शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

'महाराष्ट्रलोकसेवा आयोग'(एमपीएससी) की परीक्षाएं हिंदी और उर्दू मेंलेने का विरोध


शिवसेना ने हिंदी विरोधी तेवर अपनाते हुए 'महाराष्ट्रलोकसेवा आयोग'(एमपीएससी) की परीक्षाएं हिंदी और उर्दू मेंलेने का विरोध किया है। पार्टी ने इसे सरकार का 'छिपाषडयंत्र' बताया है। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने मराठीयुवकों को अपने ही राज्य में नजरअंदाज किए जाने के खिलाफहर तरह के संघर्ष के लिए तैयार होने की घोषणा की है।
पार्टी
 मुखपत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार का पूराकामकाज मराठी में चलता है, लेकिन राज्य में परप्रांतीयों केबढ़ते सैलाब और उनके नेताओं के दबाव में केंद्र सरकार मराठीके अलावा हिंदी और उर्दू को अतिरिक्त भाषा का दर्जा देने की साजिश रच रही है। पार्टी प्रवक्ता  सांसद संजयराऊत ने कहा है कि महाराष्ट्र में लोकसेवा आयोग की परीक्षाएं मराठी के साथ हिंदी और उर्दू में लेने का षडयंत्ररचा गया है। सरकार के इस निर्णय को शिवसेना जबरदस्त टक्कर देगी।
उन्होंने
 कहा, राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा उनउन राज्यों में उनकी स्थानीय भाषाओं में होने चाहिए, यहशिवसेना की भूमिका है। सरकार ने अपने राज्य के मराठी जनों के पीठ में खंजर घोंपने का प्रयास किया, वह खुदइसके परिणामों की जिम्मेदार होगी।
मराठी
 बलिदान का अपमान: राऊत ने रोष व्यक्त करते हुए कहा है कि यह निर्णय मराठी भाषा का खून करनेजैसा है। राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा से डेप्यूटी कलेक्टर, तहसीलदार, फौजदार, डीएसपी, स्वास्थ्य औरराजस्व सेवा में मराठी तरुणों को मौका मिलता है। सिर्फ वोटों को सामने रखकर अगर उर्दू और हिंदी में परीक्षाएंली जाएंगी, तो यह मराठी राज्य के लिए बलिदान देने वाले 105 शहीदों का अपमान होगा।
उर्दूको
 NEET परीक्षामेंभीशामिलकरो: आजमीसमाजवादी पार्टी के मुंबई महाराष्ट्र अध्यक्ष विधायक अबू आसिम आजमी नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट(एनईईटी) परीक्षा में भी शामिल किया जाए। उन्होंने सवाल उटाया कि जब देश की सभी शेड्युल्ड भाषाओं मेंयह परीक्षा दी जा सकती है तो उर्दू के साथ सौतेला बर्ताव क्यों? आजमी ने केंद्री सरकार को खत लिखकर उर्दूभाषा को शामिल किए जाने की मांग की है।

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