मंगलवार, 2 जून 2009

धन्य है वे सांसद जिन्होंने अपनी मातृभाषा में लोकसभा में शपथ ग्रहण की

धन्य है वे सांसद जिन्होंने अपनी मातृभाषा में लोकसभा में शपथ ग्रहण की क्योंकि यह तो सर्वविदित सत्य है कि कुर्सी का रंग हमेशा विवादित होता है । जब नेता को सांसद का पद जनता दे देती है तो वे अपना कर्त्तव्य भूलकर जनता से किये वायदों को दरकिनार कर देते है और अपनी मौज-मस्ती में डूब जाते है । कभी कभी इन्हे अपनी संसदीय सीट के इलाके की याद भी आतीहै तो वहां के छुट भैया नेताओं को अपनी प्रसंशा में छोटे मोटे जलसे कराने से नहीं चूकते । पर वे धन्य है जिन्होंने संसदीय परंपरा का ध्यान रखकर अपनी भाषा में शपथ ली । हम तो यही चाहतेहै कि वे संसद में भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए काम करें । हम अंग्रेजी विरोधीनहीं हैं पर अपनी भाषा के अपमान को सहना भी हमारे वश में नहीं है अतः हम हमेशा उन्ही का सम्मान करते है जो भारतीयभाषाओं के सम्मान की रक्षा के लिए समर्पित हो ।

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