मंगलवार, 7 जनवरी 2014

उर्दू और हिन्दी को मिलाकर विकल्प बनाने का प्रयास

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अंग्रेजी भाषा के बिना काम नहीं चल सकता को मात्र एक भ्रम बताते हुए कहा कि हम अपनी भाषा की बदौलत ज्यादा तरक्की कर सकते हैं इसलिए उर्दू और हिन्दी को मिलाकर विकल्प बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
पटना स्थित प्रेमचंद रंगशाला में मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) के द्वारा आयोजित दो दिवसीय जश्न-ए-उर्दू समारोह का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि अंग्रेजी के बिना काम नहीं चलेगा, ऐसा प्रचार किया जाता है पर चुनाव और व्यापार में अंग्रेजी भाषा का नहीं बल्कि अपनी भाषा का ही उपयोग होता है।
उन्होंने कहा कि चीन, फ्रांस और जापान बिना अंग्रेजी भाषा के आगे बढ़ रहे हैं। चीन का विकास दर बिना अंग्रेजी भाषा के इतना ज्यादा है। फ्रांस और जापान टेक्नॉलजी के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते जा रहे हैं। नीतीश ने कहा कि भाषा जरूर सीखनी चाहिए पर किसी खास भाषा की मजबूरी नहीं होनी चाहिए। हमारी अपनी जुबान में जो ताकत है, उसकी अहमियत होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उर्दू हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हमारी गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। उर्दू और हिन्दी को मिलाकर विकल्प बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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