रविवार, 1 मार्च 2009

भारतीय भाषाओं में सामग्री नेट पर उपलब्ध हो सके

हो गया राजभाषा सम्मेलन और शुभकामनाओं का दौर चला आधे दिन
भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित राजभाषा सम्मेलन २८ फरवरी २००९ को बडोदरा में संपन्न हो गया जहां पर झूठे आंकडो के आधार पर राजभाषा शील्ड और ट्राफी बांटी गई और इस प्रकार भारत के संविधान में वर्णित हिन्दी राजभाषा के रूप में स्थापित हो गई । हम इसका स्वागत करते है परन्तु एक शख्स जब पुरस्कार लेने आ रहे थे तो पीछे से आवाज आ रही थी कि इस हिन्दी अफसर के नाम का बोर्ड भी अंग्रेजी में है तो पुरस्कार किस आधार पर दिया गया, यह प्रश्न विचारणीय है । मेंरी चर्चा इस बारे में विभाग के संयुक्त सचिव जी से भी हुई है निसंदेह वे एक अच्छे इंसान है और अभी वे इस विभाग में कुछ ठोस करना भी चाहते है जैसा कि उन्होने मुझसे वायदा किया, मैं उनसे मिलने दिलली भी जाने का प्रयास करूंगा ।
इस सम्मेलन में कुछ सॉफटवेयर्स का प्रर्दशन हुआ जिसकी कोई आवश्यकता नहीं थी, सचिव महोदय ने बार-बार लीला सॉफ्टवेयर के माध्यम से हिन्दी सीखने की बात की क्योंकि मुझे लगता है कि उन्हे यही बताया गया था कि हिन्दी सीखने केलिए केवल लीला ही है । शायद वे नहीं जानते कि अब विश्व में हिन्दी लीला से नहीं अपितु अनेक प्रकार के टूल्स नेट पर उपलब्ध हैं जिनसे दुनिया हिन्दी सीख रही है, लीला तो थोपा जा रहा है इससे हिन्दी का विकास नहीं, अपितु विनाश हो रहा है । खैर मेरा मकसद यहां पर सचिव जी के बारे में टिपपणी करने का नहीं है । हम चाहते है कि वास्तव में हिन्दी भारत देश की राजभाषा बने और इस प्रकार के टूल्स उपलब्ध कराये जाएं जिनसे यह संभव हो सके ।
मैं बार बार यह लिखता रहता हूं कि अंग्रेजी में अरबो पृष्ट की सामग्री केवल अग्रेजी में हर विषय पर उपलब्ध है बच्चे नेट पर जाते है और अपने मनपसंद विषय पर सामग्री बटोर लेते है लेकिन यह केवल अंग्रेजी में है, भारतीय भाषाओं में नहीं । राजभाषा विभाग कुछ ऐसा काम करे ताकि भारतीय संस्कृति और उसके सभी पहलुओं पर भारतीय भाषाओं में सामग्री नेट पर उपलब्ध हो सके । शायद वह दिन शीघ्र आए तो हमें प्रसन्नता होगी ।

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