सोमवार, 17 मई 2010

आकाशवाणी के खाते में तमिल विदेशी भाषा है।

हमारी आकाशवाणी के खाते में तमिल विदेशी भाषा है। सिंधी और नेपाली विदेशी भाषाएं हैं। पुड्डुचेरी में फ्रेंच को राज्यभाषा जैसी मान्यता प्राप्त है, लेकिन आकाशवाणी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। एक नियम के रूप में वह इन सभी भाषाओं को वर्षों से विदेशी भाषा मानती चली आ रही है। आकाशवाणी में कई भारतीय भाषाएं विदेशी भाषा के रूप में दर्ज हैं। यही नहीं, इसे आधार बनाकर वहां वर्षों से हिंदीभाषी कर्मचारियों को दोयम दर्जे का समझा जाता है और उन्हें वेतन आदि सुविधाएं अपेक्षाकृत कम दी जाती हैं। अंग्रेजों के शासन काल में भारत के लोगों को जिस पद पर काम करने के एवज में सौ से डेढ़ सौ रुपये वेतन दिया जाता था, उसी पद पर गोरी चमड़ी वाले यूरोप के मूलवासियों को एक हजार रुपया वेतन मिलता था। अंग्रेजों के जाने के बाद चमड़ी के रंग के आधार पर तो नहीं लेकिन उम्र, लिंग, जाति और धर्म के आधार पर एक ही काम के लिए मजदूरी या वेतन कम-ज्यादा होने की शिकायतें आम रही हैं। कई संस्थानों में भाषा के स्तर पर भी समान पद और काम के बदले अलग-अलग वेतन मिलने की शिकायतें आई हैं। लेकिन ऐसी शिकायतें आमतौर पर निजी संस्थानों में दिखती रही हैं। संविधान में जाति, लिंग, धर्म, भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करने की शपथ ली गई है लिहाजा आमतौर पर इन आधारों पर सरकारी संस्थानों में ऐसे भेदभाव की शिकायत नहीं पाई जाती है। आकाशवाणी में जारी भाषाई भेदभाव को इस नियम का भी अपवाद माना जा सकता है।

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