शनिवार, 11 अप्रैल 2009

सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर अब नहीं रहे।

सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर अब नहीं रहे। उन्होंने शुक्रवार रात दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 97 साल के थे। उनके परिवार में 2 बेटे और 2 बेटियां हैं।
उनके बेटे अतुल प्रभाकर ने बताया कि विष्णु प्रभाकर सीने और मूत्र में संक्रमण के चलते 23 मार्च से महाराजा अग्रसेन अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने 20 मार्च से खाना पीना छोड़ दिया था। अतुल के अनुसार उनके पिता ने शुक्रवार रात लगभग 12 बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। प्रभाकर ने अपनी मृत्यु से पहले ही एम्स को अपने शरीर को दान करने का फैसला कर लिया था।
भले ही विष्णु प्रभाकर हमारे बीच से चले गए लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा लोगों के साथ रहेंगी। प्रभाकर को पद्मभूषण दिया गया था, लेकिन सरकार द्वारा किसी साहित्यकार की देर से सुध लेने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सम्मान वापस कर दिया था।
उनके बारे में प्रभाकर लिखा गया था, 'साहित्य और पाठकों के बीच स्लिप डिस्क के सही हकीम हैं। यही कारण है कि उनका साहित्य पुरस्कारों के कारण नहीं पाठकों के कारण चर्चित हुआ।' प्रभाकर का जन्म 20 जुलाई 1912 को उत्तरप्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर गांव में हुआ था। छोटी उम्र में ही वह पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से हिसार चले गए थे। प्रभाकर पर महात्मा गांधी के दर्शन और सिद्धांतों का गहरा असर पड़ा। इसके चलते ही उनका कांग्रेस की तरफ हुआ और स्वतंत्रता संग्राम के महासमर में उन्होंने अपनी लेखनी का भी एक उद्देश्य बना लिया जो आजादी के लिए सतत् संघर्षरत रही।
अपने दौर के लेखकों में वह प्रेमचंद, यशपाल, जैनेंद्र और अज्ञेय जैसे महारथियों के सहयात्री रहे लेकिन रचना के क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान रही। हिन्दी मिलाप में 1931 में पहली कहानी छपने के साथ उनके लेखन को एक नया उत्साह मिला और उनकी कलम से साहित्य को समृद्ध करने वाली रचनाएं निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह करीब 8 दशकों तक जारी रहा। आजादी के बाद उन्हें दिल्ली आकाशवाणी में नाट्य निर्देशक बनाया गया।
नाथूराम शर्मा के कहने पर वह शरतचंद की जीवनी पर आधारित उपन्यास 'मसीहा' लिखने के लिए प्रेरित हुए। विष्णु प्रभाकर को साहित्य सेवा के लिए पद्म भूषण, अर्द्धनारीश्वर के लिए साहित्य अकादमी सम्मान और मूर्तिदेवी सम्मान सहित देश विदेश के अनेक सम्मानों से नवाजा गया।

1 टिप्पणी:

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

हमारी हार्दिक संवेदनाएँ.
- विजय