गुरुवार, 23 मई 2013

हिंदी के बाद अब इंग्लिश को लेकर तमिलनाडु में राजनीति गरमा गई


हिंदी के बाद अब इंग्लिश को लेकर तमिलनाडु में राजनीति गरमा गई है। राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता जहां सभी सरकारी स्कूलों में तमिल के साथ इंग्लिश मीडियम लागू करना चाहती हैं, वहीं डीएमके सुप्रीमो करुणानिधि ने इसका जोरदार विरोध करना शुरू कर दिया है। करुणानिधि का कहना है कि इससे तमिल भाषा पिछड़ जाएगी। तमिल कल्चर भी खत्म हो जाएगा। 
गौरतलब है कि पहले भी काम राज के बाद तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एम. जी. रामचंद्रन ने हिंदी के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया था। इन्होंेने तमिलनाडु में हिंदी पढ़ाने का विरोध किया था। लोगों से कहा गया था कि इससे तमिल भाषा पिछड़ जाएगी और हिंदी हावी हो जाएगी। इस पर जोरदार तरीके से राजनीति करके उन्होंेने खूब वोट भी बटोरे। 
क्या है मौजूदा सिस्टम : जयललिता ने सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु के कुछ बड़े शहरों में कुछ सरकारी स्कूलों में इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई शुरू करवाई। इसका पॉजिटिव नतीजा भी मिला। जया अब इसे पूरे तमिलनाडु खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में लागू करना चाहती हैं। उनका कहना है कि अगर शहर के साथ ग्रामीण लोग तमिल के साथ अंग्रेजी सीखेंगे तो युवाओं को अन्य राज्यों में भी नौकरी मिलेगी। 
दूसरी तरफ करुणानिधि, जो एक राजनेता के अलावा कहानीकार और कवि भी हैं, का मानना है कि सरकारी स्कूलों में इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई ठीक नहीं है। इससे तमिल भाषा के साथ तमिल कल्चर पर नेगेटिव असर पड़ेगा। 
भाषा पर राजनीति छोड़ो : एआईएडीएमके के सीनियर नेता थम्बी दुरई का कहना है कि राज्य के नेताओं को भाषा पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। तमिलनाडु को आगे बढ़ाना है तो राज्य के शहरों के साथ गांवों को भी आगे बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री जयललिता यही चाहती हैं। बच्चों के पास तमिल के साथ इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई करने का विकल्प रहेगा। 

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