गुरुवार, 9 अप्रैल 2009

राजभाषा विभाग के सचिव महोदय को खुला पत्र

राजभाषा का राजनैतिकरण बचाने की अपील
राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार प्रसार केलिए हमारे संविधान में प्रावधान है और उनके अनुरूप भारत सरकार का काम राजभाषा में कराने केलिए राजभाषा विभाग का सृजन किया गया था अनेक वर्ष बीत जाने के बाद भी राजभाषा के रूप में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाएं तो अपनी जगह नहीं बना पाई, परन्तु भारत सरकार मे हिन्दी स्टाफ की एक बडी फौज खडी कर दी गई है । राजभाषा विभाग के आदेशों के अनुरूप ही उनकी तैनाती हुई है ।
ये सभी हिन्दी कर्मी क्या कर रहे है इनके काम की जांच करने का जिम्मा किसी भी विभाग को नहीं है । जिस कार्यालय में ये काम करते है वहां के कार्यालयाध्यक्ष के आदेशों के अनुरूप कार्य करने में ये माहिर है । आज भी बदलते परिवेश मे अधिकतर कर्मी अपनी रचनाएं प्रकाशित करने केलिए एक पत्रिका का प्रकाशन अवश्य करते है ।
यदि ध्यान से देखा जाए तो वास्तव में स्टाफ तो है पर हिन्दी कहीं भी नहीं है । आज के युग के अनुरूप इन कर्मियों को कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान भी नहीं है ।
राजभाषा विभाग के सचिव महोदय से अनुरोध है कि अब समय आ गया है कि हिन्दी स्टाफ केलिए कंप्यूटर का इंजिनिरिग ज्ञान आवश्यक योग्यता के रूप में करना चाहिये अन्यथा भाषाएं समाप्त हो जांएगी और इस विभाग का अस्तित्व ही नहीं रहेगा ।

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