बुधवार, 27 मार्च 2013

जब पढाई में होशियार छात्र का ये हाल है तो कमजोर छात्रों की क्या गत बनती होगी


राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् NCERT ने सीबीएससी की बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को अंग्रेजी विषय में साहित्य पढ़ाने के लिए अंग्रेजी विषय की दो पुस्तकें प्रकाशित कर लागू कर रखी है| पहली पुस्तक Flamingo Textbook in English- X11 Core Course. इस पुस्तक में छात्रों को पढ़ाने के लिए राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने जो कहानियां व कविताएँ प्रकाशित की है उनके लेखकों में महज दो नामों Ashoka Mitram & Kamala Dasss को छोड़कर बाकी सभी नाम Alphonse, Anees Jung, William Dougals, Selma Langerdof, Louis Fischer, Christopher, A.R.Bartor, Stephen Spender, Pablo Neruda, Jhon Keats, Robert Frost, Adrienne Rich विदेशी है| और इनकी रचनाओं से भारत का व भारतीय इतिहास, संस्कृति या किसी भारतीय विषय से कोई लेना देना नहीं है| 

हाँ इनमें से एक विदेशी लेखक (Louis Fischer) का लेख “Indigo” जरुर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर है जिसे पढने या पुस्तक में देखने के बाद लगता है कि राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् को पुस्तक में महात्मा गाँधी के बारे में छापने के लिए भी किसी भारतीय का लिखा मिला ही नहीं या फिर राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् किसी भारतीय लेखक द्वारा लिखा छात्रों को पढ़ाने लायक नहीं समझती|

बारहवीं कक्षा की ही दूसरी पुस्तक “Vistas” Strictly Based on Latest Style and syllabus of NCERT में भी राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने भारतीय छात्रों को पढ़ाने के लिए विदेशी लेखकों की ही रचनाएँ चुनी है ये विदेशी लेखक है - Jack Finney, Kalki, Tishani Doshi, John Updike, Colin Dixter, Zitkala SA, Bama |

इन पुस्तकों में प्रकाशित विदेशी रचनाओं को ज्यादातर छात्र समझ ही नहीं पाते कि ये उन्हें पढाई किस उद्देश्य से जा रही है? बारहवीं कक्षा का एक पढाई में अव्वल आने वाले होशियार छात्र ने बताया कि उसने पुस्तक में विदेशी लेखकों द्वारा लिखी कहानियों को समझने के लिए तीन अलग-अलग रेफरेंस बुक खरीदकर पढ़ी फिर भी मैं उन कहानियों को समझ नहीं पाया| जब पढाई में होशियार छात्र का ये हाल है तो कमजोर छात्रों की क्या गत बनती होगी आसानी से समझी जा सकती है|

उपरोक्त दोनों पुस्तकों के में राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा चुने गए अंग्रेजी साहित्य व उनके लेखकों के बारे में चर्चा करते हुए एक छात्र चुटकी लेता है कि यदि राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् को हमारी हिंदी विषय की पुस्तक के लिए भी यदि विदेशी लेखक और उनका लिखा मिल जाता तो वो भी हमें विदेशियों का विदेश के बारे में लिखा ही पढना पड़ता|

राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा बारहवीं कक्षा के छात्रों को पढने के लिए उपरोक्त दोनों पुस्तकों को देखने के बाद मन में कई प्रश्न उठ खड़े होते है-

1- क्या भारत में अंग्रेजी साहित्यकार पैदा ही नहीं हुए?

2- क्या भारत के अंग्रेजी साहित्यकारों द्वारा लिखा साहित्य राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् निम्न स्तर का समझती है ?

3- क्या भारतीय संस्कृति, इतिहास व साहित्य अंग्रेजी में लिखा ही नहीं गया ? कि भारतीय छात्रों को विदेशी साहित्य पढाया जा रहा है|

4- क्या राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छात्रों को पढ़ाने के लिए कोर्स में भारतीय महापुरुषों की जीवनियाँ आदि शामिल नहीं कर सकती ? जिन्हें पढ़ भारतीय छात्र गौरान्वित हो सके|
 

5 - क्या राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् का यह कार्य भारत की नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, इतिहास व साहित्य से दूर रखने कुकृत्य नहीं ?

मंगलवार, 26 मार्च 2013

होली की हार्दिक शुभकामनायें


होली की हार्दिक शुभकामनायें 

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

हिंदी के मुहावरे


        हिंदी के मुहावरे 

हिंदी के मुहावरे ,बड़े ही बावरे है 
खाने पीने की चीजों से भरे है 
कहीं पर फल है तो कहीं आटा दालें  है  
कहीं  पर मिठाई है,कहीं पर मसाले है 
फलों की ही बात लेलो ,
आम के आम,गुठलियों के भी दाम मिलते है 
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे,खरबूजे को देख कर रंग बदलते है 
कहीं दाल में काला है,
कोई डेड़ चांवल की खिचड़ी  पकाता है 
कहीं किसी की दाल नहीं गलती,
कोई लोहे के चने चबाता है 
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है 
मुफलिसी में जब आटा  गीला होता है ,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है 
सफलता के लिए  बेलना पड़ते  है कई पापड 
आटे  में नमक तो जाता है चल 
,पर गेंहू के साथ,घुन भी पिस जाता है 
अपना हाल तो बेहाल है 
ये मुंह और मसूर की दाल है 
गुड खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते है 
और गुड का गोबर कर बैठते है 
कभी तिल का ताड़,कभी राई का पर्वत बनता है 
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है ,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है 
किसी के दांत दूध के है ,
किसी को छटी  का दूध याद आ जाता है 
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है ,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है 
शादी बूरे  के लड्डू है ,जिनने खाए वो भी पछताए,
और जिनने नहीं खाए ,वो भी पछताते  है 
पर शादी की बात सुन ,मन में लड्डू फूटते है ,
और शादी के बाद ,दोनों हाथों  में लड्डू आते है 
कोई जलेबी की तरह सीधा है ,कोई टेढ़ी खीर है 
किसी के मुंह में घी शक्कर है ,
सबकी अपनी अपनी तकदीर है 
कभी कोई चाय पानी करवाता है ,
कोई मख्खन लगाता है 
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है ,
तो सभी के मुंह में पानी आता है 
भाई साहब अब कुछ भी हो ,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है 
जितने मुंह है,उतनी बातें है 
सब अपनी अपनी बीन बजाते है 
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ,
सभी बहरे है,बावरें है 
ये सब हिंदी के मुहावरें