गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

अच्छा अनुवाद बड़ी समस्या

भारतीय भाषाओं के साहित्य की सबसे बड़ी समस्या विश्व की बड़ी भाषाओं जैसे अंग्रेजी, जर्मन, स्पैनिश, इटैलियन आदि में उनका अनुवाद नहीं हो पाना है। जब तक इन भाषाओं में भारतीय साहित्य का अनुवाद नहीं होता है, तब तक इनके पाठकों तक हमारा साहित्य पहुंच नहीं सकता। नोबेल समिति के मेंबर भारतीय साहित्य के नाम पर केवल उन्हीं रचनाओं को जानते हैं जो अंग्रेजी में लिखी गई हैं। सलमान रुश्दी जैसे लेखकों ने एक बड़ा भ्रम यह फैलाया है कि भारतीय साहित्य अंग्रेजी में लिखी गई रचनाओं तक सीमित है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अंग्रेजी के अलावा जर्मन, स्पैनिश, फ्रेंच आदि ताकत की भाषाएं हैं। विश्व के जिन देशों में ये पढ़ी-बोली जाती हैं, उनका दुनिया में बहुत प्रभाव है। यह असर इन भाषाओं के साहित्य में दिखता है। अगर बाहरी मुल्क यह समझते हैं कि अंग्रेजी ही भारतीय भाषा है, तो यह मत बनाने में हमारा भी कुछ योगदान है। देखिए, कॉमनवेल्थ गेम्स जैसा बड़ा आयोजन हमने किया पर इससे जुड़े ज्यादा सूचनापट्ट अंग्रेजी में हैं, हिंदी में नहीं। इससे विदेशी यही समझेंगे कि भारत की भाषा अंग्रेजी है। नोबेल जैसे पुरस्कारों के लिए जो लॉबिंग होती है, भारत में उसका भी अभाव है। ये जटिल समस्याएं हैं। इन्हें हल करने के लिए सरकार को कोई प्रयास करना चाहिए। अन्यथा भारतीय लेखन के नाम पर रुश्दी जैसे लेखक ही नोबेल जीतेंगे, कोई और नहीं।

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