शुक्रवार, 1 मई 2009

भाषा के विषय में अमेरिकी अधिक संवेदनशील



यह सत्य है ​कि घर की मुर्गी दाल बराबर । वास्तव में यह भारत में भाषा के मामले में तो सही लगता है । यहां पर भाषा के नाम पर इतना अधिक खर्च होने के बावजूद भारतीय भाषाएं कहीं भी नजर नहीं आतीं । परन्तु भारत से अधिक भारतीय भाषाओं की चिन्ता है अमेरिका में रह रहे भारतीयों को जो न केवल अपनी संस्कृ​ति और भाषा को अपने बच्चों को सिखाते है वरन् मनोरंजन के लिए भी अपना भाषा के क​वि सम्मेलन आ​दि को आयोजन प्र​ति वर्ष करते है । अमेरिका के प्रान्त ड्रेट्रियाट में रहने वाली सुजाता जैन ने बताया ​कि वहां प्र​ति वर्ष क​वि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है और अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के क​वि उसमें भाग लेते है । उन्होंने वहां पर अपनी एक एसोसिएशन भी बनाई है जिएमें वे सब मिलते जुलते है और भारतीय त्यौहार ओर भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए कार्य करते है । अभी शनिवार को ही वहां पर एक भव्य हास्य क​वि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कई प्रमुख क​वि भाग ले रहे है । हमारीओर से आप सभी को बधाई और अ​भिनन्दन ।

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