मंगलवार, 25 अगस्त 2009

केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने त्योहारी सीजन का तोहफा दिया है।



सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद एरियर (बकाया राशि) की दूसरी किश्त जारी करने की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार दूसरी किश्त सितंबर में मिलने की संभावना है। इससे सरकारी खजाने पर करीब 17,500 करोड़ रुपये का भार बढ़ेगा। एरियर सितंबर माह की सैलरी में मिलने की उम्मीद है। वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद वेतन बढ़ोतरी को जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इस कारण केंद्रीय कर्मचारियों को एरियर का भुगतान किया गया, मगर सरकार ने इसे दो भागों में देने का फैसला किया। नवंबर 2008 में कुल एरियर का 40 पर्सेंट दिया गया था। अब एरियर का बाकी बचा 60 पर्सेंट दिया जाएगा। देश में करीब 38 लाख केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर हैं। इस आंकड़े में सुरक्षाबल शामिल नहीं हैं, वे भी केंद्र सरकार के आधीन आते हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों को एरियर राशि जारी कर दी गई है। अब इसका ज्ञापन सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों और विभागों में भेजा जाएगा। इसके बाद मंत्रालय और विभाग अपने कर्मचारियों और अधिकारियों की बकाया राशि का आकलन करने के बाद इसे देंगे। ऐसे में एरियर सितंबर माह की सैलरी में ही संभव हो पाएगा। ज्ञापन में कहा गया है कि जिन कर्मचारियों ने 1 जनवरी 2004 के बाद से नौकरी जॉइन की है, उनको दूसरी किश्त तभी मिलेगी, जब वे नई पेंशन स्कीम लेंगे। सरकारी कर्मचारियों को पहले की तरह अपने एरियर की दूसरी किश्त को भी साधारण भविष्य निधि (जीपीएफ) में जमा करने की भी छूट रहेगी।

सोमवार, 17 अगस्त 2009

पार्टी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी के नक्शे कदम पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के सीनियर नेता जसवंत सिंह ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना को एक 'महान भारतीय' करार दिया है। एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व विदेश मंत्री सिंह ने बंटवारे के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया है। इंटरव्यू में सिंह ने कहा कि नेहरू बहुत हद तक केंद्रीकृत नीति में विश्वास करते थे और यही चीज वह देश में लागू करना चाहते थे। जिन्ना एक संघीय नीति चाहते थे, जिसे गांधी भी स्वीकार करते थे। जबकि नेहरू इससे सहमत नहीं थे। नेहरू 1947 तक संघीय भारत के रास्ते में खड़ा रहे। जसवंत ने बंटवारे के लिए जिन्ना को जिम्मेदार मानने की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि यह गलत धारणा है और इसे सुधारने की जरूरत है। सिंह ने कहा कि मैं सोचता हूं कि हमने उन्हें गलत समझा क्योंकि हमें एक भय खड़ा करने की जरूरत थी। हमें एक भय की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि इस उपमहाद्वीप की 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी घटना देश का बंटवारा था। जसंवत सिंह द्वारा जिन्ना पर लिखी गई पुस्तक सोमवार को रिलीज होगी। उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तानी नेता के व्यक्तित्व से प्रभावित हैं। सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि क्यों देशवासी जिन्ना को एक महान भारतीय करार नहीं देते। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिन्ना ने काफी कुछ ऐसा किया जो सही मायने में काफी महत्वपूर्ण था। गांधी ने स्वयं जिन्ना को महान भारतीय करार दिया है। इसे हम क्यों नहीं याद रखते हैं। हम यह क्यों नहीं सोचते कि गांधी ने उन्हें ऐसा क्यों कहा।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

प्रेमचन्द की धनिया अभी भी जिन्दा

प्रेमचंद की धनिया करीब 75 साल बाद गोदान (उपन्यास) से निकलकर रायबरेली के अघौरा गांव में खड़ी है। उन्हीं विद्रोही तेवरों के साथ। इस बार उसका नाम विद्यावती पासी है। धनिया के पति होरी की तरह विद्यावती का घरवाला देसराज भी कर्ज में डूबा अपने मुकद्दर को कोसता है, लेकिन अनपढ़ विद्यावती व्यवस्था को चुनौती देती हुई पूछती है कि जब मकान वालों को कॉलोनी (इंदिरा आवास योजना में पक्का मकान) दे दी गई तो हम बिना छत और दीवारों वाले गरीबों को क्यों नहीं? पिछले साल की बारिश में ढह गए अपने एक कच्चे कमरे के घर को दिखाने के लिए ही विद्यावती अचानक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का हाथ पकड़कर उन्हें घर के अंदर ले तो गई थी, मगर बिठाने के लिए उसके पास चारपाई तक नहीं थी। दलितों के गांव वैसे ही हैं। प्रेमचंद बदलाव की कहानियां लिख रहे थे। मगर गरीब के घर नहीं बदले। यह सारे घर रायबरेली के आसपास के इलाकों- प्रतापगढ़ और बनारस के गांवों में ही प्रेमचंद ने देखे थे। सोनिया अपने संसदीय क्षेत्र के विकास पर बहुत ध्यान देती हैं। इस बार काफी सख्त भी दिखीं। मगर व्यवस्था को चलाने वाले भी कम कलाकार नहीं हैं। दौरे के आखिरी दिन बुधवार को सोनिया की गाड़ी के गुजरने के साथ ही आवाज आती है- मैडम गईं, काम बंद कर दो। यह तल्ख सचाई यूपीए की सबसे महत्वाकांक्षी स्कीम ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा )की है। विडंबना यह है कि सरेआम आंखों में धूल झोंकने का यह कारनामा सोनिया के संसदीय क्षेत्र में किया जा रहा है। देश के सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय क्षेत्र रायबरेली में नरेगा के कामों में बेशुमार शिकायतें हैं। एक और मिसाल देखिए। सोनिया गांव बदई पुरवा में नरेगा के अंतर्गत सड़क निर्माण का काम देखने गईं। मौके पर कोई मस्टर रोल नहीं थी। कितने लोगों को यहां काम मिला है? अभी कितने ग्रामीण काम कर रहे हैं? पैसा कब से नहीं मिला? जैसे सवालों का ग्राम प्रधान और बीडीओ के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। सोनिया ने जब वहां खुद खड़े होकर हाजिरी लगवाई तो प्रधान ने सच स्वीकार करते हुए कहा- मैडम जब आप आती हैं तो हमारे गर्दन पर तलवार रख दी जाती है। कहा जाता है कि काम शुरू करवाओ। अब जल्दी और घबराहट में गलतियां होती हैं। हमें माफ कर दो। नरेगा का काम राज्य सरकार के अधिकारी करवाते हैं। गांव के सरपंच कहते हैं कि उन्हें नरेगा का काम तभी मिलता है, जब पहले जिला अधिकारियों को उनका कमिशन मिल जाता है। यह पैसा कहां से दिया जाए? गांव के लोग बताते हैं कि नरेगा में काम दस को मिलता है, मस्टर रोल में नाम लिखे जाते हैं पचास। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में नरेगा के कामों को लेकर सार्वजनिक रूप से गुस्सा दिखा चुके हैं। एक अधिकारी ने जब गांववालों को गलत करार देने की कोशिश की थी, तब राहुल ने डांटते हुए कहा था कि लोग गलत नहीं बोलते।

शनिवार, 8 अगस्त 2009

गीतकार गुलशन बावरा का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन

'मेरे देश की धरती....' जैसे लोकप्रिय गीतों के रचयिता और जाने माने गीतकार गुलशन बावरा का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया। बाबरा की पड़ोसी मोनिका खन्ना ने बताया- उनकी तबियत कई महीनों से ठीक नहीं थी। शुक्रवार सुबह उन्हें बांद्रा स्थित उनके निवास पर दिल का दौरा पड़ा। उनके परिवार वाले दिल्ली में रहते हैं, जिन्हें सूचना दे दी गई है और वे मुंबई के लिए निकल चुके हैं। उन्होंने कहा कि गुलशन बावरा की इच्छा थी कि उनकी देह को दान किया जाए इसलिए अंतिमसंस्कार नहीं होगा। उनकी देह को जेजे अस्पताल ले जाया जाएगा। वर्तमान पाकिस्तान में जन्मे गुलशन बावरा विभाजन के बाद भारत आ गए थे। अपने 42 सालों के फिल्मी सफर में उन्होंने- 'यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी', 'तेरी कसम', तुम न होते रहेंगी बहारें और जीवन के हर मोड़ पर मिल जाएंगे हमसफर जैसे यादगार गीत लिखे। यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी... गाने के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। गुलशन के परिवार में उनकी पत्नी हैं।