प्रेक्षक के रूप में जाते है तो वहां पर महाप्रबंधकों के साथ बैठक होने के कारण अन्य स्रोतों से अच्छी आमदनी करते है। राजभाषा विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिये और केवल उन्ही लोंगों को मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों में नामित करें जो वास्तव में इसके पात्र है, मात्र मंत्री के कहने से अपात्र लोंगों को नामित करना अब बन्द होना चाहिये । यदि यह प्रथा जारी रही तो बहुत जल्दी ही भारत से राजभाषा के नाम पर हिन्दी अपने आप समाप्त हो जाएगी ।

शनिवार, 20 दिसंबर 2008

पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में बिना टिकट सफर करते हैं।

यूपी के डीजीपी विक्रम सिंह ने स्वीकार किया है कि राज्य में पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में सफर करते वक्त टिकट लेना अपनी शान के खिलाफ मानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिसवालों की शिकायत की जानी चाहिए और अधिकारियों को ऐसे पुलिसवालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इस बारे में एक अभियान 21 दिसंबर से चलाया जाएगा। डीजीपी ने शुक्रवार को मीडिया के सामने स्वीकार किया कि पुलिसवाले बसों और ट्रेनों में बिना टिकट सफर करते हैं। इतना ही नहीं, ये पुलिसवाले जबर्दस्ती आम लोगों को उठाकर उनकी सीट पर कब्जा कर लेते हैं। यही नहीं, कुछ पुलिसवाले तो बसों और ट्रेनों में सार्वजनिक रूप से शराब तक पीते हैं। विक्रम सिंह ने बताया कि 21 से शुरू होने वाले अभियान के तहत अधिकारी सरकारी बसों और ट्रेनों में सफर कर रहे पुलिसवालों की टिकट की जांच करेंगे। टिकट नहीं होने पर आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

I said a man like Karkare is born among मिल्लिओंस: अंतुले.

Unfazed by the controversy triggered by his remarks on the killing of former ATS chief Hemant Karkare, Minority Affairs Minister A R Antulay today said that he stuck to his stand and that both government and Congress should feel "proud" of his comments. "I always stand by the truth," said Antulay, who has sent his resignation to the Prime Minister Manmohan Singh, in the wake of the uproar after he raised questions on Karkare's killing. Asked whether he stood by what he had said two days back, he replied in the affirmative. He had said, "Whether Karkare was a victim of terrorism or terrorism plus something, I do not know..." "I said a man like Karkare is born among millions... Who pushed him in the trap of death? Who sent him there to be killed by the Pakistanis?" was Antulay's refrain. Arguing that Congress had no reason to be embarrassed by whatever he had said, Antulay said, "Both the government and the party should feel proud." He refused to confirm nor deny whether he sent his resignation to the Prime Minister. Asked whether he had been asked to resign, he said, "Does a person like Antulay need to be told to resign?" On being pestered to confirm his resignation, Antulay said, "... I am a self respected person...Forget the resignation. That is a very simple thing. I had resigned from Chief Ministership of Maharashtra...when 100% Congress MLAs were with me." To another query whether the party has sought any clarification from him, he said, "Clarification is sought when anything is hidden." Justifying his earlier demand for including riots under the purview of the National Investigation Agency (NIA), Antulay said, "On the issue of federal agency, I said what was in the hearts of millions of Indians... I have told the truth." "Nobody spoke. But I did. I said so because it has been found that a number of things are pushed under the carpet in the name of state subject. Federal agency is being made... I said it at an opportune moment as a reminder of duty," he argued. He also refused to accept the opposition's charge that Pakistan can use his remarks on the circumstances surrounding Maharashtra ATS chief Hemant Karkare's killing and questioned, "How do you say that Pakistan can use this thing?" Further clarifying his earlier remarks, Antulay said, "Karkare and two other police officers were definitely killed by the Pakistani terrorists. Even a fool knows this. What I asked was who sent Karkare and the two officers there?" He said print and electronic media twisted his comments.

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

नोट के बदले वोटः मामला स्पीकर के पास

नोट के बदले वोटः मामला स्पीकर के पास
NEW DELHI: Lok Sabha Speaker Somnath Chatterjee on Tuesday recommended a probe by the home ministry into the role of three persons who were named in the alleged 'cash-for-votes' scam that rocked Parliament during the Confidence Motion in July. The Speaker referred to the Home Ministry the matter related to Sanjeev Saxena, alleged aide of Samajwadi Party leader Amar Singh, Sudheendra Kulkarni, a close aide of senior BJP leader L K Advani, and Suhail Hindustani, a day after the Parliamentary Inquiry Committee said that there was need for further investigation into the roles played by them. In its report submitted in Lok Sabha on Monday, the Inquiry Committee, headed by V Kishore Chandra Deo, had given a clean chit to Amar Singh and Ahmed Patel, political adviser to Congress President Sonia Gandhi, saying the "material on record does not conclusively prove" that they had sent money to three BJP MPs for the "purpose of winning" them over for the Confidence Motion. "The Committee has, however, found the evidence given before the Committee by three persons involved in this episode as unconvincing and the Committee have suggested that their role in the matter needs to be investigated by investigating agencies," Chatterjee noted in the House today. "I am, accordingly, referring the matter pertaining to the said three persons to the Honourable Minister of Home Affairs for appropriate action in the light of the recommendations of the Committee," the Speaker said.

शनिवार, 13 दिसंबर 2008

प्रज्ञा के परिवार ने आरोप लगाया था कि एटीएस ने उन्हें गत 23 अक्टूबर को गिरफ्तार नहीं किया था, जैसा की रिकार्ड में दर्ज है, बल्कि उससे दो सप्ताह पहले ग

मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते द्वारा गिरफ्तार करने के बाद कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साध्वी के वकील गणेश सोवानी ने कहा, 'उन्हें गुर्दे की पथरी की समस्या है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें तकलीफ हुई थी।' उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद प्रज्ञा को मध्य मुम्बई के निजी अस्पताल में स्थानांतरित करना पड़ा। बाद में उन्हें जसलोक अस्पताल ले जाया गया। सोवानी ने साध्वी के अस्पताल में भर्ती होने से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। प्रज्ञा के परिवार ने आरोप लगाया था कि एटीएस ने उन्हें गत 23 अक्टूबर को गिरफ्तार नहीं किया था, जैसा की रिकार्ड में दर्ज है, बल्कि उससे दो सप्ताह पहले गिरफ्तार किया था। सोवानी ने कहा कि एटीएस द्वारा गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने की शिकायत के साथ प्रज्ञा बाम्बे उच्च न्यायालय में जाएंगी। मालेगांव विस्फोट मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रज्ञा अब न्यायिक हिरासत में है।

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2008

कसब के बाप ने पहचाना, इससे बडा सबूत क्या हो सकता है ।

इससे बडा सबूत क्या हो सकता है ।
पाकिस्तानी अखबार ' द डॉन ' में छपी खबर के मुताबिक मुंबई आतंकी हमले में जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसब के पिता ने उसे पहचान लिया है। उनका कहना है कि उनके ' दुश्मनों ' ने अजमल को परिवार से अलग कर दिया। फरीदकोट के ओकारा गांव में रहने वाले अधेड़ उम्र के आमिर कसब ने कहा, ' यह सच है, मैंने उसकी तस्वीर अखबार में देखी है। यह मेरा बेटा अजमल है। ' द डॉन की रिपोर्ट के मुताबित, यह बताते वक्त आमिर कसब रोने लगा। आमिर कसब ने कहा, ' शुरुआत में कुछ दिनों तक तो मैं इस बात को मानने से इनकार करता रहा कि मुंबई में पकड़ा गया शख्स मेरा बेटा है। लेकिन अब मैंने इस बात को स्वीकार कर लिया है। भाग्य ने मुझे और मेरे परिवार के साथ गंदा मजाक किया है। ' हालांकि आमिर कसब ने यह नहीं बताया कि वह किसे ' दुश्मन ' कह रहा है लेकिन जाहिर तौर पर उसका इशारा लश्कर-ए-तैयबा की ओर था जो इस इलाके से बड़ी संख्या में नए लड़कों की भर्ती करता है। सड़क पर पकौड़े बेचने वाले आमिर कसब के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। आमिर ने बताया कि अजमल चार साल पहले घर से चला गया था। बकौल आमिर, ' उसने ईद पर नए कपड़ों की मांग की थी लेकिन मैं इसे पूरा नहीं कर पाया। वह नाराज होकर चला गया। ' जब आमिर कसब से पूछा गया कि कि उसने इतने दिनों तक अपने खोए हुए बेटे को खोजने की कोशिश क्यों नहीं की तो अपने ठेले की ओर इशारा करते हुए उसका जवाब था कि , ' इन साधनों में मुझसे जो हो सका, मैंने किया। मैं लाहौर में यही काम करता था और बाद में वापस गांव लौट आया।' आमिर कसब का सबसे बड़ा बेटा अफजल खेतों में मजदूरी करता है। जब आमिर से यह बताया गया कि अजमल को आतंक की दुनिया में ले जाने वालों ने कथित तौर पर उसके परिवार को डेढ़ लाख रुपये देने की बात कही है तो वह भड़क गया और बोला, 'मैं अपने बेटों का सौदा नहीं करता।'

प्रधान मंत्री को जिम्मेवारी लेनी चाहिये, मुंबई हमलों की ।

मुंबई में हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है। करीब 200 लोगों को जब आतंकियों ने मौत के
घाट उतार दिया , तो पूरा देश आतंक के खिलाफ एक साथ खड़ा दिखा। इस हमले को लेकर देशवासियों के भीतर भारी गुस्सा था। सरकार ने लोगों की नाराजगी कम करने के मकसद से गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को हटा दिया। पर क्या इतनी कार्रवाई सही है ? क्या इससे फिर आतंकी हमले नहीं होंगे ? आगे से इस तरह की घटनाएं नहीं हों इसके लिए क्या किए जाने चाहिए ? इन्हीं तरह के तमाम सवालों पर लोगों की राय जनाने के लिए टाइम्स ऑफ इंडिया ने सर्वे करवाया। यह सर्वे मुंबई , दिल्ली , कोलकाता , चेन्नै , बेंगलुरु , हैदराबाद , अहमदाबाद , पुणे , लखनऊ और जयपुर में किया गया। सर्वे में शामिल सभी लोग 16 से 45 साल के बीच की उम्र के थे। जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि इसके लिए कौन दोषी है , तो 43 फीसदी लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को दोषी माना। लोगों का मानना था कि पीएम को इसकी कीमत चुकानी चाहिए। मुंबई में हुए इस जिहादी हमले में पाक सरकार के हाथ होने के सवाल पर 88 फीसदी लोगों ने कहा , हां इसमें पाक सरकार का हाथ है , जबकि अन्य का मानना था कि पाक सरकार इन हमलों से अनभिज्ञ है। जब लोगों से यह सवाल पूछा गया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में चल रहे टेरर ट्रेनिंग कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया जाना चाहिए। इस पर 69 फीसदी लोगों ने हामी भरी , जबकि 26 फीसदी ने इससे इनकार किया। सर्वे में शामिल 73 फीसदी का मानना है कि मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हमें सारे सामाजिक और व्यावसायिक संबंध खत्म कर लेने चाहिए , जबकि 25 फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं। होम मिनिस्टर के सवाल पर 60 फीसदी लोगों का कहना है कि चिदंबरम पाटिल से बेहतर हैं , जबकि 26 फीसदी लोग इससे समहत नहीं हैं। 14 फीसदी लोग इस सवाल पर मौन थे। सर्वे में खुलासा हुआ कि 60 फीसदी शहरी मानते हैं कि भारत विकसित देशों , खासकर अमेरिका की मुसलमान देशों के प्रति नीतियों का खमियाजा भुगत रहा है। हालांकि , हर शहर में लोग इस बात से पूरी तरह इत्तिफाक नहीं रखते। लेकिन जब लोगों के सामने यह सवाल रखा गया कि क्या कोई दूसरी सरकार इसे और बेहतर तरीके से निपटती , तो इस पर 64 फीसदी लोग अहसमत दिखे , जबकि 33 फीसदी लोगों का मानना था कि दूसरी सरकार इसको कारगर तरीके निपटती। क्या डिफेंस बजट में कटौती कर आतंरिक सुरक्षा के लिए और अधिक धन मुहैया कराया जाना चाहिए ? इस पर 56 फीसदी ने कहा हां , जबकि 42 फीसदी इसके खिलाफ थे और 2 फीसदी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे। सर्वे में 77 फीसदी ने माना कि आतंरिक सुरक्षा को पूरी तरह से सेना या किसी फेडरल एजंसी को सौंप देना चाहिए। जबकि , 18 फीसदी इसके खिलाफ थे। सर्वे का सबसे अहम सवाल कि क्या कश्मीर के लिए हमें पूरे देश की शांति को दांव पर लगाना पड़ रहा है ? इस पर 76 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं , जबकि 24 फीसदी लोगों ने हामी भरी। इस सवाल पर 1 फीसदी लोग मौन थे।

बुधवार, 10 दिसंबर 2008

जेट एयरवेज हाल में अपने 1900 स्टाफ को नौकरी से निकाला

नई दिल्ली : जेट एयरवेज हाल में अपने 1900 स्टाफ को नौकरी से निकाला , पर दबाव में उसे इन स्टाफ को दोबारा नौकरी पर रखना पड़ा। यह खबर खूब चर्चा में रही। पर इससे कुछ दिन पहले भी जेट ने अपने 1 , 000 स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया था और इस मामले को दबाकर रखा गया , ताकि किसी को इसकी भनक तक न लगे। यूं कहें कि जेट ने चुपके से अपने 1 , 000 स्टाफ को निकाल दिया।
मंदी से कौन सेक्टर बेहाल
सूत्रों का कहना है कि जेट के सीईओ ने अपने निवेशकों से कहा कि जेट एयरवेज और जेटलाइट के कामकाज को सही तरीके से चलाने के लिए स्टाफ की संख्या घटाना जरूरी है और इसके बाद 1 , 000 स्टाफ की छंटनी की गई। सूत्रों के मुताबिक , जेट के सीईओ ने कहा - ' सितंबर महीने में हमने अपने स्टाफ की संख्या 1000 और कम कर दी है और अब जेट एयरवेज और जेटलाइट के बीच तारतम्यता बिठाने की कोशिश में जुटे हैं। ' गौरतलब है कि सहारा एयलाइंस को खरीदने के बाद जेट ने उसका नाम जेटलाइट कर दिया था।

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

साजिश को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैबा का एक बड़ा आतंकवादी तीन महीने से कराची में था।

न्यू यॉर्क: मुंबई हमलों की साजिश को अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैबा का एक बड़ा आतंकवादी तीन महीने से कराची में था। न्यू यॉर्क टाइम्स ने लश्कर के संपर्क में रहे एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, लश्कर-ए-तैबा का कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी साजिश रचने में आतंकवादियों की मदद कर रहा था। अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि हमलावर पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। रिपोर्ट में 5 आतंकवादियों के फरार हो जाने की आशंका जताई गई है। गौरतलब है कि जिस ट्रॉलर को आतंकवादियों ने हाईजैक किया था, उसमें 10 लोगों के लिए नहीं बल्कि 15 लोगों के लिए जरूरी सामान था। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलावरों ने सैटलाइट फोन से कई सबूत छोड़े हैं। यह फोन आतंकवादियों द्वारा हाईजैक किए गए फिशिंग ट्रॉलर में पड़ा मिला था। इसमें लश्कर आतंकवादी यूसुफ मुजम्मिल का टेलिफोन नंबर भी है। यूसुफ को मुंबई हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। लंदन के एशिया-पैसिफिक फाउंडेशन के दो सुरक्षा विश्लेषकों एम. जे. गोहल और सज्जन एम. गोहल ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। सैटलाइट फोन से मुजम्मिल का नंबर और ताज और ओबेरॉय होटलों से मिले सेल फोनों से डायल नंबर एक हैं। ट्रॉलर से मिले सबूतों के आधार पर आशंका है कि हमले के पीछे 5 और आतंकवादी हो सकते हैं। होटलों में आतंकवादियों ने कई विदेशियों से यह पूछा कि वह किस जाति के हैं और कौन से देश से आए हैं? माना जा रहा है कि यह ब्यौरा लेने के बाद हमलावरों ने मुजम्मिल को फोन किया। इसकी पुष्टि गिरफ्तार हुए इकलौते आतंकवादी ने भी की है। होटल से बाहर आए विदेशियों ने बताया कि हमारी पहचान पूछने के बाद आतंकवादियों ने फोन पर पूछा कि इन्हें जिंदा छोड़ना है या मारना है? एक विदेशी का कहना है कि यह कॉन्फ्रंस कॉल लग रही थी और दूसरी ओर दो लोग थे। फोन रखने के बाद आतंकवादियों ने विदेशियों को छोटे-छोटे ग्रुपों में बांट दिया। तभी पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और बंधक भागने में सफल रहे। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ओबेरॉय होटल में आतंकवादियों ने सिंगापुर की एक बंधक लो वेई येन से कहा कि वह सिंगापुर में अपने पति से बात करें। आतंकवादी चाहते थे कि सिंगापुर के अधिकारी भारत से कहें कि बचाव अभियान न चलाया जाए। अगले दिन लो को मार दिया गया।

ये तो होना ही था, राणे आउट

NEW DELHI: The Congress on Saturday suspended Maharashtra leader Narayan Rane, a day after his outburst against the party president Sonia Gandhi and
a number of others when he lost the chief ministerial race. "It has been observed that after the announcement of the new leader of the CLP in Maharashtra, Narayan Rane is making public statements deliberately with a view to lowering the prestige of the Indian National Congress," said AICC general secretary Janardan Dwivedi. "The party has taken a serious view of his utterances and considering this as a case of gross indiscipline, Narayan Rane has been suspended from the party with immediate effect," he said in a statement hours before Rane was scheduled to hold a press conference in Mumbai on Saturday. Rane, who was overlooked by the party high command in favour Ashok Chavan for chief ministership, had attacked the Congress leadership on Friday accusing it of reneging on a promise to make him the chief minister. "I don't trust even Sonia Gandhi anymore", he said which party sources said was the trigger for his suspension. Rane, a leader from the Konkan area who had left Shiv Sena three years ago, had attacked not only Deshmukh but also Ashok Chavan and some central leaders and accused them of conspiring and ignoring his claim for the top job in the state

गुरुवार, 4 दिसंबर 2008

अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री संभावित

चुनाव का रूख

एग्जिट पोल क्या कहते है

दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के लिए वोटिंग हो चुकी है।
अब इंतजार है 8 तारीख का जब सामने आएगा प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला। एक प्राइवट न्यूज़ चैनल वाइस ऑफ इंडिया द्वारा कराए गए एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। दिल्ली, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो मामला बेहद नजदीकी है। मध्य प्रदेश में जरूर बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। आइए देखते हैं इन चारों राज्यों के बारे में क्या कहते हैं एग्जिट पोल के नतीजे- दिल्ली दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए कराए गए एग्जिट पोल में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। दोनों को 32 से 38 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में 20 सीटों पर ही सिमटी बीजेपी को हालांकि इस बार 6 फीसदी वोटों का फायदा हुआ है, लेकिन वह बहुमत से फिर भी दूर है। 2003 में कांग्रेस को 47 सीटें मिली थीं। अन्य के खाते में 1 से 5 सीटें आ सकती हैं। राजस्थान एग्जिट पोल के मुताबिक 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में कांग्रेस के खाते में 102 से 114 सीटें आ सकती हैं। वहीं बीजेपी को 86 से 98 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। अन्य को 8 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है। सर्वे में बीजेपी और अन्य को 2 फीसदी वोटों का नुकसान बताया गया है। जबकि, कांग्रेस को 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश से बीजेपी के लिए कुछ राहत की खबर है। 228 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिख रही है। बीजेपी को 119 से 131 सीटें मिल सकती हैं। 2003 में उसे 171 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस के खाते में 78 से 90 सीटें आ सकती हैं। 2003 में 39 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को 7 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है, लेकिन सीएम की कुर्सी उसकी पहुंच से फिर भी काफी दूर है। 2003 में 18 सीटों पर कब्जा करने वाले अन्य दलों को इस बार 15 से 27 सीटें मिल सकती हैं। छत्तीसगढ़ 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन बढ़त बीजेपी को दिखाई दे रही है। सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 45 से 51 सीटें मिल सकती हैं। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा दिखाया गया है। 2003 में उसके खाते में 50 सीटें आई थीं। कांग्रेस को 39 से 45 सीटें मिलने का अनुमान है। उसे 4 फीसदी वोटों का फायदा होगा। 2003 में उसके खाते में 37 सीटें आई थीं। अन्य को 2 से 6 सीटें मिल सकती हैं।

बुधवार, 3 दिसंबर 2008

महाराष्ट्र से विलासराव का इस्तीफा सोनिया ने मंजूर किया ए. के. एंटनी

महाराष्ट्र से विलासराव का इस्तीफा सोनिया ने मंजूर किया ए. के. एंटनी

रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने बुधवार को तीनों सैन्य प्रमुखों के साथ असाधारण
बैठक में हवाई हमले की आशंकाओं पर विस्तार से विचार किया। उन्होंने सैन्य बलों के आपस में तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत बताते हुए तीनो सैन्य प्रमुखों को हवाई मार्ग से आतंकी हमलों की आशंका के प्रति सचेत किया। एंटनी ने कहा कि सभी एजंसियों के बीच बेहतर तालमेल बहुत जरूरी है ताकि खुफिया सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके़। बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि रक्षा मंत्नालय के शीर्ष अधिकारियों और सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक में श्री एंटनी ने तटीय सुरक्षा को मजबूत करने और इसके लिए राडार तथा इंटरसेप्टर समेत तमाम उपकरण खरीदने के बारे में बात की। श्री एंटनी ने सैन्य प्रमुखों के साथ नियंत्रण रेखा से होने वाली घुसपैठ रोकने के उपायों पर भी बातचीत की। प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रास्ते होने वाली घुसपैठ पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया जो आतंकवादियों को तैयार करने का प्रमुख अड्डा है।

थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले।

लगता है कि मुंबई में हुए हमलों से पुलिस ने कुछ सीख ली है। पुलिस की चौकसी की वजह से बुध
वार को सीएसटी पर एक बड़ी घटना होने से बच गई। पुलिस ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी स्टेशन से बम से भरे दो थैले बरामद किए हैं। इन थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले। खबर मिली कि है सीएसटी स्टेशन पर पुलिस ने विस्फोटक से भरे दो थैले बरामद किए हैं। हर एक थैले में 4-4 किलो विस्फोटक रखे गए थे। मुंबई पुलिस से सक्रियता दिखाते हुए सारे विस्फोटक निष्क्रिय कर दिए।

थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले।

लगता है कि मुंबई में हुए हमलों से पुलिस ने कुछ सीख ली है। पुलिस की चौकसी की वजह से बुध
वार को सीएसटी पर एक बड़ी घटना होने से बच गई। पुलिस ने बुधवार को छत्रपति शिवाजी स्टेशन से बम से भरे दो थैले बरामद किए हैं। इन थैलों में 8 किलो विस्फोटकमिले। खबर मिली कि है सीएसटी स्टेशन पर पुलिस ने विस्फोटक से भरे दो थैले बरामद किए हैं। हर एक थैले में 4-4 किलो विस्फोटक रखे गए थे। मुंबई पुलिस से सक्रियता दिखाते हुए सारे विस्फोटक निष्क्रिय कर दिए।

सोमवार, 1 दिसंबर 2008


अमिताभ बच्चन आमतौर पर अपनी भावनाएं अपने ब्लॉग के जरिए ही जाहिर करते हैं। लेकिन रविवार को वह इतने दुखी और उत्तेजित थे कि उन्होंने मुझे एक एसएमएस भेजा। यह एसएमएस उन्हें राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ठाकरे ने भेजा था।
इस एसएमएस में लिखा था - मुंबई हमले में जितने भी लोगों ने शहर को बचाते हुए अपनी जान गंवाई है, वे सब मराठी थे। एमएनएस वर्कर इस वक्त रक्त दान, पुलिस की मदद और शव उठाने में बिजी हैं। इस बात पर अमिताभ बच्चन बेहद खफा हैं। वह कहते हैं कि क्या ये लोग इससे भी नीचे गिर सकते हैं ? जब एनएसजी, आर्मी और नेवी पूरे देश और दुनियाभर के लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं, ये लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं। बिग बी इन नेताओं पर गुस्सा जाहिर करने वाले अकेले नहीं हैं। बुधवार शाम से ही इस तरह के एसएमएस आ रहे थे कि मुंबई पर हक जताने वाले राज ठाकरे कहां हैं।
दूसरी तरफ
नई दिल्लीः मुंबई के आतंकवादी हमले के बाद नेताओं के नाम पर इतनी थू-थू हुई है कि लगता है राजनेता बौखला गए हैं। इसी बौखलाहट में अजीब-ओ-गरीब बयान सामने आ रहे हैं। नया कारनामा बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी का है। नकवी ने मुंबई में राजनेताओं के खिलाफ नारेबाजी कर रहीं कुछ महिलाओं के बारे में कहा कि ये लिपस्टिक-पाउडर लगाकर क्या विरोध करेंगी। नकवी ने इन महिलाओं की तुलना कश्मीर के अलगाववादियों से कर दी। उन्होंने कहा कि नेताओं के विरोध में नारे लगाने वाले ग्रुपों की जांच होनी चाहिए। नकवी के इस बयान पर बीजेपी भी मुश्किल में आ गई है। आनन-फानन में बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने बयान जारी किया कि यह नकवी के अपने विचार हैं और बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन नकवी की यह टिप्पणी कई महिला संगठनों को नागवार गुजरी है और उनका विरोध शुरू हो गया है। विमिंस पावर कनेक्ट की अध्यक्ष रंजना कुमारी ने कहा है कि यह एक मूर्खतापूर्ण बयान है और इस तरह के लोग नेता होने के लायक ही नहीं हैं। रंजना से साफ किया कि इस वक्त जो विरोध हो रहा है वह लोकतंत्र का नहीं बल्कि नेताओं के गैरजिम्मेदाराना रवैये का विरोध है। लिपस्टिक और पाउडर पर कॉमेंट करके ये नेता यही गैरजिम्मेदारी और मूर्खता ही साबित कर रहे हैं।

"Raj Thackeray kept mum in recent times because of the pressure created by us due to the resignations

The Mumbai terror attacks have made arch rivals JD(U) and RJD change tack on the Maharashtra issue. The high-pitched political war of words against each other appears to have come to an end. Over one month ago when Raj Thackeray-led MNS goons beat up Biharis in Mumbai, there was a rare show of unity for a brief period among the political class of Bihar. It was followed by the usual game of one-upmanship between JD(U) and RJD which was turning dirtier by the day. "The Mumbai terror attacks are a national issue. All other issues are secondary. We can fight on other issues another day," said RJD's national spokesperson Shyam Rajak. Before November 26, RJD had launched a campaign demanding the resignation of CM Nitish Kumar to prove his love for Biharis, post-MNS attacks on them in Mumbai. The JD(U), whose MPs quit the Lok Sabha to protest the developments in Maharashtra and demand dismissal of the government there, is struggling to salvage the issue it had hoped to make a big poll issue. The party has organized a series of functions from December 20 to "felicitate" its MPs who resigned "for the sake of Bihar and Biharis". "Raj Thackeray kept mum in recent times because of the pressure created by us due to the resignations," said Rajiv Ranjan Singh, state JD(U) president and one of the five MPs who resigned. The party hopes to mix up the terror issue with the anti-North Indian stir for political mileage. "The Maharashtra government and the UPA government at the Centre have failed to check terror attacks. It has also been aiding and patronizing terror tactics of Raj Thackeray. What else was Thackeray doing if not spreading terror?" he asked. However, political pundits see the ebbing of the anti-MNS stir in Bihar. "The Mumbai terror attacks have left both UPA and NDA leaders `speechless' on the issue of the anti-North Indian stir in Maharashtra," said a former minister of RJD. "The issue, which had evoked strong protests in Bihar by students and political establishments, appears to have been put on the backburner," he added.

"Terrorists may be Muslim by birth but they are actually radical Muslims

PATNA: For a majority of Indian Muslims, the terror outfits like Lashkar-e-Taiba, Indian Mujahideen, Harkat-ul-Jehad, Al-Badr, Deccan Mujahideen may be alien but because of these elusive organisations, the community is being seen with suspicion. The series of terror attacks in recent past has definitely left an adverse impact on the psyche of Muslims, particularly the youth who have developed a sense of insecurity. "The frustration among them is leading them to nowhere," said Prof Shamim Ahmad Munami. Mohammad Afzal said he is upset. "My friends have started looking at me with suspicion," said the 22-year-old science student living in one of the private lodges in dingy lanes in Sabzibagh. "Like me several others are being ignored and sidelined for no fault of us. Our friends look at us as if we are responsible for the Mumbai terror," lamented a visibly shaken youth. "Muslims are indeed suffering from fear psychosis due to the misdeeds of a few," said Syed Akbar Ali, a retired professor of psychology. "Terrorists may be Muslim by birth but they are actually radical Muslims who have fully deviated from Islamic ethos. Islam preaches peace and compassion and those indulging in violence are only defaming the religion," he asserted. However, prominent surgeon Dr A A Hai disagreed. "I don't think Muslims are feeling guilty. Some may be feeling shaky while some ashamed but majority of Muslims feel whatever is happening is wrong and they condemn it," he said. "If a person, identified as Muslim, is killing innocents then he cannot be a Muslim," he added. "The entire community cannot be blamed for the misdeeds of a few people nor can terrorism be seen through any religious angle," said Advantage Media managing director Khurshid Ahmad. Tagging violence to religion will be counter-productive, he added. Maulana Anisur Rahman Quasmi of Imarat Shariah was critical of the tendency to link religion with terror. "This is very harmful for the country and it is badly affecting the psyche of youths of all religions," he said. All India Muslim Personal Law Board general secretary Maulana Syed Nizamuddin refused to share the perception that only Muslims are involved in terrorism. "The Mumbai attack was a well planned conspiracy and it cannot be a handiwork of a handful of Muslims. Everything should be seen in totality whether it is the Batla House encounter or Malegaon blasts," the cleric said.