मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

बडोदरा में राजभाषा सम्मेलन

28 फरवरी 2009 को बडरोदरा में राजभाषा विभाग द्वारा सम्मेलन आयोजित
राजभाषा विभाग द्वारा एक राजभाषा सम्मेलन का आयोजन बडोदरा में 28 फरवरी 2009 को किया जा रहा है जिसमें वही पुरानी लीक पर कुछ झूटे आंकडो पर आधारित पुरस्कार दिए जाएंगे और राजभाषा कर्मी अपनी पीठ अपने आप थपथपाएंगे । भारत को स्वतंत्र हुए अब 60 साल से भी ज्यादा हो गए है और आज भी राजभाषा विभाग जिन आंकडों के आधार पर पुरस्कार दे रहा है, लगता हे ​कि यह राजभाषा के साथ बेमानी है । इस प्रकार तो हिन्दी कभी भी राजभाषा नहीं हो सकेगी । आज भी यह सत्य है ​कि विभिन्न विभागों में लगे हुए सिस्टम कंप्यूटरों में हिन्दी का समावेश नहीं हो सका है क्या राजभाषा विभाग यह जानने की कोशिश करेगा ​कि सरकारी दफ्तरों में जहां कंप्यूटर प्रणालियां विकसित की गई है, उन्हे डॉटा प्रोसेसिंग, डाटा इनपुट और डाटा आउटपुर (तीनों ) में हिन्दी का समावेश कब तक हो जाएगा । मैं यहां पर रेलवे का ही जिक्र कर रहा हू, जहां पर लगभग 8 प्रकार की कंप्यूटर प्रणालियां है और आज तक एक भी प्रणाली उक्त पैमाने पर खरी नहीं है । यहां तक ​कि पब्लिक रिर्जवेशन सिस्टम में आज भी डाटा केवल अंग्रेजी में भरा जाता है । भले ही, उसका आउटपुट द्विभाषी हो ।
राजभाषा विभाग द्वारा तैनात कार्यान्वयन कर्मचारी/अधिकारी केवल निगमों और ऐसे कार्यालयों का निरीक्षण करते है जहां उन्हे गिफ्ट मिल जाता है , यह जो सम्मेलन हो रहा है उसमें भी तेल कंपनी कुछ कर रही होगी , ऐसा विश्वास किया जा सकता है इन सब बातों की जांच होनी चाहिये ​कि गिफ्ट देकर किसे राजभाषा के नाम पर ट्राफी दी गई । इससे इस विभाग में पारदर्शिता आएगी और आम आदमी में सरकार के प्र​ति विश्वास बढेगा ।

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