सोमवार, 19 जनवरी 2009

सलाहकार समितियों में केवल उन्ही को नामित करना होगा जो वास्तव में इस कार्य को बढाने में सरकार की मदद कर सकते हैं

राजभाषा के रूप में हिन्दी का सपना कब पूरा होगा, यह असाघ्य रोग हो गया है, हम बार बार इस बात की ओर इशारा कर रहे है कि जिनके कधे पर इसकी जिम्मेवारी दी गई है वे इस जिममेवारी को यदि पूरा नहीं कर पाते तो उन्हे पद से हटा दिया जाना चाहिये । यहां हमारा मकसद उन्हे नौकरी से निकालने का नहीं है, वरन् उनकी जगह काबिल कर्मियों को लाने का है । लेकिन जब इसपर भी राजनीति हो तो कोई कुछ नहीं कह सकता । आज सभी जानते है कि जमाना कंप्यूटर का है ओर इस जमाने में यदि हिन्दी को साथ साथ लेकर नहीं चला गया तो वह दिन दूर नहीं , जब सरकारी कार्यालय से हिन्दी नाम समाप्त हो जाएगा ।
मैं रेलवे विभाग के बारे में कुछ कहना अपना फर्ज समझता हू जहां हिन्दी के नाम पर काफी कुछ हो रहा है, लेकिन हिन्दी कहीं भी दिखाई नहीं देती, आज की तारीख में रेलवे के सभी कंप्यूटर सिस्टम केवल इग्रेजी में काम कर रहे है यहां तक कि उनमें हिनदी में काम करने की सहूलियत भी नहीं है । इसका दोषी कोन है, इसपर विचार करने की जरूरत है । रेलवे में प्रयुक्त फायस, एफ एम आय एस, अफ्रेश, स्टोर सिस्टम, पी एम आय एस, आदि सभी केवल अंग्रेजी में ही काम करने के लायक है, हिन्दी उन्हे रास नहीं आती । इसपर संसदीय राजभाषा समिति ने कई बार प्रश्न उठाया, लेकिन वही ढाक के तीन पात, स्थिति वहीं की वहीं है । जरा सी भी नहीं बदली । अतः राजभाषा कानून कहां गया, और इसकी क्या महत्तता है यह भी विचार होना चाहिये, रेलवे की हिन्दी सलाहकार समिति में राजभाषा विभाग जिन्हे प्रतिनिधि के तौर पर भेजता है, वे सभी कैसे है, यह सब जानते है , वे केवल मजा करने केलिए सदस्य बनते है मत्री तक अपनी ताकत रखते है लेकिल केवल अपनेलिए, हिन्दी से उनका कोई लेना देना नहीं होता । प्रश्न यह भी उठता है तो इस प्रकार से देख को धोका देने केलिए ऐसे विभाग की आवश्यकता क्या है , अतः ऐसे विभाग को तुरन्त बन्द कर देना चाहिये ।
लेकिन ऐसा करना भी उचित नहीं है, सवाल यह भारतीय संस्कृति का है और इसे बचाने केलिए यह विभाग बनाया गया है ताकि भारतीय भाषाओं का संवर्धन हो सके, अतः इस विभाग को अब मूक दृष्टा न होकर गंभीर रूप से सोचना होगा और सलाहकार समितियों में केवल उन्ही को नामित करना होगा जो वास्तव में इस कार्य को बढाने में सरकार की मदद कर सकते हैं ।

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