आफिसर्स फेडरेशन में जीएम की अदला-बदली के खिलाफ प्रस्ताव पारित
नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ़ आफिसर्स एसोसिएशंस ( ऍफ़आरओऐ ) के प्रमुख पदाधिकारियों की आज दि। २७-१०-०८ को रेलवे बोर्ड में एक बैठक हुई जिसमें ओपन लाइन से ओपन लाइन में जीएम्स की अदला-बदली किए जाने के बोर्ड के प्रस्ताव का कड़ा विरोध जताया गया। हमारे सूत्रों का कहना है की इस ग़लत परम्परा का विरोध करते हुए अधिकारीयों ने कहा की इससे योग्य लोगों का हक मारा जा रहा है और एक ख़ास लाबी को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इसी लाबिंग की वजह से अन्य कैडरों को नुक्सान हो रहा है जो की कतई उचित नहीं है।सूत्रों का कहना है की बैठक में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है और यह प्रस्ताव दीवाली के बाद पहले कार्य दिवस गुरुवार या शुक्रवार को सीआरबी और मंत्री की टेबल पर पहुँचा दिया जायेगा। सूत्रों ने बताया की बैठक में इंजीनियरिंग अधिकारीयों ने ख़ास तौर पर इस अदला-बदली का विरोध किया क्योंकि ट्रैफिक लाबी की मनमानी से सबसे ज्यादा नुक्सान उन्हीं का हो रहा है।पता चला है की सीआरबी ने अपने 'बिरादरी' भाइयों का फेवर करते हुए श्री आर. एन. वर्मा को मेट्रो से प. रे. और उनकी जगह सीओएम्/प. म. रे. श्री वि. एन. त्रिपाठी को तथा श्री विवेक सहाय को उ. म. रे. से उ. रे. में और उनकी जगह सीईई/प. रे. श्री ऐ. के. वोहरा को भेजे जाने का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि हमारे सूत्रों का कहना है की श्री वर्मा की फाइल अभी तक डीओपीटी में ही अटकी पड़ी है।सूत्रों ने बताया की डीओपीटी ने श्री यु. सी. डी. श्रेणी के आरएससी में भेजे जाने के प्रस्ताव के करके बोर्ड के सांसत में डाल दिया है क्योंकि श्री श्रेणी के मेट्रो से ओपन लाइन पूर्वोत्तर रेलवे में भेजे जाने के समय बोर्ड ने डीओपीटी के यह बताया था की जिसे मेंबर बनाना होता है उसे ओपन लाइन में भेजा जाता है, डीओपीटी ने यही बोर्ड से पूछा है की अब ऐसा क्या हो गया है की श्री श्रेणी को ओपन लाइन से हटा कर साइड लाइन ( आरएससी ) में भेजा जा रहा है? बताया जाता है की अब श्री श्रेणी के साथ भी सीआरबी और मंत्री की 'सेटिंग' हो गई है इसलिए अब उन्हें एनईआर से नहीं हटाने का नया प्रस्ताव भेजा गया है।इसी तरह दूसरा प्रस्ताव यह था की श्री श्रेणी की जगह श्री दीपक कृष्ण को और श्री सहाय की जगह श्री वोहरा को था श्री वर्मा की जगह श्री त्रिपाठी को भेजा जाएगा। जबकि इसके पहले का प्रस्ताव यह था की श्री दीपक कृष्ण को पूर्वोत्तर रेलवे और श्री सुदेश कुमार को ( आरएससी ) में भेजा जाए। परन्तु यह प्रस्ताव धरा रह गया। बाद में श्री दीपक कृष्ण को पूर्व रेलवे का भी प्रस्ताव बना था।अपने ब्लॉग में 'रेलवे समाचार' ने 'बिरादरी' और 'लेनदेन' के इस खेल को दो दिन पहले ही एक्सपोज कर दिया था जिससे बोर्ड और पीएम्ओ तथा डीओपीटी में हड़कंप मच गया था और इसी के मद्देनजर ऍफ़आरओऐ की यह अर्जेंट मीटिंग बुलाई गई थी क्योंकि इस तमाम 'खेल' से रेलवे की छवि ख़राब हो रही है बल्कि अधिकारीयों के बीच वैमनस्यता भी बढ़ रही है जिससे उनके अन्दर एक-दूसरे के प्रति आक्रोश की भावना पैदा हो रही है जो की स्वस्थ प्रशासन के हित में नहीं है।सूतों का कहना था की बैठक के बाद अधिकारीयों ने आपस में यह उम्मीद अवश्य जाहिर की की उपरोक्त तमाम वस्तुस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए पीएम्ओ इस 'लेनदेन के खेल' को सफल नहीं होने देगा। क्योंकि इससे न सिर्फ़ रेलवे की छवि ख़राब हो रही है बल्कि अधिकारीयों में भी आपस में वैमनस्यता बढ़ रही है। इसके अलावा जोनल रेल प्रशासन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
महाप्रबंधकों की पोस्टिंग में 'बिरादरी' और 'लेनदेन' का खेल
नई दिल्ली : पता चला है की सीआरबी ने जीएम की पोस्टिंग का जो प्रस्ताव रेल मंत्री को भेजा है उसमें जीएम/मेट्रो रेलवे श्री आर एन वर्मा को पश्चिम रेलवे और जीएम/एनसीआर श्री विवेक सहाय को उत्तर रेलवे का जीएम बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। ज्ञातव्य है की श्री वर्मा और श्री सहाय दोनों ही वर्त्तमान में ओपन लाइन के जीएम हैं क्योंकि मेट्रो को भी ओपन लाइन माना गया है।उल्लेखनीय है की ओपन लाइन से ओपन लाइन में ट्रांसफर की कोई पॉलिसी नहीं है, ओपन लाइन से ओपन लाइन में अपवाद स्वरुप ही जीएम्स की अदला-बदली की जाती है, इसी के तहत शायद यू.सी.डी.श्रेणी को मेट्रो से पूर्वोत्तर रेलवे में भेजा गया था, जिन्हें पुनः वहाँ से हटाकर रेलवे स्टाफ कॉलेज ( आरएससी ) वडोदरा भेजे जाने के बोर्ड के प्रस्ताव को डीओपीटी ने करारे जवाब के साथ लौटा दिया है। ज्ञातव्य है की वर्त्तमान जीएम पैनल के पहले नंबर पर श्री सुदेश कुमार, आईआरएसईई, को आरएससी और दूसरे नंबर पर श्री दीपक कृष्ण, आईआरएसई, को पूर्व रेलवे का जीएम बनाने के प्रस्ताव को रेल मंत्री वापस लौटा चुके हैं।
अब जो श्री वर्मा और श्री सहाय को क्रमशः पश्चिम रेलवे एवं उत्तर रेलवे में भेजे जाने का प्रस्ताव सीआरबी ने किया है उसके पीछे 'बिरादरी' की भावना और करोड़ों रुपये के खेल की अहम् भूमिका बताई जा रही है। क्योंकि एक तो ओपन लाइन से ओपन लाइन में जीएम्स के ट्रांसफर की कोई पॉलिसी नहीं है, दूसरे जिस जीएम को आगे बोर्ड मेंबर बनाना होता है और वह यदि किसी प्रोडक्शन यूनिट, जैसे डीएलडबल्यू / सीएलडबल्यू / डीएम्डबल्यू / आईसीऍफ़ / आरडबल्यूऍफ़ / आरसीऍफ़, में बतौर जीएम पदस्थ होता है, तो उसे वहाँ से निकालकर ओपन लाइन का जीएम बनाया जाता है। यही अब तक की परम्परा रही है।
परन्तु अब 'बिरादरी' और पैसे के लिए इस परम्परा को भी टाक पर रखा जा रहा है। उल्लेखनीय है की श्री सहाय हमेशा अपने अपंग बेटे के नाम पर अपनी पसंद की पोस्टिंग में रहे हैं अब पुनः उसी के नाम पर दिल्ली में पोस्टिंग मांग रहे हैं जबकि अब तक वह पहले मध्य रेलवे एवं बाद में पश्चिम रेलवे की जुगाड़ में थे। अब चूंकि उनके अपंग बेटे का एडमीशन दिल्ली में अपंग कोटे में हो गया है इसलिए उन्हें अब उत्तर रेलवे, दिल्ली में पोस्टिंग चाहिए। अपने साढू भाई श्री वर्मा को वह अपनी जगह पश्चिम रेलवे में भिजवा रहे हैं...?
पता चला है की श्री आर एन वर्मा के पश्चिम रेलवे में आने का प्रस्ताव सुनकर पीपावाव रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड और कच्छ रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड के दोनों प्रबंध निदेशक परेशान हो गए हैं क्योंकि उन्हें लगता है की श्री वर्मा के पश्चिम रेलवे में आने से उनको अपना काम करना काफ़ी मुश्किल हो जाएगा। हमारे विश्वसनिय सूत्रों का कहना है की यह बात दोनों प्रबंध निदेशकों ने दिल्ली जाकर सीआरबी से भी कही है। सूत्रों का कहना है की सीआरबी ने उन्हें 'एज यूजुअल' एम्आर का नाम लेकर कहा की यह प्रस्ताव उनका नहीं एम्आर का है, इसमें वह कुछ नहीं कर सकते हैं।
यहाँ वही कहावत लागू हो रही है की 'कुछ करें देवी कुछ करें पंडा' , यानी एम्आर के नाम पर तो भारतीय रेल में किसी से भी कुछ भी करा या करवाया जा सकता है, वैसे भी एम्आर के मुंह से निकला हर शब्द नियम बन जाता है और अब तो रेल अधिकारीयों को भी इसकी आदत हो गई है और इसी के नाम पर ट्रान्सफर, पोस्टिंग, प्रमोशन आदि में 'बाढ़ ही खेत को खा रही है'। सूत्रों का कहना है की चूँकि सीआरबी को रिटायर होने से पहले अपना घाटा पूरा करना है, इसलिए जो ज्यादा 'बोली' लगा रहा है उसे ओपन लाइन में भेजने का प्रस्ताव बनाकर भेजा जा रहा है और इसके लिए एम्आर का नाम आगे किया जा रहा है जबकि सबको मालूम अहि की एम्आर को अपनी राजनीती चमकाने के आगे यह सब देखने की फुर्सत नहीं है।
इसके अलावा सूत्रों का यह भी कहना है की श्री वर्मा को प. रे. और श्री सहाय को उ. रे. में भेजे जाने के सीआरबी के प्रस्ताव से रेल राज्य मंत्री श्री नारण भाई राठवा भी नाराज हैं क्योंकि उन्हें भी पता है की श्री वर्मा के प रे में आने से उनके क्षेत्र के कई काम अटक जायेंगे। सूत्रों का कहना है की श्री राठवा प. म. रे. के वर्त्तमान सीओएम् श्री वी. एन. त्रिपाठी को प. रे. में लाना चाहते थे मगर सीआरबी ने उन्हें धोखे में रखकर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया। सूत्रों का कहना है की श्री राठवा को इस बात की आशंका है की श्री वर्मा के प. रे. में आने से उनके कामों वे अड़ंगा लगायेंगे। क्योंकि उनकी यह आदत है।
सम्बंधित जांच एजेंसियों से यह उम्मीद की जाती है की वह रेलवे बोर्ड और सीआरबी की इस मनमानी को समय पर रोक पाने में कामयाब होंगी।
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