विश्व हिंदी सम्मेलन की प्रदर्शनी में 400 साल पुरानी दुर्लभ
पांडुलिपि देखने का सुनहरा मौका मिल रहा है। इस पांडुलिपि में 18 ग्रंथ शामिल हैं। इसमें गीता मुख्य है। खास बात यह है कि पांडुलिपि के 415
में से 24 पेज सोने के पानी से लिखे गए हैं।
प्राकृतिक रंगों और सोने के पानी से छह दुर्लभ चित्र भी पांडुलिपि में उकेरे गए
हैं।
इनमें पंचमुखी हनुमान और श्रीकृष्ण का विराट रूप शामिल है। हिंदी विवि के
संस्कृत विभाग में पदस्थ डॉ. शीतांशु त्रिपाठी सम्मेलन के लिए विशेष तौर से ऐसी
चुनिंदा पांडुलिपियों का संग्रह लेकर आए हैं। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कार्बन डेटिंग
से यह पता लगाया है कि पांडुलिपि 400 साल पुरानी है।
मुख्यमंत्री ने भी निरीक्षण के दौरान इस पांडुलिपि में खासी दिलचस्पी
दिखाई। डॉ. त्रिपाठी से इसके बारे में जानकारी ली और पढ़ी भी। इसके अलावा, 520 साल
पुरानी पांडुलिपि भी यहां प्रदर्शित की है। इसमें कालिदास की रघुवंश की व्याख्या
की गई है।
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