उत्तरप्रदेश के पंचायती राज विभाग की ऑडिट रिपोर्ट प्रदेश सरकार चार साल तक सदन में
पेश नहीं कर पाई। वर्ष 2010-11 की ऑडिट
रिपोर्ट सरकार ने बुधवार को विधान परिषद में पेश की।
सरकार ने खुद माना है कि यह
रिपोर्ट विलंब से पेश की गई लेकिन इसकी जो वजह बताई वह सदन में विपक्ष को गले नहीं
उतरी। सरकार ने कहा है कि इसकी यथोचित प्रतियां हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि में
प्राप्त करने में विलंब हुआ।
विधान परिषद में प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं की
तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट और पंचायती राज एवं सहकारी समितियों का बजट ऑडिट पेश किया।
मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां और पंचायतें उत्तर प्रदेश की इस
रिपोर्ट को पेश करने के दौरान ही सरकार ने लिखित में माना है कि 2010-11 की यह रिपोर्ट विलंब के कारणों सहित पेश
की जा रही है।
सदस्यों को इसके कारण भी लिखित तौर पर बताए गए। इसमें लिखा है कि हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि में उपलब्ध न होने के कारण विलंब हुआ। इस पर बीजेपी विधान परिषद दल के नेता ने सवाल उठाया कि क्या विभाग में पूरा काम अंग्रेजी में होता है?
विभाग में लोग हिंदी नहीं जानते और क्या कोई अनुवादक भी नहीं है। इस पर सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका और कहा गया कि कारणों सहित रिपोर्ट पेश कर दी गई है।
सदस्यों को इसके कारण भी लिखित तौर पर बताए गए। इसमें लिखा है कि हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि में उपलब्ध न होने के कारण विलंब हुआ। इस पर बीजेपी विधान परिषद दल के नेता ने सवाल उठाया कि क्या विभाग में पूरा काम अंग्रेजी में होता है?
विभाग में लोग हिंदी नहीं जानते और क्या कोई अनुवादक भी नहीं है। इस पर सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका और कहा गया कि कारणों सहित रिपोर्ट पेश कर दी गई है।
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