शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

दीवाली यानी रोशनी का त्योहार।

जाहिर है, ऐसे में मोमबत्तियों व दीयों की बेहद इंपोर्टेन्स होती है और बाजार में इसकी तमाम वैराइटी मौजूद है। इस साल कैंडल्स में फ्लोटिंग कैंडल (पानी में तैरती हुई), स्ट्रॉबरी, जैस्मिन, डबल मोल्ड कैंडल, डिप कैंडल, जेल कैंडल, चंक्स कैंडल, लिली या लोट्स की खुशबू देती कैंडल, वनीला, स्ट्रॉबेरी व चॉकलेट जैसे फ्लेवर्स वाली कैंडल्स वगैरह की खासी डिमांड है। इनके अलावा, और भी कई तरह की कैंडल्स लोगों को काफी लुभा रही हैं। टेपर : इसे डिनर कैंडल भी कहा जाता है। यह 6 से 18 इंच तक लंबी होती हैं और सस्ती होने के साथ ये अच्छी रोशनी भी देती हैं। यही वजह है कि दीवाली के दिन डेकोरेशन में ये कैंडल्स खूब यूज की जाती हैं। ये 40 से लेकर 250 रुपये तक की रेंज में मौजूद हैं। पिलर कैंडल : ये टेपर कैंडल की तुलना में शेप में मोटी होती हैं। ये कलरफुल होती हैं, इसलिए इसे आप खास जगहों मसलन, गेट, ड्राइंग रूम के कोने में या डाइनिंग टेबल के सेंटर में सजा सकते हैं। यह तब ज्यादा सुंदर दिखती हैं, जब कई कलर्स वाली कैंडल्स को एक साथ जलाकर रखा जाए। कीमत की बात करें, तो ये 50 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक में उपलब्ध हैं। कंटेनर, जार और फ्लिड कैंडल : इन्हें कंटेनर के अंदर फिट किया जाता है। कंटेनर के अंदर से बाहर आती इनकी कलरफुल रोशनी काफी मोहक लगती है, इसलिए फेस्टिव मौके पर खास इफेक्ट डालने के लिए ये बेहतरीन हैं। टी लाइट कैंडल : ये हाई क्वॉलिटी वैक्स से तैयार की जाती हैं और अच्छी खुशबू देती हैं। ये साइज में छोटी, एक इंच चौड़ी और सिलेंडर के आकार की होती हैं। ये मेटल होल्डर में उपलब्ध हैं। चूंकि यह सेफ होती हैं, इसलिए लोग पटाखे जलाने के लिए भी इनका खूब इस्तेमाल करते हैं। जेल कैंडल : ये कलर्ड होती हैं और स्पेशल विजुअल इफेक्ट छोड़ती हैं, जो दीवाली जैसे माहौल को रंगीन बना देता है। दीवाली के मौके पर ये बतौर कैंडल के जलाने के साथ ही डेकोरेटिव आइटम्स होने का भी काम करती हैं। ये मैंगो, पपाया, स्वीट लेमन, स्ट्रॉबेरी, एप्रिकोट, पाइनेपल, लवेंडर, सेफरन जैसी तमाम तरह की वैराइटी में मिल जाती हैं। गैस कैंडल्स : गैस कैंडल तकरीबन 20 घंटे तक जल सकती है, इसलिए इसे दीवाली के मौके पर गिफ्ट देने के तौर पर भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। परफ्यूम कैंडल : दीवाली जैसे मौके के लिए परफ्यूम कैंडल भी आपके लिए अच्छा ऑप्शन बन सकती हैं। ये दिखने में तो सुंदर लगती ही हैं, जलाने पर कमरे को भी खुशबू से भर देती हैं। ये छोटे- छोटे कंटेनर्स में भी उपलब्ध हैं। डिजाइनर कैंडल : घर को अट्रैक्टिव लुक देने में डिजाइनर कैंडल खासी मददगार होती हैं और ये कई अट्रैक्टिव शेप्स में उपलब्ध हैं। फ्लावर्स कैंडल : ये मिनी ग्लास में कलरफुल वैक्स में मिलती हैं। इस समय सनफ्लॉवर कैंडल्स ज्यादा पसंद की जा रही हैं। इसके अलावा, रोज, लिली, ऑर्किड आदि भी खासी पसंद की जा रही हैं। ये शो पीसेस के तौर पर भी रखी जा सकती हैं। स्पार्कलिंग कैंडल्स : स्पार्कलिंग कैंडल्स चार्मिंग व अट्रैक्टिव दिखती हैं और घर को झिलमिलाता इफेक्ट देती हैं। हैंडमेड कैंडल : ये आपको ऐपल, ऑरेंज, मैंगो, लेमन जैसी शेप्स में मिल जाएंगी। शैंडलियर कैंडल : ये भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, स्वस्तिक, ओम, श्री और दूसरे कई सिंबल्स में मार्किट में उपलब्ध हैं। दीए में है ढेरों वैराइटी दीयों में इस समय सिंपल, नक्काशी वाली दीये, पंचमुखी व अष्टमुखी दीये, कंबाइन स्टैंड वाले दीये, दीये विद स्टैंड, कलरफुल दीये जैसे तमाम ऑप्शन मार्किट में मौजूद हैं। इसके अलावा, टेराकोटा दीया और टेराकोटा फिश दीया भी खासा पसंद किया जा रहा है। वैसे, दीवाली पर टेराकोटा के दीये जलाना शुभ माना जाता है। यही वजह है कि टेराकोटा में बाजार में सिंपल और डिजाइनर दोनों ही तरह के दीयों की भरमार है। इस बार स्टैंडिंग दीये खूब पसंद किए जा रहे हैं। स्टैंड पर चार या छह दीये डिजाइन किए गए हैं और स्टैंड को खूबसूरत नक्काशी से सजा दिया गया है। ये राउंड शेप के अलावा, स्क्वेयर व पत्ती की शेप में भी मिल जाएंगे। इसके अलावा, अलग-अलग रेंजों और डिजाइनों में खूबसूरत डिजाइन वाले कई तरह के दीयों में मार्किट में अच्छी-खासी वैराइटी मौजूद है।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

आशीर्वाद ने पुरस्कार घोषितकिए

राजभाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले सरकारी कार्यालयों/ उपक्रमों/ बैंकों को नगर की प्रतिष्ठित संस्था आशीर्वाद ने पुरस्कार घोषितकिए है । जिसकी जानकारी आशीर्वाद के कार्यालय से संपर्क कर ली जा सकती है ।

यह संस्था पिछले २० वर्षो से राजभाषा के प्रोत्साहन केलिए प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार देती आ रही है । इसी क्रम में संस्था के निदेशक उमाकान्त बाजपेयी ने बताया कि इस वर्ष राजभाषा अधिकारियों को भी पुरस्कारदिए जा रहे है । स्वागत

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

साहित्य अकादमी ने जिन कवियों लेखकों को आमंत्रित किया, उन्हें पत्र हिन्दी अथवा क्षेत्रीय भाषाओं की जगह अंग्रेजी में लिख भेजा।

कितना कठिन होता है, जब हमें अपनी ही भाषा से दूर कर दिया जाए। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले साहित्य अकादमी ने। पिछले महीने अकादमी के क्षेत्रीय कार्यालय, मुम्बई द्वारा गोवा में हिन्दी पखवाड़ा गतिविधि के तहत कार्यक्रम आयोजित हुए। इसके लिए साहित्य अकादमी ने जिन कवियों लेखकों को आमंत्रित किया, उन्हें पत्र हिन्दी अथवा क्षेत्रीय भाषाओं की जगह अंग्रेजी में लिख भेजा। ऐसा ही एक आमंत्रण पत्र सिंधु दुर्ग की कवियित्री प्रतीक्षा संदीप देवलते को भी भेजा गया। अंग्रेजी में लिखे गए पत्र में प्रतीक्षा को गोवा में काव्यपाठ के लिए आमंत्रित किया गया था। हालांकि, हिंदी पखवाड़े के लिए अंग्रेजी में लिखा आमंत्रण पाकर प्रतीक्षा ने विरोध स्वरूप कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। साहित्य अकादमी की इस कारगुजारी से आहत देवलते ने एनबीटी को बताया कि राष्ट्रभाषा एवं राजभाषा के साथ ऐसा मजाक आखिर कब तक चलेगा। अंग्रेजी में लिखा आमंत्रण पत्र पाकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा और मैंने कार्यक्रम में शामिल न होना ही उचित समझा।