सोमवार, 18 नवंबर 2013

हिंदी के प्रति दोहरा चरित्र

 एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने एसपी को छोड़कर अन्य विपक्षी दलों के नेताओं पर हिंदी के प्रति दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने संसद में अंग्रेजी में भाषण देने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इटावा हिंदी न्यास की ओर से आयोजित 21वें सारस्वत समारोह में मुलायम ने यह विचार व्यक्त किए। इस मौके पर 'बुलेट राजा' और 'साहब, बीवी और गुलाम' जैसी फिल्मों के निर्माता तिग्मांशु धूलिया समेत 14 हस्तियों को हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया गया। 
मुलायम ने कहा कि देश के बाकी नेताओं का हिंदी के प्रति दोहरा चरित्र है। वह जनता से वोट तो हिंदी बोलकर मांगते हैं, लेकिन संसद में अंग्रेजी में ही बात करते हैं. इस दोहरे चरित्र से हिन्दी का उत्थान कैसे होगा? उन्होंने कहा कि संसद में अंग्रेजी भाषणों पर रोक लगनी चाहिए। जिन देशों ने अपनी मातृभाषा को सरकारी कामकाज की भाषा बनाया, उन्होंने ज्यादा तरक्की की है। दूसरे देशों में हिंदी के प्रति रुझान बढ़ रहा है जबकि हिंदुस्तानी लोग इससे दूर हो रहे हैं। हालांकि मुलायम ने कहा कि वह अंग्रेजी के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उन्हें महसूस होता है कि देश के नेता अपनी भाषा हिंदी को ही तवज्जो दें, ताकि संसद में उनकी बात देश की गरीब और पिछड़ी जनता को भी समझ में आए। 
मुलायम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होंने राज्य लोकसेवा आयोग में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया और विधानसभा में हिंदी भाषा का चलन बढ़ाने के कदम उठाए। समारोह के मुख्य अतिथि कर्नाटक के राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा कि हिन्दी भाषा का प्रयोग राष्ट्र की एकता के लिए जरूरी है। उन्होंने मंच पर बैठे कई न्यायाधीशों और राजनेताओं से आह्वान किया कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दें। 

रविवार, 3 नवंबर 2013

शुभकामनायें

आप सभी पाठकों को दीप पर्व की शुभकामनायें 

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

लेखक एवं व्यंग्यकार के.पी. सक्सेना का निधन

 पद्मश्री से सम्मानित मशहूर लेखक एवं व्यंग्यकार के.पी. सक्सेना का गुरुवार को लखनऊ में निधन हो गया। वह कैंसर से पीड़ित थे। 
'स्वदेश', 'लगान', 'हलचल' और 'जोधा अकबर' जैसी फिल्मों की पटकथा और संवाद लिखने वाले सक्सेना ने गुरुवार की सुबह करीब 8.30 बजे लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें 31 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
 
सक्सेना के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सक्सेना के चले जाने से हिन्दी साहित्य जगत और विशेष रूप से हास्य-व्यंग्य विधा को अपूरणीय क्षति पहुंची है।
 

पद्मश्री सम्मान से विभूषित सक्सेना लखनवी तहजीब एवं संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखकर फिल्म जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उन्हें अच्छी पटकथा लिखने के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नामांकित भी किया गया था।

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

साहित्यकार राजेंद्र यादव का सोमवार देर रात निधन

 हिंदी के प्रमुख साहित्यकार राजेंद्र यादव का सोमवार देर रात निधन हो गया। वह 84 साल के थे। फिलहाल उनका शव दिल्ली के मयूर विहार स्थित उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, लंबे समय से बीमार चल रहे राजेंद्र यादव की सोमवार रात अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें घर के पास ही स्थित अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
राजेंद्र यादव हिन्दी साहित्य का एक मजबूत स्तंभ थे। उन्हें मौजूदा दौर में हिन्दी साहित्य की कई प्रतिभाओं को सामने लाने का श्रेय जाता है। उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत में शोक की लहर फैल गई है।

बुधवार, 25 सितंबर 2013

7वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी

 देश भर के करीब 50 लाख से ज्यादा केंद्रीय कमर्चारियों और 35 लाख से ज्यादा पेंशनरों के लिए केंद्र सरकार ने आज बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने बुधवार को 7वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह वेतन आयोग 2 साल में अपनी सिफारिशें पेश करेगा।
चुनावी साल में केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। कर्मचारी संगठनों की मांग को देखते हुए इस बार सरकार ने वक्त से पहले ही वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। गौरतलब है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार ने 1 जनवरी 2006 से लागू किया था।
नए वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होंगी। माना जा रहा है कि सरकार इस बार तय वक्त से वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर देगी। गौरतलब है कि पिछले वेतन आयोग की सिफारिशें तय वक्त से करीब 3 साल बाद लागू की गई थीं। हालांकि, कर्मचारियों को एरियर दिया गया था।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

समारोह में बैरागी ने कविताओं का पाठ किया

राजधानी में हिंदी दिवस का आयोजन किया गया । इस अवसर पर हिंदी के सुपरिचित कवि बाल कवि बैरागी को सम्मानित किया गया। इस मौके पर उनके साहित्यिक और राजनैतिक जीवन के बारे में चर्चा भी हुई। 
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में टाइम्स ऑफ इंडिया और इंटरनैशनल मेलोडी फाउंडेशन के सहयोग से हुए इस समारोह में बैरागी ने कविताओं का पाठ किया। गिरिजा देवी की शिष्या ममता शर्मा ने भी कुछ प्रसिद्ध हिंदी कवियों की रचनाओं का गायन किया। 
समारोह में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़, भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव ओ. पी. रावत और कई नामी हिंदी प्रेमी मौजूद थे। यह समारोह डीटीटीडीसी, एनबीसीसी, सिंडीकेट बैंक, ओएनजीसी, मोहम्मद यूनुस एजूकेशन ट्रस्ट, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, एलआईसी, गेल और नेशनल हाउसिंग बैंक के सहयोग से किया गया। 

गुरुवार, 19 सितंबर 2013

हिंदी का सौभाग्य है कि वो एक मुख्य भाषा बनकर आगे चल रही है

ये बात हर मौके पर उठकर आती है कि हिंदी गर्त में जा रही है , हिंदी बोलने वाले कम हो रहे हैं या हिंदी जानने वाले हिंदी बोलना ही नहीं चाहते ! कुछ सच्चाई तो है इन बातों में लेकिन पूर्ण सच्चाई नहीं है ! हर एक आदमी की मानसिकता अलग होती है , कोई हिंदी बोलना शान के खिलाफ समझता है , कोई इसे गरीबों की भाषा समझता है तो कोई इसे अभिव्यक्ति और सम्मान की भाषा समझता है ! ये सही है कि हमारे हिंदी के फिल्म अभिनेता ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों पर अंग्रेजी में वार्तालाप करते हुए दीखते हैं लेकिन यही लोग हिंदी फिल्में पाने और अपना प्रचार करने के लिए हिंदी का प्रयोग करते हैं ! इसमें उन्हें दोष देना गलत है क्योंकि पेट सबसे बड़ी जरुरत है वो चाहे किसान का हो , मजदूर का हो या एक अभिनेता का हो ! लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा ही हिंदी को वरीयता देते हैं ! निश्चित ही सबसे पहला नाम महानायक अमिताभ बच्चन का आता है जो न केवल हिंदी बोलते हैं बल्कि बहुत शुद्ध और उच्चकोटि की हिंदी बोलते हैं ! मनोज वाजपायी , आशुतोष राणा की हिंदी से कौन वाकिफ नहीं है ? इसी दौर में प्रकाश झा जैसे डाइरेक्टर हिंदी को बढ़ावा देते हुए दीखते हैं ! और क्यूंकि हम सब जानते हैं कि हिंदी फिल्मों का बाज़ार दिनों दिन भारत से निकलकर श्री लंका और दुबई के रास्ते होते हुए यूरोप और जापान तक की गलियों में पहुँच रहा है , तो ऐसे में हिंदी का बोलबाला स्वतः ही दिखने लगता है ! कभी कभी हिंदी को लेकर दक्षिण में जो कुछ दिखाई देता है असल में वो असली नहीं है वो पैदा किया हुआ होता है ! क्यूंकि अगर वो पैदा नहीं होगा तो वोट बटोरने की मशीन ख़त्म हो जायेगी और मुझे ये गलत भी नहीं लगता ! गलत यानी कि ये की उन पर हिंदी थोपी जाए आखिर क्यूँ थोपी जाए दक्षिण में हिंदी हिंदी भारतीय भाषाओँ की बड़ी बहन जैसी है और मुझे लगता है उसे छोटी बहनों को भी प्यार करना चाहिए ! हिंदी , क्यूंकि बड़ी बहन है तो उसे और दूसरी भाषाओँ को भी सम्मान और उचित स्थान देना चाहिए ! हिंदी स्वयं में ही इतनी सुन्दर भाषा है कि लोग खिचे आते हैं ! मुझे उत्तर पूर्व में बहुत बार यात्रा करने का अवसर प्राप्त हुआ है लेकिन मुझे कभी भी ऐसी समस्या नहीं आई कि मैं अपनी बात हिंदी में उन लोगों को नहीं समझा सका ! हाँ , ये जरुर है कि ग्रामीण इलाकों में जरुर कुछ मुश्किल आती है किन्तु ऐसा तो हर जगह होता है ! आपको भोजपुरी समझने में दिक्कत हो सकती है , आपको राजस्थानी समझने में दिक्कत हो सकती है और यहाँ तक कि आपको हरियाणवी समझने में भी परेशानी हो सकती है लेकिन ये सब हिंदी के साथ चलती रहती हैं !

आज़ादी से पहले या आज़ादी के बाद भारत में जब जब सामाजिक आन्दोलन हुए हैं उनमें हिंदी को प्राथमिकता मिली है ! लोगों ने अपने विचार , अपने आन्दोलन , अपनी क्रांति को हिंदी के माध्यम से व्यक्त किया है ! भगत सिंह ने हमेशा पंजाबी और हिंदी में लिखा है ! लोहिया , राज नारायण जी से लेकर अन्ना हजारे तक ने अपनी अभिव्यक्ति को हिंदी में ही व्यक्त किया है और हिंदी ने ही इन आंदोलनों और क्रांतियों को सांस दी हैं और अपने उच्चतम शिखर तक गयी हैं ! इसलिए मुझे लगता है हिंदी में वो ताकत है जो किसी भी आन्दोलन और सामाजिक परिवर्तन को आगे लेकर जा सकती है ! हिंदी का सौभाग्य है कि वो एक मुख्य भाषा बनकर आगे चल रही है और मुझे भरोसा है कि एक दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में में भी जरुर हिंदी को आधिकारिक भाषा का सम्मान मिलेगा ! ये मिल सकता है अगर हम इसकी पैरवी प्रभावी तरीके से करें ! संयुक्त राष्ट्र महासभा में माननीय अटल बिहारी वाजपायी जी द्वारा दिया गया भाषण किसे याद नहीं है ? इसलिए हिंदी के लिए ये जरुरी हो जाता है कि उसकी हिमायत प्रभावी तरीके से हो ! हिंदी के प्रति कुछ शब्द काव्य के रूप में लिखकर आपसे विदा लेता हूँ :

मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ मातृ-भू तुझको अभी कुछ और भी दूँ ॥
माँ तुम्हारा ऋण बहुत है मैं अकिंचन
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब
स्वीकार कर लेना दयाकर यह समर्पण
गान अर्पित प्राण अर्पित रक्त का कण-कण समर्पित ॥


माँज दो तलवार को लाओ न देरी
बाँध दो कसकर कमर पर ढाल मेरी
भाल पर मल दो चरण की धूलि थोड़ी
शीष पर आशीष की छाया घनेरी
स्वप्न अर्पित प्रश्न अर्पित आयु का क्षण-क्षण समर्पित ॥

शनिवार, 14 सितंबर 2013

हिन्दी भाषियों को हिदी दिवस की शुभकामनायें

हिन्दी ! भारत- माता के माथे की बिंदी ! सभी हिन्दी भाषियों को हिदी दिवस की शुभकामनायें ,एवं अहिन्दी भाषियों को हिन्दी भाषा अपनाने का आवाहन ! जय हिन्दी !

बुधवार, 14 अगस्त 2013

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

आप सभी को एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें । 

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

हिंदी बोलने पर कड़ी सजा

 मध्य प्रदेश के दमोह जिले में अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में पढ़ने वाली स्टूडेंट को हिंदी बोलने पर कड़ी सजा मिली है। टीचर ने स्टूडेंट को एक बार नहीं कई बार पीटा है। मामला डीएम के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं, थाने में भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
जानकारी के मुताबिक, अंग्रेजी मीडियम के स्कूल सेंट जॉन की क्लास 3 में पढ़ने वाली मानसी अपने साथियों से हिंदी में बातचीत कर रही थी। उसे हिंदी बोलता देख टीचर ने पिटाई कर दी। टीचर का कहना था कि स्कूल परिसर में हिंदी में बात करने की मनाही है।
मानसी ने जब यह बात अपने परिवार वालों को बताई तो वे डीएम स्वतत्र कुमार सिंह की जनसुनवाई में जा पहुंचे और हिंदी बोलने पर दंड दिए जाने की शिकायत की। सिंह ने इस मामले की जिला शिक्षाधिकारी एस.के. नीमा को जांच का जिम्मा सौंप दिया।

जिला शिक्षाधिकारी नीमा का कहना है कि वह इस प्रकरण की पूरी जांच कराएंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल की मान्यता रद्द किए जाने तक की कार्रवाई हो सकती है। वहीं पीड़ित स्टूडेंट के परिवार वालों ने थाने में भी टीचर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

मोदी ने उर्दू समेत देश की सभी मुख्य क्षेत्रीय भाषाओं में ट्विटर अकाउंट बनाए

 बीजेपी की इलेक्शन कैंपेन कमिटी के चेयरमैन और गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने देश भर में पहुंच बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसके लिए मोदी ने उर्दू समेत देश की सभी मुख्य क्षेत्रीय भाषाओं में ट्विटर अकाउंट बनाए हैं। 
ट्विटर पर इंग्लिश के अलावा अब नरेंद्र मोदी के हिंदी, उर्दू, कन्नड़, मराठी, मलयालम, उड़िया, तमिला और बांग्ला अकाउंट भी हैं। उर्दू में उन्होंने 9 ट्वीट किए हैं और इस हैंडल को 150 से ज्यादा लोग फॉलो कर रहे है। मोदी के मराठी अकाउंट के फॉलोअर्स की संख्या 400 से ज्यादा है। इन दोनों अकांउट्स के जरिए नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों के बीच पहुंचना चाहते है।
 
बीजेपी के कम्यूनिकेशन सेल के मुताबिक, 'अब हम लोगों तक क्षेत्रीय भाषाओं के जरिए पहुंच रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बहुत से लोग उर्दू पढ़ते-बोलते हैं। ऐसे में क्षेत्रीय भाषाओं के जरिए लोगों से जुड़ना असरदार रहेगा।'

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और कथाकार विभूति नारायण - बातचीत के प्रमुख अंश:

मेरे लिए यह एक नई दुनिया थी। यद्यपि यह विश्वविद्यालय हिंदी भाषा और साहित्य से जुड़ा था और मैं हिंदी भाषा से प्यार करने वाला एक अदना लेखक था। इसके बावजूद सांस्थानिक पेचीदगियां तो होती ही हैं। शुरू में कुछ दिक्कतें तो जरूर हुईं। आकादमिक जगत के नियमों से निपटने के लिये मैं अपने साथ लखनऊ युनिवसिर्टी के प्रोफेसर नदीम हसनैन को प्रो वाइस चांसलर के रूप में लाया। इतना ही कह सकता हूं कि मैंने अपने कार्यकाल को भरपूर एंजॉय किया। मुझे बिना बिजली, पानी, सीवर, छात्रावासों और कक्षाओं वाले पांच टीले मिले थे, जिन पर आज गतिविधियों से भरपूर एक आवासीय विश्वविद्यालय फलता-फूलता देखा जा सकता है। मुझे संतोष है कि मैं अपनी भाषा के लिए कुछ कर सका।

यह विश्वविद्यालय कई अर्थों में विशिष्ट है। यह हिंदी को एक विश्व भाषा बनने के लिए आवश्यक उपकरण विकसित करने हेतु स्थापित होने वाला पहला विश्वविद्यालय है। शायद इसीलिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में केवल इसके नाम के साथ अंतरराष्ट्रीय शब्द जुड़ा है। महात्मा गांधी के आदर्शों और सपनों पर आधारित पाठ्यक्रमों जैसे शांति एवं अहिंसा, स्त्री अध्ययन तथा दलित एवं जनजाति अध्ययन जैसे पाठ्यक्रम प्रारंभ से ही यहां की शैक्षणिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण बने रहे। बाद में विकसित हुए नए पाठ्यक्रमों में भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि यह अपनी मूल अवधारणा से भटकने न पाए।
केवल कहानी-कविता पढ़ाकर किसी भाषा का कल्याण नहीं हो सकता। एक विश्वभाषा बनने में हिंदी तभी समर्थ होगी जब उच्चतर ज्ञान के अनुशासनों को हिंदी माध्यम से न सिर्फ पढ़ाया जाए बल्कि हिंदी में इसके लिए आवश्यक स्तरीय पाठ्य सामग्री भी तैयार की जाए। इसी योजना के तहत मैंने संचयिता या साहित्य से जुड़ी पुस्तकों के प्रकाशन से अधिक समाजशास्त्रीय सामग्री के प्रकाशन पर जोर दिया। यहां बड़े पैमाने पर अनेक अनुशासनों की पाठ्य सामग्री तैयार हो रही है। मुझे आशा है कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कई अनुशासनों में हम यह लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे और तेरहवीं पंचवर्षीय योजना में यहां मेडिसिन, इंजीनियरिंग और कानून जैसे क्षेत्रों में हिंदी माध्यम से पढ़ने-पढ़ाने के बारे में योजनाएं बन सकती हैं।
देखिए, इस तथ्य को हमें सबसे पहले स्वीकार करना होगा कि भारत में शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य एक व्हाइट कॉलर जॉब हासिल करना है। आपको कोई विरला ही छात्र ऐसा मिलेगा जो विशुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के लिए शिक्षा संस्थानों में आता है। इसलिए यह बहुत स्वाभाविक है कि माध्यमिक शिक्षा समाप्त करते ही छात्र एमबीए, इंजीनियरिंग या मेडिसिन जैसे क्षेत्रों की तरफ भागते हैं जहां कहीं अधिक वेतन वाले रोजगार मौजूद हैं । बचे खुचे छात्र ही अब समाज विज्ञान और प्योर साइंस जैसे क्षेत्रों में आते हैं। मुझे नहीं लगता कि इस दिशा में तब तक अधिक कुछ किया जा सकता है जब तक भारतीय समाज की संरचना में कोई बुनियादी परिवर्तन न आए।
जब हमने हिंदी माध्यम से एमबीए पढ़ाने का फैसला लिया तब यह शंका बहुत से लोगों के मन में थी कि हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों को रोजगार कहां मिलेगा। पर नतीजा बहुत उत्साहजनक रहा। हमें यह याद रखना चाहिए कि हिंदी का सबसे बड़ा संबल आज का बाजार है। भारत का मध्य वर्ग यूरोप की कुल आबादी से बड़ा है और यह एक विशाल उपभोक्ता समूह है। उपभोक्ताओं का यह समूह अब सिर्फ महानगरों तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि टायर टू-थ्री शहरों से होता हुआ कस्बों और गांवों तक फैल गया है। दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय बाजारों में अपना हिस्सा तलाश रहीं हैं। उनके बिजनेस प्रतिनिधियों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे उपभोक्ताओं से उनकी भाषा में संवाद करें। और इसीलिए उनके लिए अब यह जरूरी है वे कम से कम एक भारतीय भाषा जानें। जाहिर है कि हिंदी इस स्थिति में पहली प्राथमिकता होगी क्योंकि आधा भारत उसे बोलता है। और शेष में भी आप इस भाषा के माध्यम से संवाद कायम कर सकते हैं। शायद यही कारण है कि हमारे विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में चीन तथा विभिन्न यूरोपीय देशों से छात्र हिंदी पढ़ने आ रहें हैं। हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों को बहुराष्ट्रीय और देशी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्रों में अपने विस्तार के लिए प्रयोग कर रही हैं।

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

संस्कृत देवभाषा और किसी खास वर्ग की भाषा है- यह गलत है


अपनी विरासत को समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी है। यह गलत प्रचारित किया गया है कि संस्कृत देवभाषा और किसी खास वर्ग की भाषा है। यह जनसाधारण की भाषा रही है। इसे किसी भी संप्रदाय विशेष या जाति विशेष से जोड़ना पूरी तरह गलत है। संस्कृत के विकास में मुसलमानों और ईसाइयों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। अब्दुल रहीम खानखाना ने 'खैटकौतुकम्' 'रहीमकाव्यम्' लिखा है, जो सुप्रसिद्ध काव्य है। उस दौर में तो अनेक ऐसे भी ग्रंथ लिखे गए थे, जिनमें आधे श्लोक को उर्दू, ब्रज, अवधी या भोजपुरी में और आधे को संस्कृत में लिखा गया है। इसलिए इस भाषा को किसी खास वर्ग से जोड़ना आधारहीन है। भारत की तमाम भाषाओं और बोलियों में संस्कृ त के शब्द प्रचूर मात्रा में हैं। इसकी जानकारी अन्य भारतीय भाषाओं को जानने के लिए भी जरूरी है। आप संस्कृत जानते हैं तो अन्य भारतीय भाषाओं को जल्दी सीख सकते हैं। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंध विकसित करने के लिए संस्कृत का अध्ययन उपयोगी साबित हो सकता है। वहां की सभी भाषाओं में संस्कृत शब्दावली का भरपूर इस्तेमाल होता है। संस्कृ त उन देशों को भारत से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है।

हम इसके सामर्थ्य से परिचित नहीं हैं, या फिर जानबूझकर इसकी अनदेखी कर रहे हैं। अगर संस्कृत हमारी राष्ट्रभाषा होती तो भाषा को लेकर जितने विवाद इस देश में हुए या हो रहे हैं, वे नहीं होते। भारत की सभी भाषाओं और बोलियों का मूल स्रोत संस्कृत ही है। देश की किसी भी प्रादेशिक भाषा को ले लीजिए, उस भाषा के शुरुआती सारे लेखक संस्कृत के ही जानकार थे। यही कारण है कि भारत की किसी भी भाषा में लिखे साहित्य में संस्कृत के शब्द भरपूर मात्रा में मिल जाएंगे। प्रादेशिक भाषाओं ने तो साहित्यिक रचनाओं की थीम भी संस्कृत से ही ली है। रामायण, महाभारत और अन्य पौराणिक आख्यान सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य के मूल स्रोत रहे हैं। भारत की आम बोलचाल की भाषा में संस्कृत का प्रभाव साफ दिखता है। जैसे, हिंदी में हम 'नींद' कहते हैं। संस्कृ त में हम इसे निद्रा कहते हैं, जो भारत की अनेक प्रादेशिक भाषाओं में इस्तेमाल होता है। यदि द्रविड़ भाषाओं में संस्कृ त शब्दों के प्रतिशत की बात करें तो मलयालम में लगभग 70 प्रतिशत शब्द संस्कृत से निकले हैं। तेलगू में लगभग 60 प्रतिशत संस्कृत शब्द हैं। कन्नड़ व तमिल में भी काफी शब्द संस्कृ त के हैं। पूर्वी भारत की बात करें तो वहां की उड़िया, असमिया और बांग्ला में संस्कृ त शब्दों की भरमार ही है।
दक्षिणपूर्व
 एशिया की भाषाओं में संस्कृ  शब्द अच्छी तादाद में हैं। हां, मूल उच्चारण में जरूर थोड़ाबहुत अंतरहै। यह ठीक वैसे ही है जैसे हमारे यहां 'घट' का 'घड़ा' बन गया। यदि थाई भाषा में दक्षिण पूर्व कहना हो तो वे'आखेय' कहेंगे। यह 'आखेय' संस्कृत के 'आग्नेय' शब्द से बना है। बैंकाक में 9 युनिवर्सिटी हैं जिनमें से 7 के नामसंस्कृत में हैं। एक युनिवर्सिटी का नाम है-धर्मशास्त्र विश्वविद्यालय। इस विश्वविद्यालय की एक बिल्डिंग का नामहै-साला अनेक प्रसंगू। इसका मतलब है मल्टिपरपज बिल्डिंग। लाओ भाषा में 'वन-वे' के लिये 'एक-दिशा मार्ग'शब्द है। इसी तरह से वहां हजारों शब्द संस्कृत के प्रचलित हैं। 'वर्ल्ड बैंक' के लिए 'लोक धनागार' शब्द है।इंडोनेशिया में हाथी को 'गजो' कहा जाता है। हम भी भारत में गज मतलब हाथी ही समझते हैं। फोटो के लिये'रूप' शब्द है। 'गार्डन' के लिये 'उद्यान' शब्द चलता है। अगर आप संस्कृत जानते हैं तो इन देशों में जाने के बादआपको लगेगा ही नहीं कि आप दूसरे देश में हैं।
संस्कृत
 के प्रचार-प्रसार के लिए इसे एक हॉबी सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही संस्कृत केजानकारों को भी आगे आना होगा। सारा काम सरकार पर ही नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार आर्थिक सहायता याअन्य सुविधाएं दे देगी। लेकिन व्यक्ति और समाज को ही आगे आना पड़ेगा। आज लोगों में इस भाषा को सीखनेकी उत्सुकता बढ़ी है। विदेशों में भी संस्कृ  सीखने की ललक है। लेकिन दिक्कत यह है कि संस्कृत पढ़ाने वालेअध्यापक खुद ही अपने बच्चों को संस्कृत नहीं पढ़ाते हैं। ऐसे में इस भाषा के जानकारों के ऊपर एक बड़ीजवाबदेही है। संस्कृत महज एक भाषा नहीं है, यह भारत की आत्मा है।

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

चीनी सैनिकों ने हिंदी में इलाका खाली करने की धमकी

 चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। एक बार फिर चीनी सेना भारतीय सीमा घुस आई। लेह-लद्दाख के चुमुर इलाके में घुसकर चीनी सेना ने भारतीय सेना द्वारा लगाए गए सिक्यूरिटी कैमरों को भी तोड़ दिया। भारतीय सेना द्वारा बनाए गए कुछ अस्थायी ढांचों को भी गिरा दिया। साथ ही वहां मौजूद लोगों को चीनी सैनिकों ने हिंदी में इलाका खाली करने की धमकी दी।

गौरतलब है कि पिछले 3 महीने में दूसरी बार भारतीय सीमा में चीन ने घुसपैठ की है। इससे पहले अप्रैल-मई में भी चीनी सेना ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में घुसकर अपने अस्थायी कैंप स्थापित कर दिए थे। इतना ही नहीं उन्होंने वहां पर जो बोर्ड लगाया था, उस पर लिखा था कि वह यह चीन का इलाका है और आप चीन में हैं।

अंग्रेजी अखबार डीएनए में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ताजा घुसपैठ की घटना 17 जून की है। उस दिन चीनी सैनिकों ने घुसपैठ के बाद चुमुर में लगे कैमरों को तोड़ दिया। ये कैमरे हाई रेजॉलूशन के थे। भारतीय सेना ने अप्रैल में इन कैमरों को वास्तविक नियंत्रक रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिकों की निगरानी के लिए लगाया था। चीनी सैनिकों में वहां के लोगों को हिंदी में वह जगह तुरंत खाली करने के लिए कहा।

अखबार की खबर के मुताबिक, भारतीय सीमा में घुसे चीनी सैनिक अच्छी तरह से हिंदी जानते थे। उन्होंने वहां रह रहे स्थानीय लोगों से कहा कि वह इस इलाके को तुरंत खाली कर दें, यह इलाका उनका है। इस घुसपैठ की सूचना खुफिया एजेंसियों ने सरकार को दी थी। इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस ने भी इसकी पुष्टि की है।

सरकार इस पूरे मामले में चुप्‍पी साधे हुए है। उत्तराखंड में आई आपदा के समय सरकार किसी अंतरराष्ट्रीय विवाद को जन्‍म नहीं देना चाहती थी। ताजा घटना के बाद 3 जुलाई को दोनों देशों की सेना के बीच हुई फ्लैग मीटिंग में भारतीय सेना के अधिकारियों द्वारा भी यह मुद्दा उठाया गया। सबूत के तौर पर टूटे हुए कैमरे भी दिखाए गए।

अप्रैल-मई में भी चीन की सेना ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर एलएसी का उल्लंघन किया था। इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था, लेकिन भारतीय दबाव के बाद आखिरकार चीनी सैनिक वहां से हट गए थे। हालांकि, भारत को चीनी सरकार की यह बात जरूर माननी पड़ी थी कि इस इलाके में भारतीय सैनिकों की भी मौजूदगी नहीं होगी।

सबसे आश्यर्च की बात यह है कि यह घटना उस समय सामने आई जब रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी का चीन दौरे पर जाना तय हो गया था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन की ओर से निरंतर घुसपैठ की घटना चीन की PLA (पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी) और PLAN (पीपल्‍स लिबरेशन आर्मी नेवी) के बीच अंदरूनी लड़ाई का नतीजा है। चीनी नेतृत्व के अंदर अप्रत्यक्ष रूप से वर्चस्‍व की लड़ाई जारी है। यही कारण है कि साउथ चाइना समुद्र और लेह लद्दाख सेक्‍टर में चीन का रुख आक्रामक है।

गुरुवार, 30 मई 2013

कंप्यूटर समेत टेक्नॉलजी की सारी खबरें-हिंदी में

कैसा है आपका मोबाइल फोन? क्या आप उससे खुश हैं या उसे बदलना चाहते हैं? यदि बदलना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे, कौन-सा फोन अच्छा है, किसमें क्या खूबियां हैं और क्या कमियां हैं। nbt लाए हैं एक नई माइक्रोसाइट -www.tech.nbt.in जहां आप न केवल हर मोबाइल फोन के बारे में सबकुछ जान सकते हैं बल्कि आप अपना रिव्यू भी लिख सकते हैं ताकि बाकी पाठकों को उससे लाभ हो। मोबाइल के अलावा इस साइट पर कंप्यूटर समेत टेक्नॉलजी की सारी खबरें तुरंत मिलेंगी, वह भी हिंदी में।
ब्राउज़र में
 tech.nbt.in या nbt.in/tech टाइप करते ही खबरों के साथ आपको मिलेगी ऐप्स की जानकारी और टेक टिप्स, जिससे टेक्नॉलजी से जुड़ी आपकी उलझन सुलझेगी।
यहां आप लॉन्च हो चुके मोबाइल्स पर एक्सपर्ट के रिव्यू पढ़ सकते हैं, आप खुद भी रिव्यू लिख सकते हैं और फोन को रेटिंग दे सकते हैं। दूसरे पाठकों के रिव्यू पढ़ सकते हैं और उस पर अपनी राय दे सकते हैं। कंपेयर करके यह भी जान सकते हैं कि कौन-सा मोबाइल किस मामले में बेहतर है।


फोटो सेक्शन में आप मोबाइल्स समेत कई लेटेस्ट गैजट्स की तस्वीरें देख सकते हैं और खासियतें जान सकते हैं। विडियो सेक्शन में भी आपको काम की जानकारी मिलेगी।
हमें पता है कि हम अभी यहां उन सभी मोबाइल्स के रिव्यू नहीं दे पा रहे हैं, जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं, लेकिन हम जल्दी ही इन्हें देने की कोशिश करेंगे। और मोबाइल ही क्यों, हमारी कोशिश है कि हम आपको लैपटॉप और टैबलेट्स जैसे कई गैजट्स के बारे में रिव्यू और कंपेयर की सुविधा जल्द से जल्द दें।