मैं आजकल हिन्दुस्तानी प्रचार सभा में कार्यरत हूँ और क्रिया कोश पर काम कर रहा
हूँ .
मुझे पता लगा कि हिन्दुस्तानी प्रचार सभा में हमारे सहकर्मी और उर्दू विभाग के
अध्यक्ष श्री मुहम्मद हुसैन पारकर जी को 31 मार्च 2015 की शाम को बुलाकर कह दिया गया
कि आप कल से सभा में काम पर न आएँ और उनकी सेवाएँ समाप्त कर दी गई . मैं आश्चर्य में
भी हूँ और इस संस्था के अधिकारियों के इस व्यहार से दुखी भी .
मैंने पहली बार सुना कि पारकर जी को पहले इस प्रकार की सूचना नहीं दी गई और उन्हे
बिना किसी पूर्व सूचना के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जो कि हिन्दुस्तानी प्रचार
सभा जैसी संस्था के लिए अशोभनीय भी है .यदि इस प्रकार श्रीमती डॉ. सुशीला गुप्ता को हटाया जाता और यही व्यवहार उनके साथ किया जाता तो न जाने कितने
हिंदी के समर्थक इक्ट्ठे होकर हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के सचिव श्री पैच को गालियाँ देते परंतु श्री पारकर तो मुसलमान हैं
अत: उनके लिए तो कोई भी नहीं कहेगा . अत: मैं केवल अपनी संवेदनाएं ही प्रकट कर सकता
हूँ .
मुझे यहाँ काम करते हुए एक साल से भी कम समय हुआ है और इस समय में श्री पारकर जी
का व्यवहार मैंने तो ठीक ही पाया है वह एक निष्ठावान कर्मी हैं , उन्हें पैंशन भी नहीं मिलती अत: यकायक उन्हे
इस प्रकर हटा देना ठीक नहीं है . यह सबके साथ हो सकता है विशेषकर मेरे साथ
- क्योंकि मैं भी डॉ सुशीला गुप्ता का चमचा
नहीं हूँ और उनकी तरह हिन्दुस्तानी प्रचार सभा को लूट्ने का प्रयास भी नहीं कर रहा
हूँ . यह सभी जानते हैं कि हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के सचिव जी केवल और केवल सुशीला
गुप्ता की ही सुनते हैं हालांकि हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टीजनों की इनकी वजह
से काफी बेइज्जती हो चुकी है और जब तक यह महिला रहेगी तब तक होती रहेगी परंतु न जाने
इस महिला में क्या है कि हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टीजनों को इसकी एक भी शिकायत
उचित नहीं लगती .मेरा भगवान से आग्रह है कि हिन्दुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टीजनों
को सुबुद्धी दे . साथ ही साथ प्रार्थना है कि श्री पारकर जी को भविष्य में सेहत दे
. लगता है कि आज ट्रस्टीजनों ने हिन्दुस्तानी प्रचार सभा में जो सरल हिन्दी कक्षाओं
के नाम पर भोज का प्रबंध किया है वह श्री पारकर जी को बाहर का रास्ता दिखाने की खुशी
में किया गया है . इस तरह हिन्दी का विकास संभव नहीं है .
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