मंगलवार, 26 जनवरी 2010

भारत में कोई राष्ट्र भाषा है ही नहीं!

क्या आप जानते हैं भारत में कोई राष्ट्र भाषा है ही नहीं! गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि भारत की अपनी कोई राष्ट्र भाषा है ही नहीं। कोर्ट ने कहा है कि भारत में अधिकांश लोगों ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा के तौर पर स्वीकार कर लिया है। बहुत से लोग हिन्दी बोलते हैं और हिन्दी की देवनागरी लिपि में लिखते भी हैं। लेकिन यह भी एक तथ्य है कि हिन्दी इस देश की राष्ट्र भाषा है ही नहीं। चीफ जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय की बेंच ने यह उस समय कहा जब उसे डिब्बाबंद सामान पर हिन्दी में डीटेल लिखे होने के संबंध में एक फैसला सुनाना था। पिछले साल सुरेश कचाड़िया ने गुजरात हाई कोर्ट में पीआईएल दायर करते हुए मांग की थी सामानों पर हिन्दी में सामान से संबंधित डीटेल लिखे होने चाहिए और यह नियम केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लागू करवाए जाने चाहिए। पीआईएल में कहा गया था कि डिब्बाबंद सामान पर कीमत आदि जैसी जरूरी जानकारियां हिन्दी में भी लिखी होनी चाहिए। तर्क में कहा गया कि चूंकि हिन्दी इस देश की राष्ट्र भाषा है और देश के अधिकांश लोगों द्वारा समझी जाती है इसलिए यह जानकारी हिन्दी में छपी होनी चाहिए। इस पूरे मामले पर तर्क वितर्क के दौरान कोर्ट का कहना था कि क्या इस तरह का कोई नोटिफिकेशन है कि हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है क्योंकि हिन्दी तो अब तक 'राज भाषा' यानी ऑफिशल भर है। सरकार द्वारा जारी ऐसा कोई नोटिफिकेशन अब तक कोर्ट में पेश किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि हिन्दी देश की राज-काज की भाषा है, न कि राष्ट्र भाषा। अदालत ने पीआईएल पर फैसला देते हुए कहा कि निर्माताओं को यह अधिकार है कि वह इंग्लिश में डीटेल अपने सामान पर दें और हिन्दी में न दें। इसलिए, अदालत केंद्र और राज्य सरकार या सामान निर्माताओं को ऐसा कोई आदेश (mandamus) जारी नहीं कर सकती है।

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