मंगलवार, 23 दिसंबर 2008

पालिटीशियन अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं

राजभाषा के क्षेत्र में भी अब पालिटीशियन घुस गए है और अपने लाभ केलिए हिन्दी का दोहन कर रहे हैं । राजभाषा विभाग द्वारा कुछ प्रतिनिधि हरेक मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में नामितकिए जाते है लेकिन इसका दुरूपयोग खुलेआम हो रहा है । रेलवे की हिन्दी सलाहकार समिति में अब्दुल मनियार और इस प्रकार के बहुत से सदस्य इसका जीता जागता प्रमाण है जबकि हिन्दी से इस प्रकार के लोगों काकोई वास्ता नहीं होता , उन्हें केवल पास मिलता है और जब वे विभिन्न रेलों में प्रेक्षक के रूप में जाते है तो वहां पर महाप्रबंधकों के साथ बैठक होने के कारण अन्य स्रोतों से अच्छी आमदनी करते है। राजभाषा विभाग को इस पर ध्यान देना चाहिये और केवल उन्ही लोंगों को मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों में नामित करें जो वास्तव में इसके पात्र है, मात्र मंत्री के कहने से अपात्र लोंगों को नामित करना अब बन्द होना चाहिये । यदि यह प्रथा जारी रही तो बहुत जल्दी ही भारत से राजभाषा के नाम पर हिन्दी अपने आप समाप्त हो जाएगी ।

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