बुधवार, 5 दिसंबर 2012

हिंदी का जलवा


 एफडीआई मुद्दे को लेकर लोकसभा में चली बहस में हिंदी का जलवा खूब दिखा। ज्यादातर सांसदों ने अपनी पार्टी और अपनी बात को आम जनता के बीच जोरदार ढंग से पहंचाने के लिए उन्हीं की भाषा हिंदी का सहारा लिया। दो दिन तक चली इस बहस में कुल 18 दलों के सदस्यों ने भाग लिया और ज्यादातर वक्ताओं ने अपनी बात हिंदी में कही। 
खास बात यह कि जहां हिंदीभाषी इलाकों के सांसदों ने अपनी बात हिंदी में रखी, वहीं कुछ गैर हिंदीभाषी सांसदों ने भी अपनी भावनाएं हिंदी में जाहिर करना उचित समझा। हैरानी की बात रही कि जो सांसद ज्यादातर मौकों पर अपनी बात अंग्रेजी में रखते रहे हैं, उन्होंने तमाम झिझक छोड़ हिंदी का सहारा लिया। 
गैर हिंदीभाषियों में जहां टीएमसी के सौगत राय और टीडीपी के सांसद नागेश्वर राव ने हिंदी में बोलना पसंद किया, वहीं ज्यादातर मौकों पर अंग्रेजी में बोलने वाले सीपीआई नेता वासुदेव आचार्य भी खुद को हिंदी में बोलने से नहीं रोक पाए। सौगत राय ने पहले दिन अंग्रेजी में अपना पक्ष रखा, वहीं हिंदी लहर में वह कुछ ऐसे बहे कि उन्होंने अपने प्रस्ताव का जवाब देने के लिए हिंदी का सहारा लिया। इसी तरह से ज्यादातर मौकों पर अंग्रेजी बोलते देखे जाने वाले वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने भी सरकार का पक्ष रखने के लिए हिंदी को चुना। हिंदी में बोलने वाले वक्ताओं में बीजेपी नेता सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी, शिवसेना के अनंत गीते, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह, बीएपी के दारा सिंह चौहान, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस से कपिल सिब्बल और दीपेंदर हुड्डा व आरएलडी के जयंत चौधरी शामिल रहे। दिलचस्प यह कि अंग्रेजी में अपनी बात शुरू करने वाली अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने भी अपनी बात पुरजोर ढंग से खत्म करने के लिए हिंदी का सहारा लिया। 

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